पहला काम / कांग्रेस-तब और अब / सहजानन्द सरस्वती
इस सम्मेलन का दृढ़ विश्वास है कि संयुक्त उग्रदली मोर्चे को मजबूत बनाने के लिए पहला काम जो सबसे जरूरी है, वह यह है कि मेहनतकशों और जनता के जनसंगठनों को एक किया जाये और उन्हें मजबूत बनाया जाए। इसलिए यह निश्चय किया जाता है कि─
1. अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस को ट्रेड यूनियन का एकमात्र केंद्र बनाया जाए और सभी पार्टियाँ उसको राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस तथा सोशलिस्ट ट्रेड यूनियन सेंटर के फूटवादी हमलों से बचाएँ और मजबूत करें। इस सम्मेलन में भाग लेनेवाली पार्टियाँ ट्रेड यूनियन कांग्रेस में पूर्ण ऐक्य बरतें और अपने मतभेदों को आपसी समझौते से सुलझावें।
2. एक ही किसान सभा हो जिसमें सम्मेलन में शामिल सभी पार्टियाँ मिलकर मित्रतापूर्वक काम करें। शामिल पार्टियों के किसान प्रतिनिधि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए रास्ता निकालने के लिए जितनी जल्दी हो मिलें।
3. एक ही संयुक्त विद्यार्थी संगठन हो। पिछले साल कायम विद्यार्थी एकता-बोर्ड से इसके लिए अनुरोध किया जाता है कि एक एकता सम्मेलन बुलायें और विभिन्न विद्यार्थी संगठनों को मिलाकर एक करने के लिए जरूरी कदम उठावें।
सम्मेलन में शरीक सभी पार्टियाँ इकरार करती हैं कि एकता की रक्षा के लिए वे किसी भी संयुक्त सभा या प्रदर्शन में एक दूसरे की आलोचना या एक-दूसरे पर छींटाकशी न करें और उनका प्रचार संयुक्त उग्रदली मोर्चे के फैसले और कार्यक्रम के दायरे में सीमित रहेगा।
अलग-अलग हर पार्टी को जनता के सामने अपना पूरा कार्यक्रम पेश करने की आजादी रहेगी लेकिन इस आजादी में संयुक्त मोर्चे के कार्यक्रम की आलोचना नहीं शामिल है। एक-दूसरे की आलोचना केवल राजनीतिक सतह पर ही की जा सकेगी-व्यक्तिगत दोषारोपण, द्वेषपूर्ण आरोप, किसी की नीयत के बारे में कीचड़ उछालनी और तथ्य को तोड़ना-मरोड़ना आदि बातें बिलकुल नहीं होनी चाहिए।