न्यूटन का जन्म / आइंस्टाइन के कान / सुशोभित
सुशोभित
न्यूटन का जन्म नियत समय से पूर्व हुआ था। वो एक प्री-मैच्योर चाइल्ड था। साल 1642 के दिसम्बर की पच्चीसवीं तारीख़ को पूरे चाँद की रात थी। आधी रात के बाद जब वूल्सथोर्प में बड़े दिन का उत्सव मनाया जाना आरम्भ हुआ और नॉर्थ विथैम के गिरजे की घंटियाँ गूँजने लगीं, तभी न्यूटन की माँ को प्रसव-पीड़ा शुरू हुई। जच्चाख़ाना दूर था, इसलिए घर पर ही मोमबत्ती के आलोक में न्यूटन की जचगी कराई गई। नवजात शिशु बेहद कमज़ोर था और उसका वज़न कपड़े की थैली से भी कम था। दाई ने घर में काम करने वाली दो औरतों को दवाई लेने के लिए दौड़ाया, लेकिन वो दोनों ना केवल पूरे इत्मीनान से टहलते हुए दवाख़ाना गईं, बल्कि रास्ते में दम लेने के लिए थोड़ी देर बैठ भी गईं। उनका मानना था कि नाहक दौड़धूप करने से क्या लाभ, बच्चा तो वैसे भी नहीं बचेगा। जब वो दवाई लेकर लौटीं तो यह देखकर चकित रह गईं कि बच्चा अभी तक जीवित था!
यह बच्चा फिर इसके बाद 84 और सालों तक जीवित रहा! सत्रहवीं सदी के मानदण्डों पर यह एक बहुत लम्बी उम्र थी। उसने द ग्रेट प्लेग को भी गच्चा दे दिया, जिसने साल 1666 में लंदन की चौथाई आबादी का सफ़ाया कर दिया था। उसे पूरी ज़िंदगी लगभग कोई बीमारी नहीं हुई। अस्सी पार होने पर भी उसकी आँखें और दाँत दुरुस्त थे। उसकी शारीरिक क्षमता अतिमानवीय थी और वह बिना सोये और खाये कई घंटों तक काम कर सकता था।
देखें तो वो 84 की भरपूर उम्र जीकर भी मरा नहीं। साल 2042 में उसके जन्म की 400वीं जयंती मनाने की तैयारियाँ हैं, 1942 में विश्व युद्ध के कारण 300वीं जयंती नहीं मनाई जा सकी थी। न्यूटन-प्रोजेक्ट पर आज भी काम चल रहा है और उसके काग़ज़ात खंगाले जा रहे हैं। मुझे यक़ीन है, उसकी 500वीं जयंती भी बड़ी धूम से मनाई जाएगी, जबकि मेरे जैसों के ज़ेहन पर वह एक प्रेतबाधा की तरह आने वाले हज़ार साल तक मंडलाता रहेगा।
वो, जिसके बाबत ये अंदेशा जतलाया गया था कि जन्म के बाद उसने अगले दिन का सूरज नहीं देखना था!