नौकर / गोवर्धन यादव
दादाजी, आप छॊटॆ-बडॆ हर काम श्याम से ही क्यॊं करवाते हैं, कभी मुझे भी कोई काम करने का मौका तो दिया करें, "
"सुनो राजु, मैंने तुम्हें कितनी बार बतलाया है कि वह हमारा नौकर है, क्या इतनी-सी बात तुम्हारे भेजे में नहीं उतरती, अरे हम ठहरे खानादानी रईस, हमारे हर काम को बजा लाना हमारे नौकरों का फ़र्ज बनता है, फिर हम उन्हें इस बात की तन्खाह भीतो देते हैं,"
" दादाजी, ठीक है, वह हमारा नौकर है, पर अभी उसकी उम्र ही कितनी है? दादाजी कुछ बोल पाते इसके पूर्व श्याम ने कहा:-भाईजी, इतनी छोटी-सी बात के लिए दादाजी से शिकायत नहीं करते, वे जो भी आदेश देते हैं, मुझे उसे पूरा करने में गर्व ही महसूस होता है, फिर हम ठहरे नौकर, नौकर का काम ही है कि वह अपने मालिक की मर्जी के अनुसार काम करे, काम के बदले वे मुझे रुपये भी तो देते है, यदि मैं कोई काम नहीं करुंगा, तो घर का ख़र्च चलाना मुश्किल हो जाएगा श्याम दिन भर वहाँ रहकर कडी मेहनत करता और घर आकर अपनी किताबों की दुनियाँ में खो जाता, प्रायवेट परीक्षा देकर उसने मट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास किया, उसके बाद उसने पीछे मुडकर नहीं देखा और एम, काम, की परीक्षा उत्तीर्ण कर उसने यू, पी, पी, एस, सी की परीक्षा प्राप्त कर एक काबिल अफ़सर बन गया था,
आज वह अपनी मेहनत और लगन के बल पर अच्छा सुखी जीवन जी रहा है।