पंख / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
Gadya Kosh से
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
कितने कुंठित है आप! न जाने कितने लोग आपके पंखों की बदौलत उड़ते हैं और माँगने पर आप उन्हें एक पंख भी नहीं देना चाहते।
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
कितने कुंठित है आप! न जाने कितने लोग आपके पंखों की बदौलत उड़ते हैं और माँगने पर आप उन्हें एक पंख भी नहीं देना चाहते।