नाला सोपारा और माइकल जैक्सन / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नाला सोपारा और माइकल जैक्सन
प्रकाशन तिथि :20 जून 2015


नृत्य निर्देशक रेमो डिसूजा और डिज़्नी की फिल्म 'एबीसीडी 2' की दूसरी कड़ी में भी पहली की तरह मुंबई के गरीबों की रिहाइश के नाला सोपारा के युवा डांस ग्रुप को आदरांजली दी है, जिनका दल भारत से अमेरिका जाने वाला पहला दल था। भाग एक के नायक प्रभु देवा थे जो भाग दो में प्रशिक्षक हैं और नायक है वरुण धवन, जिनके साथ श्रद्धा कपूर हैं।

रेमो डीसूजा मल्टीप्लैक्स के दर्शक की अभिरुची के लिए डांस को केंद्रीय विचार बनाते है परंतु छोटे शहरों के एकल सिनेमा के दर्शक की रुचियों का भी ध्यान रखते हैं। उन्होंने भाग दो में मनोज कुमार के छद्‌म देशप्रेम के फॉर्मूले को अपनी युवा डांस की फिल्म के ताने-बाने में शामिल कर लिया है और यह एक तरह से मनोज कुमार फॉर्मूले की वापसी है। भारतीय फिल्मों के चक्र में घूम-फिरकर चीजें लौट आती हैं। जो कल नया था, वह आज के नए में शामिल हो जाता है परंतु कुछ चुनिंदा फिल्मकार आने वाले वक्त की भी सोचते हैं।

बहरहाल, इन फिल्मों के आदि गुरु माइकल जैक्सन हैं, जिनके नृत्य कौशल को पीढ़िया दोहरा रही हैं। इस फिल्म के नायक वरुण की मां कभी शास्त्रीय ढंग के नृत्य करती थीं और रेमो से जाने कैसे यह चूक हो गई कि क्लाइमैक्स में वरुण ने आधुनिक माइकल जैक्सन नृत्य शैली में अपनी मां की शास्त्रीयता के स्पर्श को शामिल नहीं किया और लॉस वेगास भी उन्होंने फिल्मकार के बदले टूरिस्ट के दृष्टिकोण से सतही रूप से दिखाया है। आज कल के नृत्य में सर्कस के करतब शामिल हो गए हैं और जिमनास्ट का स्पर्श भी है परंतु भरत नाट्यम या कथक की भावाभिव्यक्ति पर जोर था और उसमें शरीर के माध्यम से अाध्यात्मिकता को पाने का प्रयास होता था। आज का नृत्य हड्‌डीतोड़ करतबों से भरा है और फिल्म की नायिका की हड्‌डी रिहर्सल में तड़कती भी है तथा उसकी जगह लेने आई भारतीय मूल की अमेरिकन लड़की के प्रवेश से अधकचरे मन से प्रेम तिकोन भी बनाने का प्रयास हुआ है।

रेमो की निगाह बाॅक्स ऑफिस पर रहती है। उसने क्लाइमैक्स के नृत्य के शिखर को दही हांडी के कृष्ण जन्म के अवसर पर प्रस्तुत मानवीय पिरामिड का इस्तेमाल भी किया है, जिसे पहली बार मनमोहन देसाई ने शम्मी कपूर अभिनीत ब्लफ मास्टर में प्रस्तुत किया था और उसका 'गोविंदा आला रे' आज भी हर कृष्ण जन्म पर अनेक नगरों में प्रस्तुत किया जाता है। बहरहाल, डिज़्नी के साधनों का उपयोग करते हुए तड़क-भड़क रची गई है और रेमो का इस बात का श्रेय दिया जाएगा कि उन्होंने जीत पर नहीं खेलने पर बल दिया है और भारत में आयोजित पहले कॉमन वेल्थ गेम के समय नेहरू का वाक्य याद आता है, प्ले द गेम इन द स्पिरिट ऑफ द गेम। दशकों बाद पाकिस्तान जाने वाली टीम को अटलबिहारी वाजपेयी ने उसी नेहरूवियन जुमले को अपने अंदाज में कहा "कप नहीं दिल जीत कर आना" जैसे हर काल खंड सितारों पर दिलीप कुमार का प्रभाव होता है वैसे ही हर प्रधानमंत्री के अवचेतन में नेहरू समाए होते है तथा वे उस ढंग का सतही प्रयास भी करते हैं।

बहरहाल, रेमो की फिल्म की सफलता असंदिग्ध है। इस तरह की फिल्म में भावाभिनय नहीं वरन् शारीरिक चपलता का प्रदर्शन होता है और वही सब कलाकारों ने किया है। वे इस फिल्म के आधार पर सर्कस में काम पा सकते हैं परंतु स्कूल ऑफ जिनियस से खारिज हो जाएंगे। बाॅक्स ऑफिस ही सार्थक है और वहां सिक्के बरसेंगे। बरसात के मौसम में वन में मोर नाचते हैं, मौसम उन्हें संगीत की संगत देता है। इस बरसात सिनेमाघरों में मोर न सही चुस्त दुरूस्त शरीर माइकल जैक्सन को आदरांजली दे रहे है ंऔर नाला सोपारा को भी।