पढ़ते हुए / जयशंकर

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लिख नहीं पाने की अपनी हार और हताशा, शर्म और पीड़ा से मुँह चुराने के लिए आप अपने रैक से कोई पुस्तक निकाल कर पढ़ना शुरू करते हैं। अगर आपके दुर्भाग्य से वह किताब सचमुच की किताब रही तब पढ़ते हुए भी आपकी अपनी व्यथा का विस्तार होता रहता है, आपका अवसाद आकार लेता रहता है।

जीवन में जो अनुभव दुःख देते हैं, जिनके साथ रह पाना असहनीय हो जाता है, उन्हीं अनुभवों को किसी परिपक्व, प्रौढ़ कलाकृति में पढ़ते या देखते हुए गहरी तसल्ली मिलती है।

किसी भी लेखक के भीतर अधूरी आकांक्षाओं के कितने ही प्रेत बसते होंगे। शायद हर लेखक जिस चीज के अभाव को अपनी जिंदगी में पाता होगा, उस चीज को अपनी कृति में पाना चाहता होगा।...हर सच्चा लेखक और कलाकार अपनी तरह से अपनी परिस्थिति, मनःस्थिति और अपनी कृति के बीच संतुलन पैदा करने में सफल होता है।

वैसे तो लिखने का कोई निश्चित नियम कैसे निर्धारित किया जा सकता है ? पर मन में यह संशय उठता रहता है कि लिखने के कर्म की मर्यादाएँ न रहें तो यह कर्म एक अराजक कर्म भी हो सकता है।...हजारों बर्षों की सृजनात्मक चेष्टाओं के आलोक में अपनी रचनात्मक असफलताओं, कल्पना की कमजोरियों और अभिव्यक्ति की गरीबी को देखा जा सकता है।

हम अपने जीवन के किसी आत्मीय हिस्से में बस जाना चाहते हैं, छिप जाना चाहते हैं, रुक जाना चाहते हैं, लेकिन समय की सनक के सामने हम विवश हो जाते हैं। अपने जीवन के उस मार्मिक प्रसंग को भुलाने की तमन्ना के साथ हम उस प्रसंग को अपनी कहानियों-कविताओं में जगह देने की सफल-असफल कोशिश करते हैं। जीने के वक्त की उत्तेजना, अपने लिखे हुए में बहुत कम नजर आती है। कल्पना, अभिव्यक्ति और रचना की असफलताओं से निरंतर संघर्ष और संवाद में ही किसी लेखक को तसल्ली का, निष्ठा का, उम्मीद का कोई अज्ञात ज़ोन नज़र आता होगा। शायद हर लेखक तारकोवस्की की फिल्म Stalker के नायक की तरह एक अज्ञात जोन में जाने का खतरा उठाता होगा।

मैं पिछले तीन बरसों से धीरे-धीरे, डरते-डरते, रोते-थकते हुए उपन्यास लिखने की कोशिश कर रहा हूँ। अभी तक तो कुछ भी हाथ नहीं आया है। न भाषा, न पात्र, न परिवेश और न ही कोई नई बात या संवेदना। मैं सिर्फ लिखता चला जाता हूँ और थकता चला जाता हूँ। कभी-कभी घनी निराशा और हताशा के क्षण आते हैं जब मैं महसूस करता हूँ कि लिखते-लिखते नौ-दस बरस होने को आए हैं और मैं एक अच्छा, जीवंत और सच्चा वाक्य लिख पाने के भी काबिल नहीं बन पाया हूँ। तब यह भी महसूस होता है कि मुझे अपनी लिखने की लालसा और आकांक्षा के बारे में, कभी अपने लेखक हो जाने के स्वप्न के विषय में एक और बार सोचना चाहिए।

जब कोई लिखना चाह रहा हो तो उसके लिए मरे हुए वाक्य से ज्यादा मृत क्या चीज हो सकती है?

अपने लिखे हुए में कुछ महत्वपूर्ण होना चाहिए, अपनी कृतियों की निजी, विशिष्ट और जीवंत दुनिया होनी चाहिए।...ऐसा कुछ भी लिख सकूँ इसके लिए मुझे साधना करनी चाहिए, प्रतीक्षा करनी चाहिए और मैं अभी तक इन दोनों ही चीज़ों से अपना सहज रिश्ता नहीं बना पाया हूँ. ये दोनों ही चीजें मेरे लिए सिर्फ शब्द हैं।

प्रेम के ज्वर के उतरने के बाद, हम अपने आप को अत्यधिक नंगेपन के साथ देख पाते हैं : उन दिनों की रोशनी में ( जब हम प्रेम कर रहे होते हैं ) अपना self एक दयनीय, हारा हुआ और अनाथ व्यक्तित्व लिए लौटता है - कभी-कभी ऐसा, उस सुरक्षित जीवन के न मिल पाने से होता है, जिसकी आकांक्षा हम प्रेम करते हुए, साथ रखे हुए थे। क्या हमें प्रेमी के साथ-साथ उस सुरक्षा की भी आकांक्षा होती है ( संभवतः हम उस सुरक्षा से भी प्रेम कर रहे होते हैं ) जो हमें उसके साथ, स्थायी रूप से बस जाने में मिलती है ? -- Marguerite Duras का उपन्यास The Lover पढ़ते हुए, इन सभी मुद्दों पर सोचता रहा -- प्रेम और यातना के अनिवार्य अंतर्संबंध की ईसाइयत की अवधारणा पर सोचता रहा --बहुत पहले पढ़ा हुआ इटालवी लेखक पावेसी का वाक्य जेहन में कौंधा -- Life is pain and the enjoyment of love is an anaesthetic.

ज्वायस की कहानी - The Dead - प्रेम के मेलंकलिक विजडम, प्रेम के सौंदर्य, रहस्य और सुख की पहचान करानेवाली कहानी है। कुछ कहानियाँ दुःख के बारे में होती हैं, कुछ कहानियाँ सुख के विषय में, परंतु कुछ कहानियाँ होती हैं, जो एक विराट सत्य से हमारा परिचय कराती हैं - ज्वायस की यह कहानी प्रेम के सत्य को खोजती हुई ऐसी ही एक कहानी है। गेब्रियल की पत्नी जिस युवक और सर्दियों की रात के बारे में बताती है, उसे पढ़ते हुए मन में कितनी पवित्र स्मृति जन्म लेती है!


Carson McCullers का उपन्यास The Member of the Wedding पढ़ कर समाप्त किया। इसे पढ़ते हुए मैंने अपने लिए एक और अनिवार्य, आत्मीय और असाधारण लेखक को खोजने का सुख पाया। पहली नजर में एकदम सपाट गद्य, किंतु भीतर ही भीतर एक तरह की कलात्मक जटिलता लिए हुए। दिल्ली में एक शाम निर्मल जी ने इस लेखिका को पढ़ने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि इनका एक उपन्यास पढ़ने के बाद ही मुझमें ‘लाल टीन की छत' लिखने का विचार आया था।

आयरिश लेखक Frank O'Connor की कहानियाँ साधारण परिवेश की असाधारण सच्चाइयों को गहरी कलात्मकता के साथ खोलती हैं। अपने कुत्ते की मृत्यु पर मास का आग्रह लिए हुए पादरी से मिलनेवाली बुढ़िया, ईश्वर के अस्तित्व पर चिंतित कैथलिक लड़का, मोपांसा पर मुग्ध वेश्या के पास गए हुए बुद्धिजीवी का जीवन --ये कहानियाँ चेखव की उन उदास कहानियों की ओर ले जाती हैं जिन्हें मैं बरसों से पढ़ता रहा हूँ।

तोलस्तोय की कहानी The Death of Ivan Ilyitch का अंतिम हिस्सा पढ़ते हुए आँखें डबडबा गईं। इवान इलिच का अपने जीवन के अधूरेपन से साक्षात्कार, अपनी असफलता की गहरी पीड़ा, बचपन की मासूम स्मृतियों में उसका लौटना --बरबस ही तोल्स्तोय के लेखन की गहरी मानवीयता के प्रति श्रद्धा जगाता है। हाल ही में उनकी कहानी What Men Live By भी पढ़ी। इन दिनों उन कहानियों को सिलसिलेवार ढंग से पढ़ने की सोच रहा हूँ, जिन्होंने समय-समय पर मुझको प्रभावित किया है - इसी के तहत तुर्गनेव की First Love और दोस्तोयेवस्की की White Nights भी पढ़ गया।


अपने प्रिय पाँच शब्दों को याद करते हुए उन्हें अलग-अलग ढंग से व्यवस्थित करता हूँ : प्रकृति, प्रार्थना, प्रतीक्षा, प्रेम और प्रवास। क्या ही अच्छा होता, मैं इन शब्दों के साथ-साथ प्रूस्त को भी याद करता, रख पाता।


मिलेना को लिखे गए काफ्का के पत्रों को पढ़ता रहा। बहुत दिनों पहले उनके फेलिस को लिखे गए पत्रों की पुस्तक पढ़ी थी। हाल ही में Conversations with Kafka पढ़ते हुए उनकी पर्सनल रायटिंग को पढ़ने की इच्छा का विस्तार हुआ और मैंने उनकी डायरी व पत्रों को पढ़ना शुरू किया। जिस लेखक के लेखन में बीसवीं शताब्दी के यूरोप के मनुष्य की हताशा का इतना truthful vision दिखाई देता है, वह अपने जीवन में भी अपनी घनघोर यातना और उसकी नियति को पहचानने की कोशिशें करता रहा था। मिलेना के साथ अपने संबंधों के गहरे होने की प्रक्रिया में जितने भी बाधक तत्व थे, वे उन्हें कितनी क्रूरता के साथ देखते थे और कितनी सहृदयता के साथ, मिलेना को लिखते थे !


स्टीफन ज्विगग का उपन्यास Beware of Pity पढ़ रहा हूँ। उनके इस मार्मिक उपन्यास को पढ़ना एक अवर्णनीय और काव्यात्मक अनुभव में उतरना है। उनकी कहानियों की तरह, इस उपन्यास में गहरी मानवीयता और उनकी असाधारण अंतर्दृष्टि बाँधती है। हालाँकि बाहर के मौसम का संताप, ज्विग ग के उपन्यास को पढ़ने के सुख से धुलता रहता है।


अपने निबंधों की पुस्तक Less Than One में ब्रॉडस्की ने निष्कासन के दिनों के बारे में लिखते हुए अपने बूढ़े माँ-बाप को उन दो कौओं को देख याद किया है जो एक पराए देश के मकान में रहते हुए उन्हें करीब के एक पेड़ पर अक्सर मिल जाते थे।

Isaac Bashevis Singer का उपन्यास Enemies हरमन नाम के यहूदी घोस्ट रायटर के जीवन के अतीत और वर्तमान का अंतर्द्वंद्व, सिंगर के गद्य का मोहक विस्तार और उनके पात्रों की ट्रेजिक परिस्थितियाँ, उनके मेटाफिजिकल प्रश्नों का तनाव और उनके राजनैतिक अनुभवों की पीड़ा...उनका यह उपन्यास भी उनकी दूसरी पुस्तकों की तरह पठनीय और मर्मस्पर्शी लगा। वे जिस तरह अपने परिवेश, अपने पात्र और अपनी भाषा का अंतर्संबंध क्रिएट करते हैं, वह इधर के समकालीन लेखन में rare होता जा रहा है।

‘ क्राइम एंड पनिशमेंट’ में जब रसकोलनिकोव सोनिया के घर में पहली बार जाता है और उन दोनों के बीच संवाद होता है, वह दृश्य मुझे हमेशा ही बाँधता रहा है। रसकोलनिकोव का यह कथन कि I did not bow down to you, I bowed down to all the suffering of 'humanity' ..***