नष्ट हो जाएगा सूरज / मनोहर चमोली 'मनु'
“अरे! चूंचूं इतनी सुबह? क्या बात है? सब ठीक तो है न?”मीकू खरगोश ने चूंचूं चूहे से पूछा। चूंचूं चूहा सुबह-सवेरे मीकू के घर जो आ पंहुचा था।
चूंचूं ने जवाब दिया-”बस ऐसे ही आ गया। सुबह-सवेरे हर कोई अपने घर पर मिल जाता है न। सो मिलने चला आया।”
मीकू हंसते हुए बोला-”अच्छा किया। लेकिन ये तो बताओ कि बात क्या है।”
चूंचूं सिर खुजलाते हुए बोला-”कई दिनों से एक ही चिंता सता रही है। सूरज अपनी एक तिहाई उम्र काट चुका है। कल क्या होगा, जब सूरज ही न होगा। सोचो। सारी दुनिया में अंधेरा छा जायेगा।”
यह सुनकर मीकू जोर से हंस पड़ा। बहुत देर तक हंसता रहा। फिर चूंचूं से बोला-”यार चूंचूं। तुमने तो सुबह-सुबह ही हंसा दिया। बहुत समय बाद इतना हंस रहा हूं।”
चूंचूं ने झेंपते हुए कहा-”मीकू भाई। इसमें हंसने वाली क्या बात है। मैंने क्या गलत कहा। मैं सही कह रहा हूं। सूरज एक दिन वाकई नष्ट हो जाएगा। कसम से।”
मीकू खरगोश ने सिर हिलाते हुए कहा-”तुम सही कह रहे हो। मानता हूं कि सूरज एक दिन नष्ट हो जाएगा। यह भी सही है कि सूरज अपनी एक तिहाई उम्र काट चुका है। एक दिन वह अपनी दो तिहाई उम्र भी काट चुका होगा। फिर एक दिन ऐसा आएगा कि वह वाकई अपनी सारी उम्र काट चुका होगा और फिर उसका अंत हो जाएगा।”
“तो फिर। मेरी बात पर तुम्हें इतनी हंसी क्यों आई?” चूंचूं ने नाराज होते हुए पूछा।
मीकू ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा-”बताता हूं। चूंचूं मेरे भाई। सूरज पांच अरब साल से इस धरती को रोशनी दे रहा है। लेकिन अभी वह दस अरब साल और चमकेगा। अब तुम्हें ये पता होना चाहिए कि एक साल में तीन सौ पैंसठ दिन होते हैं। सौ साल की एक सदी होती है।”
चूंचूं ने टोकते हुए कहा-”हां-हां। इकाई,दहाई,सैकड़ा,हजार,दस हजार, लाख,दस लाख।” यह कह कर चूंचूं चुप हो गया।
मीकू फिर से हंस पड़ा-”चुप क्यों हो गए? आगे बोलो। भूल गए न? दस लाख के बाद एक करोड़, दस करोड़ फिर एक अरब और फिर दस अरब। समझे कुछ।”
चूंचूं सिर पकड़ कर बैठ गया। सोचते हुए बोला-”ये तो बहुत ज्यादा है। मैं बेकार ही परेशान हो रहा हूं।”
मीकू ने समझाया-”बिल्कुल अब तुम ठीक समझे। लेकिन तुम क्या जानते हो कि सूरज हमारी पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है। पूरी पृथ्वी में जितनी भी ऊर्जा का उपयोग होता है उसमें अधिकतर ऊर्जा सूरज से ही प्राप्त होती है। मजेदार बात यह है कि सूरज आग का गोला है। लेकिन यह एक गैसीय पिंड है। यानि यह न तो ठोस है न तरल।”
चूंचूं सिर खुजलाते हुए बोला-”अरे! ये तो मुझे पता ही नहीं था। रोटी के बराबर का सूरज इतना दिलचस्प है! वाकई!”
मीकू खरगोश ने बताया-”चूंचूं, जिसे तुम रोटी के बराबर समझ रहे हो न। वह बहुत विशालकाया है। सूरज के गोले का व्यास 14,00,000 किलो मीटर है। चौदह लाख किलोमीटर की दूरी की कल्पना करना मेरे वश की बात नहीं है। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूरज को अपनी धूरी पर एक चक्कर लगाने में 25 दिन लग जाते हैं।”
“अरे बाप रे! वाकई ये तो बहुत ही दिलचस्प जानकारी है मीकू भाई।” चूंचूं चूहे ने खुश होते हुए कहा।
मीकू ने कुछ याद करते हुए कहा-”वैसे यह बात सही है कि सूरज एक दिन समाप्त हो ही जाएगा। सूर्य में मौजूद हाइड्रोजन का भंडार हर पल नष्ट होता रहता है और हीलियम बनता रहता है। हाइड्रोजन का यह भंडार एक दिन नष्ट हो ही जाएगा।”
चूंचूं बोला-”तो इसका मतलब हुआ कि धरती में अंधेरा छा जाएगा?”
मीकू ने कहा-”बताता हूं कि क्या होगा। हाइड्रोजन खत्म हो जाने पर सूरज फूलने लगेगा। यह ठंडा होकर एक विशालकाय लाल तारा बन जाएगा। सूर्य अपने आकार से ढाई सौ गुना बढ़ जाएगा। बुध, शुक्र और हमारी धरती को वह निगल लेगा। फिर वह सिकुड़ने लगेगा। सूरज में उपस्थित हीलियम के परमाणु भारी परमाणुओं में बदल जाएंगे। इसके बाद सूरज सिकुड़ने लगेगा। फिर सूरज सफेद तारा बन जाएगा। समय के साथ-साथ इसकी सफेद चमक भी बंद हो जाएगी और यह एक काला पिंड बन जाएगा।”
चूंचूं की आंखें फैल गई। वह बोला-”अरे बाप रे बाप! फिर क्या होगा? हम कैसे जिएंगे?”
मीकू हंसने लगा-”अभी से चिंता मत करो। उससे पहले जीने के लिए दूसरी धरती खोज ली जाएगी। ऐसा मेरा विश्वास है।”
चूंचूं ताली बजाते हुए कहने लगा-”हां। विश्वास पर तो दुनिया कायम है।”
दोनों हंसने लगे।