परिवर्तन / अनिल जनविजय

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मन्त्री बनने के पूर्व नेता जी पुत्र को अपव्यय करने से रोका करते । कहते — बेटा ! यह हमारी जनता का धन है, हमें इस धन का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए।

मन्त्री बनने के उपरान्त नेता जी ने एक बहुत पार्टी दी। जिसमें बीसियों तरह के पकवान बनाकर परोसे गए तथा ख़ूब सजावट की गई।

मन्त्री जी के पुत्र ने जब धन के इस दुरुपयोग पर आपत्ति प्रकट की तो मन्त्री जी बोले — बेटा ! यह अपना पैसा थोड़े खर्च कर रहा हूँ। यह तो जनता का धन है और जनता बहुत अमीर है।

पुत्र अवाक् सा सोचता ही रह गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि जो जनता कुछेक दिन पूर्व तक ग़रीब थी, वह इतनी जल्दी अमीर कैसे हो गई।