नाजक / सत्यनारायण सोनी

Gadya Kosh से
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रामरखो बरस पिचेतर खायां बैठ्यो है, पण कदी बणी कोनी पड़ोसियां सागै ई। पड़ोसी तो दूर, बीं री तो कदी घरवाळां सागै ई ठीकरी में घाली को रळी नीं। घरवाळी तो उणनै चाळीस रै घर में ही छोड़Óर रामजी नै प्यारी होयगी ही। आ उमर धोबी रो कुत्तो। घर रो रैवै नीं, घाट रो। टाबरिया ऊपरनै आयग्या हा। टाबरियां नैं ब्याÓवै कै खुद रचावै। अर फेर, ईं हाणी में कठै पड़्यो हो परथावो! ऊमर रा दिन गुजरता रैया। वगत टिप्यां डील रो सत ई जावण लाग्यो। रामरखो बात-बात पर सुणावण लाग्यो- केस-सरोवण-लोयणां, गोडां अर दांतां। इतणां में बीखो पड़ै, जोबनियो जांतां।।ÓÓ बात साची ई ही। वगत रै साथै-साथै रामरखै रो डौळ ई बदळग्यो। पण डौळ बदळ्यां मिजाज कद बदळै। अबार तो घर में सरमण जिस्यो सपूत च्यानण है। सीता-सी सुपातर बीनणी है। सेवाभावी पोता-पोती है। पण डोकरै नै कदै साग में तंत को लागै नीं, तो कदै रोटियां में किरकर लागै। इस्यै सुरग जिस्यै घर नै ई बो नरग अर कीड़ां री कुंड बतावै। घर रो हरेक जीव बीं नै खोट रो डूजो लागै अर बो तरणबंट हुयÓर घणी बारी न्यारो चूल्हो तकात मांड लेवै। बास-गळी रा लोग बतळावै, बड़ो लछगारो है भई!ÓÓ रामरखै रै हेत-प्यार नांव री कोई चीज लोवै-लवास कर ई को नीसरी नीं। बास में घणो ई सम्पत है, पण बीं नै सगळो बास औगणगारो लागै। साÓमलो पड़ोसी भुगानो तो बीं री आंख मांय कांकरो-सो रड़कै। भुगानै आपरै बारणै आगै बैठण नै छोटो-सो चूंतरियो बणायो तो बण बीं सूं दूणो बणा लियो। आं दिनां घरां में टूंटियां लागण सूं पाणी रो ई तोड़ो को रैयो नीं। भुगानै रै घर सूं दो बालटी पाणी बारै आवै तो रामरखो च्यार ढोळै। अब कीं रा ई भैत तिसळो अर भलां ई कोई आप। आं रै बाप रो कांईं लागै! बहानो मिल्यो नीं अर राड़ बधी नीं। और कोई नां मिलै तो च्यानणियै रै ई बांथां पड़ ज्यावै। च्यानण घणो ई टाळै, पण किसो टळै। रणसिंगो बाजै तो बाज ई बो करै। गाळां तो इसी चेपै कै कानां रा कीड़ा झड़ै। आंटीलो ई पूरो। खतौड़ रै काम सूं बिसांई लेवणी हुवै तो बारै चूंतरी पर छोटी-सी कुरसी ढाळÓर बैठै। कुरसी कांईं, कुरसी रो बचियो ई मानो। अर बीं कुरसी पर बो बैठै जद टांग पर टांग धरणी को भूलै नीं। जीवणै पग रो गिट्टो डावड़ै रै गोडै पर सवार राखै। होकै रो कस खींचतो, गोळ-मटोळ सीसां-वाळै चसमै नै ऊपर-नीचै करतो बो खुद नै किणी बादस्या सूं कम को गिणै नीं। आथण इणी चूंतरी पर उणरी मांची हुवै। मांची तो के मंचली ई कैवां तो ठीक लागसी। इसी ई कुरसी अर इसी ई आ मांची। दोनूं आपसरी में धरमभैण-सी लागै। ईं मंचली माथै आडो हुवै तो ई अेक टांग तो दूजी ऊपर फेर। घणी ई बारी तो नींदां मांय ई उणरी टांग पर टांग रैवै। देखÓर रामजी ताऊ टिपतो ई ठूळो चेप ज्यावै, देख्यो के, चौबीसै गो चौधरी?ÓÓ (चौबीस गांवां रो चौधरी) ओ चौबीसै रो चौधरी आपरी आंकड़ में ई को नावड़ै नीं। लखदाद है ईं री मां नै। हर घड़ी राजा रो-सो रौब राखै निजरां में। म्हानै घडग़ी जकी तो बाड़ में ई बडग़ी, अर म्हारै सूं गोरो जकै रै पीळियै रो रोग। नरमाई सूं बात करण री तो सुपनै में ई मत सोचो। पण आज अेक अजोगती अर बेजचती-सी बात हुयी, रामरखै रै मूंडै मुळक सांचरी। आज पैली दफै उण रो जीवसोरो हुयो। भुगानियै री तिबारी में गंडकी ब्यायी, भरी दुपारी। ब्यायी जकी तो ठीक, पण जापो खिंडा दियो मांचै पर। मांचो के, ढोलियो हो निवार रो, त्यारी-त्यारी बणायेड़ो। रामरखै तो दिवाळी-सी धोक ली। मन में फुलझड़ी-सी जगण लागगी। लाडू-सा फूटै। हिवड़ै में हाँसी रो हबोळ उठ्यो। गळी टिपतै रावतै नै बुलायो सैन करÓर। आ रै रावता, बैठ, होको पी।ÓÓ रावतो थम्यो। मुड़्यो, अर चूंतरी री कूंट पर बैठण लाग्यो बीं सूं पैली तो रामरखो भळै बोल पड़्यो, लै भई, ईं भुगानियै गै तो मिटग्यो फोड़ो।ÓÓ क्यां गो?ÓÓ रावतै होकै री नड़ी झालतां पूछ्यो। धीणै गो।ÓÓ बपरा लियो के?ÓÓ बपरा के लियो, बापरग्यो! अर बो ही ईं लूखासणै में।ÓÓ अर भळै दोनूं जणा लाग्या बतळावण। आंख्यां मटका-मटकारÓर बतावै रामरखो।मधरो-मधरो मुळकतो सुणै रावतो। इयां भलां ई आपसरी में जचो ना जचो, पण परायो मैल धोवणो हुवै तो सोडो सीरमीर रो। दूजी कानी घर में गंडकी ब्यायेड़ी सुभ हुवैÓÓ पंडतजी बतायग्या भुगानै नै। पौ-बारा पच्चीस भई भुगाना तेरै तो।ÓÓ सुणÓर भुगानै रै तो पांख लागगी। घर में भरी बखारी रा सुपना देखै। उतरादै खेत नरमै री फसल पर सांतरो फाळ देखै। काया तिरपत हुवै। लै भई, हुग्या ठाठ! बणाओ घूरी। गुड़-तेल रो सीरो करो। आपणै तो आज देवता ई तूठग्या।ÓÓ गंडकी री सेवा पर सगळो घर मूंधो हुग्यो। रामरखै नै भणकारो लाग्यो। सगळो उमाव म_ो पड़ग्यो। गोडा-सा टूटग्या। मूंडै री मुळक जांवती रैयी। बातड़ी तो बेजां बणगी। उणरै आणंद रा छिण लुटग्या। घूरी आगै टाबर-टीकरां रो मेळो-सो मंडग्यो। गंडकी रा भाग जागग्या। दोनूं टेम सीरो। टाबर मळेटो मांग ल्यावै जको न्यारो। दिन पांच-सातेक में कूरियां री आंख्यां खुलगी अर दिन दसेक में तो बां रै लागगी पांख। बटा गट्टू-सा रुड़्या फिरै। दो-अेक दिन तो बाखळ में अर फेर गळी में ई घूमर घालण लागग्या। रामरखो देखÓर अेडी सूं चोटी तांई बळै। कूरिया अेक दिन माटी सूंघता, पूंछ हलांवता खतौड़ में जा पूग्या। हद होगी भईÓÓ, रामरखै रो रंदो थमग्यो। थम तेरै धणी गी...!ÓÓ रंदो छोड खड़्यो होयो। पग पीट्या। कोई असर नीं हुयो। चक-चकÓर गळी में फैंक्या। मूंडा धूड़ में भरीजग्या। कोंय-कोंय करता भाज्या अर सीधा घूरी में जा बड़्या। भुगानै ई देख लियो ओ सीन। जीवदोरो तो घणो ई होयो, पण छोटी-सी बात नै लेयÓर राड़ मौल कुण लेवै। लोग बातां बणासी, बटा, कूरियां खातर लड़ै। दो-अेक दिन तो कूरियां ई खतौड़ कानी मूंडो को कर्यो नीं। पण फेर भूलग्या। टाबर माऊ रै थाप नै भूल ज्यावै जियां। टाबर ई तो हा। भळै बो ई रस्तो। रामरखो ललकारै जद अेकर तो पाछा भाजै अर लटूरिया करता फेर जा बड़ै। अेक दिन तो हद ई हुगी। देखतां-देखतां ई साम्हीं पड़्यै चरखै पर अेक कूरियो फारिग हुग्यो। हत्ततेरै गी... गंडक! तेरै धणी गै आग लागै तेरै गै! आ ई जगां लाधी के तनै?ÓÓ बण दुर-दुर कर्यो, इत्तै में तो पार। अब सोÓरबो करो बैठ्या नरग!ÓÓ बो चसमा सावळ करतो चूंतरी पर आयो। साम्हीं आप-आळी चूंतरी पर भुगानो त्यार। अरै ओ भुगाना! काबू राख तेरा सिकारां नै। इन्नै आ, ओ देख, तरड़-तरड़ गे घर भर दियो म्हारो। ...अेक ठोक दी नीं डांग गी तो पाणी को मांगै गा नीं।ÓÓ भुगानै सोच्यो, बोल्याÓर राड़ बधी। सुणतो रैयो। पण रामरखो किसो थम ज्यावै। दखी, फेर कूं, बांध ले तेरा नै, निस तो कुचीलो पड़्यो है मेरै कनै।ÓÓ बांध लेस्यां ठाडा, क्यूं गाम भेळो करै।ÓÓ भुगानै सूं होळै-सीÓक बोलीजग्यो। अब तेरा बधैÓक मेरा। अच्छ्या, फळसै पर तरड़ै अर घुर्रो न्यारो करै!ÓÓ भुगानो चुप। पण रामरखो तो गेड़ चढग्यो। देखी पड़ी है दातारी! काल तांई भूख मरतो। छानो है के मेरै सूं। ...पाळू सिकारियां गो!ÓÓ रोळो सुण रावतो आयग्यो। बूंकियो झालÓर लेयग्यो खतौड़ में। बावळो है के रामरखा!ÓÓ अच्छ्या, म्हैं ई बावळो हूं! ओ देख, देख तो सरी तूं अेकर।ÓÓ उण चरखै कानी आंगळी करी। अब लाग्यो रावतै नै हुंकारा भरावण। थनै याद कोनी, ईं गी सासू रैंवती अठै, भूख मरती जद रोटी जीम गे जांवती म्हारलै घरे। आज ओ टीकली-कमेड़ी बण्यो फिरै।ÓÓ हम्बै-हम्बै, आ तो कीं सूं छानी है।ÓÓ छानी? पण कंैवतां जोर आवै, अठै तो भई, खायां बिनां रैय ज्यावां, कैयां बिनां को रैवां नीं।ÓÓ ठीक बात है, ठीक ई बात है।ÓÓ रावतै रा हुंकारां सूं रामरखै रो कीं आफरो उतर्यो। पण आगलै ई दिन इसी हुयी कै रामरखै रै रूं-रूं में लाय लागगी। बीं रा दांत गमग्या। रात रोटी जीमÓर छोड्या हा पाणी घालÓर बाटकी में। अेक टेम ई जीमै। सो आथण तांई काम को पड़्यो नीं। सम्हाळ्या तो दांत लाध्या न को बाटकी। सक सीधो कूरियां पर। ओ तो हंच हुग्यो। फाÓई हुगी ज्यान नै। आछो सेको होयो रे, माला मांड लिया आं तो। ओऽ होऽ हो... अब के करां भई!ÓÓ तळमाटी करली। पूरो घर छाण लियो। पण क्यांरा लाधै। बो फेर चूंतरी पर आयो। देख भुगाना, अब पार को पड़ै नीं यार! घरां कीं चीज ई को छोडै नीं।ÓÓ उणरै जीवणै हाथ री अंगूठै साÓरली आंगळी ले-धे हवा में हालै ही। भुगानै पैली तो आपरै डील में ही जित्ती नरमाई अंवेरÓर भेळी करी अर फेर बोल्यो घणी लुळताई सूं, भाईजी, आज तो अै कूरिया थारलै घर कानी गया ई कोनी। म्हैं दिनगे गो अठै ई बैठ्यो हूं।ÓÓ भळै पूछ्यो, के बात होÓगी?ÓÓमेरला दांत चक लेग्या यार, म्हनै तो हांडी-हेट करग्या।ÓÓ नरमाई पर नरमाई मतै ई बापरगी। छाटी गेर्यां पछै क्यां री जगात! बो पाछो आपरी खतौड़ में आयग्यो। होको पींवतो सोचै, आं गंडकां सूं पैंडो छूटै तो कियां छूटै? साम्हीं पड़्यो बरसोलो दीखै। दे काढ नीं बरसोलै री, अेक में ई रांद कट ज्यासी। भळै बो सोचै, कुचीलो देद्यां। भांत-भांत री बातां बीं रै मन मांय घिरोळा देवै। रील-सी चालै। अर फेर बैठ्यो-बैठ्यो ई डूब ज्यावै सपनां में। ...कुचीलो खायेड़ा कूरिया तडफ़ै कोझी तरियां। भुगानो अर बास रा सगळा टाबर पाणी रा डब्बा भर-भरÓर गेरै बां रै सिर ऊपर। अर देखतां ई देखतां बै तो मरग्या। अब मरेड़ा कूरियां बाÓर कर बैठ्या टाबर रोवै कोझी तरियां। भुगानै रै ई पळपळिया चाल पड़्या। अर...अर बा, बा बां कूरियां री मा, बापड़ी कद ई ईं नै अर कद ई बीं नै चाटै, सैतरी-बैतरी। दरसाव देख्यां हियो फाटै। भीतर हालै। रामरखै रो हाथ होकै री नड़ी पर थिर हुग्यो। चसमा रा काच आला हुग्या। इत्तै में ई बीं री पड़पोती दांत ल्याÓर दादै री झोळियां में गेर्या। हैंऽ! अै कठै लाद्या?ÓÓ काÓल है नीं, माऊ भांडा मांजै ही नीं, जद बाटकी में पड़्या हा। फेर है नीं, माऊ हांडी में मैÓल गे भूलगी।ÓÓ

(2001)