पक्षपात / खुदेजा ख़ान
"ये लीजिए, ये फार्म अभी भर दीजिए। जल्दी कीजिए, टाइम नहीं है।" --डाक्टर ने व्यस्तता के साथ फार्म पकड़ाते हुए कहा। शहर का व्यस्ततम नर्सिंग होम। डाक्टर को दम मारने तक की फुरसत नहीं दिख रही थी कि तभी एक नर्स ने तेज़ी से कमरे में प्रवेश करते हुए कहा--"मैडम, लेबर रूम में एक पेशेंट बहुत चीख़-पुकार मचा रही है... चलिए, आप ही उसे समझाइये।"
"समझाना क्या है, उसके हसबैण्ड को बुलाओ, कहाँ है।"
एक हैरान-परेशान युवक सामने आकर बोला--"मैडम, बुलाया आपने?"
"हाँ, आपकी मिसेज का केस नार्मल नहीं लगता। ये लीजिए, फार्म भर दीजिए ताकि आपरेशन की तैयारी शुरू की जाए।" --मैडम ने प्रोफ़ेशनल लहजे में कहा।
"पर मैडम, नौ महीने तक ऐसी कोई जटिलता नहीं आई कि आपरेशन की नौबत आये!"--युवक ने प्रतिवाद किया।
"अरे, आपको तो बहुत नालेज है! फिर घर में ही डिलीवरी करा लेना था...नर्सिंग होम लाने का बेकार कष्ट किया।"--मैडम ने रुक्षता से कटाक्ष किया।
"ओह! आप तो नाराज़ हो गयी...मेरा ये मतलब नहीं था...जब आप कह रही हैं तो ऐसा ही होगा। लाइए, कहाँ है फार्म।"
"ये लीजिए..."
ऐसा लग रहा था—मैडम किसी पंजीयन कार्यालय में फार्म भरवाने का कार्य कर रही हैं। थोड़ी देर बाद मैडम उठकर आपरेशन थियेटर में चली गईं। मरीजों की आवाजाही लगी हुई थी। एक अन्य युवती को डिलीवरी के लिए लाया गया। वहाँ उपस्थित नर्स ने उसी तत्परता से उस युवती के साथ आये हुए व्यक्ति के हाथ में फार्म पकड़ाते हुए कहा--"ये लीजिए, आप तो अभी से फार्म भर दीजिए क्योंकि सिजेरियन तो आजकल नार्मल है, बल्कि नार्मल डिलीवरी अनकामन हो गयी है।"
तभी, दूसरी नर्स ने हस्तक्षेप करते हुए फार्म उसके हाथ से झटक लिया—-"एइ नम्रता! फार्म इधर ला, ये क्या करती है, तुझे नहीं मालूम ये मैडम की सगी भान्जी है, इसे सीजर पर नही, नार्मल डिलीवरी पर लेना है...समझी!"