पांगळी संवेदना / रामस्वरूप किसान
सियाळो हो। दिनगै-दिनगै रो टेम। म्हैं नोहर रै शिवाजी बस-अड्डïै री ठंडी बैंच पर बैठ्यो सूरतगढ़ जावण वाळी बस नै उडीकै हो। बस चालण में अेक घंटा पड़ी ही। बैठ्यै-बैठ्यै रो ध्यान साम्हीं दूर रेलगाडी री लैण कन्नै खड़्यै आदमियां पर चल्यो गयो। जठै तीस-पैंतीस मिनखां गोळ घेरो-सो बणा राख्यो हो। बठै म्हनै बै कीं देखता-सा लाग्या। म्हनै सक हुयो, बठै कीं है। म्हारै ई देखण री हूंस जागी। बस आगै टेम पड़्यो हो। म्हैं काख में बैग घालÓर देखण सारू चाल पड़्यो। लोग देख-देख पाछा आवै हा अर देखण सारू जावण वाळां रो ई तांतो बंधर्यो हो। म्हैं आधींटैÓक पूग्यो। मन में थ्यावस नीं राख सक्यो। साम्हीं आवण वाळै अेक आदमी सूं पूछ्यो-, 'के मामलो है बठै?Ó 'मामलो के है। क्यामी फोड़ा देखो। अेक आदमी मर्यो पड़्यो है।Ó उण चालतै-चालतै कैयो। थम्यो कोनी। म्हारा पग जाम हुग्या। 'आदमी?Ó म्हारै मूं सूं निकळी। 'हां, अचंभाळी के बात है। कणी मार गेर्यो।Ó दस पांवडा री छेती सूं उणी आदमी रा बोल म्हारै काना पड़्या। पण बो थम्यो कोनी। चालतो-चालतो ई दो बोल फैंकग्यो। अर इण लैÓजै में जाणै कीं हुयो ई कोनी। आदमी ई तो मर्यो है। के गधी नै धांसी हुगी। आ झलकै ही उण रै बतावण रै ढंग सूं। म्हारै अचंभै रो ठिकाणो नीं रैयो। सोच्यो, कित्ती मामूली हुगी आदमी री मौत। कित्तो सस्तो हुग्यो आदमी रो जीवन। कित्तो माड़ो आग्यो जुग। फगत भाजा-दौड़ी ई भाजा-दौड़ी। किणी नै ई दो पग थामण रो फोरो कोनी। स्वार्थ री पोटळी सिर पर चक्यां भाजी बगै दुनियां। आं भावूं कोई मरोÓर जीओ। सगळां रै आप-आप री लाग री है। अचाणचक म्हारै काळजै में झटको-सो लाग्यो। म्हनै हरेक आदमी रै भीतरलो आदमी मर्योड़ो दिख्यो। संवेदना री मौत रो पड़बिम्ब म्हारी आंख्यां आगै मंडग्यो। म्हनै उण आदमी री मौत सूं बेसी उण री मौत रै बारै में बतावण वाळै रै लैÓजै पर अफसोस हो। म्हैं मन ई मन गाळ काढी-'स्साळो संवेदनहीण!Ó म्हैं कांपतै काळजै खुरड़ा घींसतो-घींसतो उण ठोड़ पूग्यो जठै बो आदमी मर्यो पड़्यो हो। लोगां रो आणो-जाणो चालू हो। जित्ता मूं उत्ती ई बात। म्हैं उण नै गौर सूं देख्यो। छ: फुट लांबो गबरू लोही सूं लथपथ। पूरो डील पानैदार औजार री चोटां सूं अट्यो पड़्यो हो। उण रै साÓरै ई अेक पासै झोळो पड़्यो हो। जिण में गाबो-लत्तो अर कीं समान हो। झोळै रै नजीक लाठी पड़ी ही। बा पूरी जगां जुद्ध रो-सो मैदान लागै ही। जकी में जगां-जगां खून रा छींटा पड़्या हा। जगां पगंा सूं कोजी तरियां गाÓईज्योड़ी पड़ी ही। ओ सगळो दरसाव साबित करै हो कै उण गबरू पूरो मुकाबलो कर्यो है। लड़तो-लड़तो मर्यो है। मरणो ईं सारू पड़्यो कै बै घणां अर ओ अेक हो। म्हैं उण रै जुझारूपणै पर भावुक हुग्यो अर आंख पूंछतो बस अड्डïै कानी चाल पड़्यो। बस चालण में अजे आधी घंटा और पड़ी ही। म्हैं काखां में हाथ घालÓर तावड़ो करण लागग्यो। म्हारै मगज में बा ई घटना गेड़ा काटै ही। सोचै हो, लोग कित्ता पत्थर दिल हुग्या। भर्यै सैÓर कत्ल हुगी। कोई नीं बचा सक्यो इण जुवान नै। मर्योड़ा है स्साळा सगळा। बस-अड्डïै पर भीड़ बधै ही। होळै-होळै बस-अड्डïो मेळै रो रूप धारै हो। सैÓरां-गांवां सूं बसां रो आवणो सरू हुग्यो। कानी-कानी बिसलां बाजै ही। कंडक्टर बसां नै ठिकाणै लगाणै सारू ड्राईवरां नै साइड बतावै हा। बसां आगै-पूठै चालÓर कंडक्टर री बिसल रै संगीत पर आप रो ठायणो पकडै़ ही। महानगरां सूं आवण वाळी लम्बै रूट री बसां अड्डïै रै खुलै मैदान में भोत तेज रफ्तार सूं गोळ घेरै पर मुडै़ ही। काखां में बैग घाल्यां जगां-जगां सवारियां रा झूलरा खड़्या हा। चालती बसां में लारै भाज-भाज लोग चढै हा। बस अड्डïो पूरो गतिसील हो। पण इसै में म्हारो ध्यान तो अेक अजीब दरसाव मेें फंस्योड़ो हो। ओ अजीब दरसाव म्हारै जी रो जंजाळ बण्यो खड़्यो हो। ले-धे काळजै में खोद-सी लागै ही। म्हैं बस इत्तो ई सोचै हो- करूं तो के करूं? करणो चइयैÓक नीं? करणो आछो हैÓक माड़ो, आ तो तय कोनी ही, पण नीं करणो भोत बडो कायरपणो है। अर ओ कायरपणो ता उमर सालतो रैÓसी। अर फेर, फगत कायरपणो ई कोनी, ओ काम नीं करणो अेक तरह री हिंसा ईज है। म्हैं हिंसक हूं! आ बात सोचतां ईं म्हारो जी हालग्यो। पण फेर ई म्हैं स्टेयरिंग पर बैठ्यै उण ड्राईवर नै हेलो नीं मार सक्यो जकै री स्टार्ट बस तळै बा नान्हीं-सी ऊंदरी कूदती फिरै ही। ड्राईवर गैÓर लगा दियो। पण बे्रकां सूं पग नीं हटाया। ऊंदरी टैरां नै सूंघती फिरै ही। म्हनै रीस-सी आई- स्साळी आ ऊंदरड़ी इण बसड़ी तळै सूं निकळै क्यंू कोनी। पण दूजै ई पल सोच्यो, अठै सूं निकळÓर के बच सकै? किणी दूजी बसड़ी तळै रगड़ीज जासी। सैंकड़ूं बसां री भीड़ में कीकर बचैगी आ। इणी बीच बा खेलती-खेलती दूजी बस तळै जा बड़ी जकी उणी बस रै पसवाडै़ चिपी खड़ी ही। म्हैं सोच्यो रांद कटी। क्यूं कै बा बस कई देर सूं चालसी। इण तळै रैंवती तो मसळीज जांवती। अर आ तो सधगी कै इण बस रो ड्राईवर बे्रकां पर काठा पग देयÓर तळै खड़्यै आप रै, अेक साथी सूं बतळावै। नीं तो कदेन रो ई चिपलो बण ज्यांवतो। आं बिच्यारां साथै म्हंै नचीतो हुयो ई हो कै बैरण नाचती-नाचती भळै उणी बस तळै आयगी। अबकाळै म्हारो जीव हालग्यो। सोच्यो, बचै कोनी। कुण है इण नै बचावणियो। काळजो करड़ो करÓर सोच्यो, ड्राईवर नै हेलो मारूं? पण दूजै ई पल अेक हीण भाव म्हारै मूं आगै हाथ दे दियो। सोच्यो, लोग हांससी, 'कित्तो भोळो आदमी है। आदम जुग रो। इण परमाणु जुग में चुस्सी नै बचांवतो फिरै। जठै आदमी तकाल कुत्तै री मौत मरण लागर्या है।Ó ड्राईवर ई झिड़क सकै। सौ थोक कैय सकै। म्हैं पाछो ई काळजो करड़ो कर लियो। अर धूजतो-धूजतो होणी रो इंतजार करण लागग्यो। ड्राईवर सूत भर ब्रेक ढीला कर्या। बस कीड़ी री चाल सरकी। च्यारूं चक्कां सूं अळगी बस रै अैन तळै ऊंदरी ई कूदती बगै ही। म्हारो काळजो ई कूदण लागग्यो। पण इतराक में अेक पाको-सो आदमी बेओसाण भाज्यो आयो अर होळै-होळै सरकती बस रो स्टेयरिंग पकड़ लियो। ड्राईवर रै पगां री दाब अेकदम ब्रेकां पर बधगी। बस बठै ई जाम होयगी। बो आदमी बस रै तळै बड़्यो अर दूजै ई पल पाळै सूं कांपती ऊंदरी नै हथेळी पर लेयÓर निकळग्यो। म्हारै काळजै में ठंड-सी पडग़ी। पण जद म्हैं उण नै गौर सूं देख्यो तो म्हारा तिराण फाटग्या। ओ बो ई आदमी हो जकै नै म्हैं संवदेनहीण री गाळ काढी ही। म्हैं म्हारी पांगळी संवेदना नै खांदै चकÓर अणमणो-सो बस में बैठग्यो।