नौकर / नीरज दइया
- अरे सुणै है कांई, पाणी रो लोटो तो झिला।
रामलाल आपरी लुगाई सूं बोल्यो तो बा सूती-सूती पडूत्तर दियो- आज तो डागळै पाणी लावणो ई भूलगी। फेर बा अपारै बड़ै छोरै नै कैयो- अरे टीकूड़ा, हेठै जाय’र पाणी भर’र लाव देखाण।
टीकूड़ो आपरै छोटियै भाई कानी काम सिरकायो- खेमला ! जीसा खातर हेठै जाय’र पाणी भर’र लाव रे लाडी। खेमलो ई कुणकैयो हो, हाथूहाथ जबाब दियो- म्हनै तो डर लागै. ओ काम तो मुकनी करसी।
अर बैन ई भायां रै माथै बांधै जिसी ही, बोली- म्हनै तो नींद आयगी, भाई थन्नै कैयो थन्नै ई भर’र लावणो पड़सी।
आ गंगरथ सुण’र रामलाल नै रीस आयगी। बो हड़ देणी खुद उठियो अर पगोथियां उतरतो बडबडावण लाग्यो- ओ घर कदैई तरक्की कोनी कर सकै। सगळा रा हाड हराम हुयग्या। सगळा नै बैठा-बैठा खावण नै चाइजै... राम जाणै इण घर रो आगै कांई हुसी...।
इत्तै रामलाल रै कानां में बडगर रा बोल पूग्या- जीसा... मा कैवै- थे उठ तो गिया ई हो तो आवतां जग ई भर’र लाया।
रामलाल पाणी पी परो जग भरियो। पैलो पगोथियो चढ़’र पाछो हेठै उतरियो अर गाळ काढतो जग पाछो ऊंधो कर दियो- म्हैं आं रै बाप रो नौकर थोड़ी लागग्योड़ो हूं...।