पहर दोपहर ठुमरी / प्रत्यक्षा

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पहर दोपहर ठुमरी
Pahar dopahar.jpg
रचनाकार प्रत्यक्षा
प्रकाशक हार्पर कोल्लिन्स इंडिया
वर्ष 2010
भाषा हिन्दी
विषय इन्नर लैंडस्केप्स की कहानियाँ
विधा कहानियाँ
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर गद्य कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।


“ Pahar Dopahar Thumri is exploration of the human psyche against the backdrop of modern life, language and sensibilities.” आपके बुक के परिचय में ये लाइन लिखी गयी हैं ।

ये किताब इन्नर लैंडस्केप्स की कहानियाँ हैं , मन के भीतरी रेशों और अंतरद्वंद की , आंतरिक उल्लास और दर्द की । लेकिन इनका भूगोल आज का समय है । कहानी के पात्र इसी दुनिया में विचरते हैं और इसलिये उनके परसेप्शनंज़ आज के समय के प्रेशर्ज़ और तनाव को झेलते हुये अपना स्वरूप गढ़्ते हैं | इस लिहाज़ से ये कहानियाँ आधुनिक समय की कहानियाँ हैं ।

कई कहानियाँ हैं जो पत्रिकाओं में छप चुकी हैं , जैसे हंस , नया ज्ञानोदय, वसुधा, इंडिया टुदे, कथाक्रम, परिकथा इत्यादि ।