पसीने की कहानी / अशोक भाटिया

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एक बहुत अमीर आदमी था। उसके पास बहुत बड़ा राजमहल था। देशी -विदेशी लंबी कारें थीं। एक और दो नम्बर की अकूत संपत्ति थी। जीवन में सुख की खोज मानो उसी ने की थी। लेकिन उसकी एकमात्र समस्या थी कि उसे पसीना बहुत आता था। घर में एयर कंडीशनर लगे थे, फिर भी घर से बाहर निकलने या पाखाना जाते समय, वह पसीने से नहा उठता था। उसकी आस्तीनों और पैरों के नीचे से पसीना बहुत निकलता था। ऐसे में उसके कपड़े और परफ्यूम सब बेकार हो जाते थे। वह सोच में डूब गया... इस पहाड़ जैसी परेशानी को कैसे दूर करे। दसों दिशाओं में खास आदमी दौड़ाये गये। कई तरह की दवाएँ आजमा कर देख लीं, पर पसीना जस का तस था। धीरे-धीरे ठाट-बाट में उसकी रूचि कम होती गई। उसकी चिंता बढ़ती गई, उसकी सेहत गिरने लगी।

आखिर उसके मंत्रियों ने आपात-बैठक करके एक उपाय निकाला। सारे राज्य में विज्ञापन करवा दिया कि जो उसका पसीना बहना बंद कर देगा, उसे मुँह-मांगा इनाम दिया जाएगा।

कई वैद्य और डॉक्टर आये। सभी ने अपनी-अपनी समझ से उसके लिये दवाएँ बना कर दीं, पर उसका पसीना था कि बंद होने का नाम ही न लेता था।

इसी चिंता में वह दिनों-दिन सूखता चला गया। आखिर एक दिन उसकी मृत्यु हो गई। तब कहीं जाकर उसको पसीना आना बंद हआ।