पंख / शायक आलोक
एक बार जापान के एक किसी गाँव में एक ऐसी लड़की पैदा हुई जिसकी पीठ पर परियों की तरह दो पंख थे। वह लड़की जबतक जवान हुई तब तक रोज उसके घर के आगे उसे देखने के लिए मेला लगा रहता। उसके पिता ने उसे लोगों कोदिखाकर खूब पैसा कमाया। जब लड़की ब्याह लायक हुई तो पिता को चिंता हुई। उस लड़की के पंख को देख कोई लड़का उससे ब्याह को राजी न होता। परियों वाले पंख उस लड़की के लिए अभिशाप हो गए। तो एक रोज उसके पिता ने उसकेपंख काट दिए और जैसे तैसे उसका ब्याह करा दिया। उसका पति उसे खूब प्रताड़ित करता। वह छुपकर खूब रोती। वह रोज पिता को एक चिट्ठी लिखती। चिट्ठी में बस एक ही बात लिखती। “पिता, पंख भिजवा दो।“.. पिता ने वे पंखअच्छी कीमत पर बेच दिए थे। लड़की रोज ख़त लिखती, पिता कभी जवाब नहीं देते। कहते हैं बीस बरस बाद जब तक वह दो बच्चों की माँ बन गयी थी, उसके कटे पंख फिर पूरी तरह से उग आये। एक रोज वह उड़ गयी। वह कहीं दूर उड़ गयी। उसे उड़ते किसी ने नहीं देखा। पर वह दोनों बच्चो को साथ लेकर उड़ गयी।