पहनावा / सपना मांगलिक

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मिसेज वर्मा सोसायटी की सभी नवयुवतियों के आधुनिक पहनावे पर मौका मिलते ही तंज कसना शुरू कर देती थीं। बेचारी लड़कियां और उनकी मांए मिसेज वर्मा के इस व्यवहार से बहुत आहत और शर्मिंदा महसूस करती। मगर मिसेज वर्मा तो आदत से मजबूर थीं।आज भी वह स्वीटी और मिंकू को जींस टॉप में कालेज जाते देख मुंह बनाते हुए जोर से बडबड़ाइ "देखो तो कैसे कपडे पहने हैं, फिर लड़कों को दोष देते हैं? बेहयाई की तो हद कर रखी है इन लड़कियों ने उन्हह, मैं तो अपनी सुमन को कभी ऐसे कपडे न पहनने दूं"।एक मेरी सुमन को तो देखो कितने शालीन कपडे पहनती है कोई व्यर्थ की हंगामेबाजी नहीं जितना पूछो उतना ही जवाब देती है और आजकल की यह लडकिया...।बडबडाती हुई मिसेज वर्मा वापस घर के अन्दर साफ़ सफाई करने में व्यस्त हो गयीं आधुनिक लड़कियां एवं उनके पहनावे को कोसना जारी था। ऐसे ही सफाई करते करते उनकी नज़र सुमन के कमरे में रखे डस्टबिन पर पड़ी तो मिसेज वर्मा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी क्योंकि डस्टबिन से झांकता आई पिल का रैपर उन्हें पहनावे और परवरिश का फर्क समझा रहा था।