नो न्यूज इज गुड न्यूज / जयप्रकाश चौकसे

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नो न्यूज इज गुड न्यूज
प्रकाशन तिथि : 23 दिसम्बर 2019


अक्षय कुमार, करीना कपूर, दिलजीत इत्यादि कलाकारों की फिल्म 'गुड न्यूज' प्रदर्शन के लिए तैयार है। इसका प्रदर्शन पूर्व प्रचार धूम-धड़ाके से जारी है। विज्ञापन अखबार संसार की आर्थिक रीढ़ की हड्डी है। तीन रुपए में बेची जाने वाली हर प्रति की प्रिंटिंग कास्ट ही सात रुपए है और इस घाटे की पूर्ति विज्ञापन द्वारा होती है। दिल्ली से प्रकाशित एक अखबार की प्रतियां इतवार के दिन डेढ़ गुनी अधिक बिकती हैं, क्योंकि इतवार के अंक में विवाह के विज्ञापन होते हैं। इन विज्ञापनों द्वारा समाज के रुझान और पूर्वाग्रह की जानकारी मिलती है। सभी को गोरी वधू चाहिए और ऊंचे कद के बेरोजगार वर चाहिए। बेरोजगारों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि अधिकांश लोग कुंवारे ही रह जाएंगे। गोरी वधुओं की मांग पर ही रंग गोरा करने की क्रीम का व्यापार टिका है। भारत में दुधारू गायों की संख्या से कई गुना अधिक गाय का घी बेचने वाली कंपनी का सच उजागर हो गया है और उसके बड़बोले मालिक आजकल खामोश ही रहते हैं। आजकल वे अपना योगाभ्यास तन्हाई में करते हैं। लाइमलाइट के अभाव में उन्हें जीना दुश्वार लग रहा होगा।

गुजश्ता दौर में किफायत से जीने वाले लोगों ने मुफ्त संवाद का एक तरीका यह खोज निकाला था कि महानगर में नौकरी करने वाला व्यक्ति बिना डाक टिकट लगाए अपनी पत्नी को खत भेजता था और पत्नी उस बैरंग डाक को लेने से इनकार कर देती थी, क्योंकि वह बैरंग खत द्वारा जान गई कि उसका पति महानगर में सकुशल है। पोस्ट ऑफिस की दीवार पर इस तरह के खत लगाने का एक स्थान तय था। उस दौर में डेड लेटर बॉक्स भी होते थे, जहां उन खतों को रखा जाता था, जिनकी डिलीवरी प्रयास करने के बाद भी नहीं हो सकी। खत जिंदा भी होते हैं, मुर्दा भी होते हैं और कुछ कोमा में लंबे समय तक रहते हैं। रवींद्र कालिया के उपन्यास का नाम था 'चिट्टीरसैन'। राजेश खन्ना ने भी एक फिल्म में पोस्टमैन की भूमिका अभिनीत की थी, जिसमें एक गीत था...'डाकिया डाक लाया'। प्रेम पत्रों पर केंद्रित एक प्रस्तावित फिल्म के लिए निदा फाजली ने एक गीत लिखा था। ...'ये खत है कि बदलती हुई ऋतु, नीबू की क्यारी में चांदी के कई कंगन'। एक दौर में पोस्ट मास्टर के मार्फत प्रेम पत्र भेजे जाते थे। राज कपूर द्वारा बनाई गई फिल्म 'आह' में इसी तरह एक प्रेम कथा पनपती है। इस असफल फिल्म में शंकर जयकिशन ने गजब माधुर्य रचा था। इसी तरह के पत्र व्यवहार पर एक फिल्म चंद्र वर्ष पूर्व भी बन चुकी है। आधुनिक टेक्नोलॉजी ने पत्र व्यवहार को लगभग समाप्त कर दिया है। अब मोबाइल पर मैसेज द्वारा इश्क जाहिर किया जाता है। एक फ्रांस की प्रेम कथा इस प्रकार की है कि एक अमीरजादा अपने साहित्यकार मित्र से खत लिखवाकर अपनी प्रेमिका को भेजता था। प्रेमिका का रुझान साहित्य की ओर था। उन खतों से प्रभावित होकर विदुषी उससे विवाह कर लेती है। विवाह के बाद वह जान लेती है कि उसके पति को साहित्य के विषय में कोई जानकारी ही नहीं थी। एक युद्ध में उसका पति मारा जाता है और उसका खत लिखने वाला व्यक्ति भी मारा जाता है, परंतु उसकी मृत्यु के पूर्व उसे सत्य मालूम पड़ जाता है। उस स्त्री का कथन है कि उसने जीवन में एक बार प्रेम किया और दो बार खोया।

कुछ परिवारों ने यह आपसी समझ विकसित की है कि कोई खबर नहीं आना अच्छी खबर है। खबरों को परिभाषित भी सकारात्मक ढंग से किया जा सकता है। मसलन आलू-प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं, परंतु अच्छी खबर यह है कि महंगे ही सही, बाजार में आलू प्याज उपलब्ध तो हैं। छात्र आंदोलन में उत्तम प्रदेश में केवल 16 व्यक्ति मारे गए। उस सरकार के लिए गुड न्यूज यह है कि हजारों के बदले मात्र कुछ लोग ही मरे। औद्योगिक ग्रोथ रेट सुविधाजनक मानदंड लगाने के बाद भी गिरकर 4:00 तक पहुंच गया है। गुड न्यूज यह है कि वह शून्य तो नहीं हुआ। चीन फुट दर फुट हमारी जमीन पर कब्जा जमा रहा है, परंतु गुड न्यूज यह है कि पाकिस्तान के हौसले पस्त हो चुके हैं। व्यवस्था द्वारा चलाए गए दमन चक्र में छात्र मारे जा रहे हैं, परंतु गुड न्यूज यह है कि उनके परिवार के पास अंतिम संस्कार के साधन तो हैं। नागपाश में मीडिया को जकड़ दिया गया है, परंतु गुड न्यूज यह है कि उसका यस गाने वाले पत्रकार अब उनकी आलोचना करने लगे हैं।

एक भ्रामक प्रचार यह है कि कोई विकल्प नजर नहीं आता, परंतु लोगों को याद रखना चाहिए कि नेहरू के बाद राजनीतिक अंधकार के कोने से लाल बहादुर शास्त्री का उदय हुआ और उन्होंने अपना काम बखूबी किया। खत में परिवार के दुख का विवरण देने के बाद लिखा होता है- 'शेष शुभ'। यह शेष शुभ ही गुड न्यूज है।