परदे के सामने जयप्रकाश चौकसे / रितु पांडे शर्मा
दैनिक भास्कर के प्रसिद्ध कॉलम 'परदे के सामने' के सूत्रधार आदरणीय श्री जयप्रकाश चौकसे जी की इस घोषणा ने आज उनके लाखों पाठकों को हिलाकर रख दिया है। उम्र और बीमारी का तकाज़ा है। पिछले 26 बरस से गतिमान क़लम को अब कैंसर ने इस क़दर जकड़ लिया है कि पूरा पाठकसमूह इस खबर से स्तब्ध है। लेकिन विचार प्रक्रिया कुछ गहरी बात है, जहां तक कोई बीमारी नहीं पहुंच सकती।
मेरे लिए तो अब अखबार का ज़्यादा मूल्य नहीं, कभी रहा भी नहीं। सूचनाएं तो हर जगह उपलब्ध हैं, मोल भाव कर लो मिल ही जाएंगी। अखबार को समृद्ध बनाने में उनके इस कॉलम का योगदान अनमोल है। लेखक के विचार किसी के जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं और नई दृष्टि भी मिल सकती है। यह उन्होंने प्रमाणित किया। तथ्यों से कुछ इतर, गहराई में गोता लगाने वालों के लिए सत्य के मोती खोजने की प्यास और आस, आज पीड़ित हुई है।
चौकसे सर हार न मानने वालों में से हैं, लेकिन इस माटी की देह का अपना विधान है, समय का चक्र है। धन्य है उनकी स्मृति, जो उनके ज्ञान भंडार से सूचनाएं लाकर , अमूर्त को अभिव्यक्त करने में सदैव सहायक रही है..अब तक..
चौकसे सर के लिए ईश्वर से स्वस्थ होने की हृदय से प्रार्थना