पछतावा / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

अँधेरी रात में एक आदमी चुपके से अपने पड़ोसी के बाग में घुसा और सबसे बड़ा खरबूजा चुराकर अपने घर ले आया।

उसने जब खरबूजा काटा तो देखा, वह भी कच्चा ही था।

तभी एक विचित्र बात हुई. उसका विवेक जागा और उसे धिक्कारने लगा। अब वह खरबूजा चुराने पर पछता रहा था।