नागराज संखपाल / जातक कथाएँ
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राजगृह का राजा एक बौद्ध धर्मी राजा से उपदेश ग्रहण कर मरणोपरान्त संखपाल नामक एक संन्यासी बना; और परम-सील की सिद्धि प्राप्त करने हेतु दीमक-पर्वत-पर कठिन तप करने लगा। उसी समय सोलह दुष्ट व्यक्तियों ने उन्हें भालों से बींध कर उनके शरीर में कई छेद बनाये और उन छेदों में रस्सी घुसा कर उन्हें बाँध दिया। फिर वे उन्हें सड़कों पर घसीटते हुए ले जाने लगे।
मार्ग में एक आलाट नामक एक समृद्ध श्रेष्ठी पाँच सौ बैलगाडियों में माल भर कर कहीं जा रहा था। उसने जब संखपाल की दुर्दशा देखी तो उसे उन पर दया आई। उसने उन सोलह व्यक्तियों को पर्याप्त मूल्य देकर संखपाल को मुक्त कराया। संखपाल तब ऊलार के राज्य ले जाकर एक वर्ष तक अपने यहाँ अतिथि के रूप में रखा और अपने महान् उपदेशों से लाभान्वित किया।