पांच सितारा होटल में 'कैद' विधायक / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :17 जनवरी 2019
फिल्म में किसी रईस के घर की शूटिंग पांच सितारा होटल के बैंक्वेट हॉल, शयन कक्ष या स्वागत कक्ष में की जाती है, क्योंकि पांच सितारा होटल का किराया देने में उतना महंगा सेट लगाने से कम खर्च होता। बाबूराम इशारा पहले फिल्मकार थे जिन्होंने भव्यता के दृश्य रईस के बंगले में शूट किए। मुंबई के जुहू क्षेत्र का एक बंगला तो इतना लोकप्रिय था कि उसमें शूटिंग के लिए अग्रिम सूचना और रकम जमा करनी पड़ती थी। हालात ऐसे भी बने कि बंगले के मालिक का परिवार एक दिन के लिए होटल के रूम में रहने चला जाता था, क्योंकि शूटिंग के लिए बंगला देने पर बहुत अधिक धन मिलता था। खबर है कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण के समय कुछ विधायक दल बदलकर सरकार के खिलाफ मतदान कर सकते हैं। अतः इन विधायकों को पांच सितारा होटल में भेज दिया जाता है। जहां वे मनचाहा भोजन करते हैं। प्यास लगने पर शैम्पेन पीते हैं। कुछ लोग बीयर से स्नान करते हैं। सरकार बचाने के लिए बहुत धन खर्च किया जाता है। फिर उस धन की वसूली अवाम से की जाती है गोयाकि अवाम के धन से ही शैम्पेन पी जाती है और बीयर से स्नान किया जाता है। ज्ञातव्य है कि बालों को रूसी से मुक्त करने के लिए बीयर से धोने की सिफारिश की जाती है। पांच सितारा होटल के बाथरूम में भांति-भांति की सुविधाएं होती हैं और बाथ टब भी होता है। पहली बार पांच सितारा होटल में आए मेहमान को ये सुविधाएं आश्चर्यचकित करती हैं। वह बाथ टब में गुनगुना पानी तो भरता है परंतु किस बटन को दबाने पर पानी का आना रुक सकता है, इसका ज्ञान नहीं होने पर पानी बहता हुआ शयनकक्ष तक आ जाता है। पांच सितारा सुविधाओं की आदत नहीं होने पर बहुत समस्याएं सामने खड़ी हो जाती हैं। सहूलियतों की आदत होना आसान नहीं है। ग्वालियर निवासी रेणु शर्मा की कविता इस तरह है- 'वो अंधेरे मेरी सहूलियत थे/ कैसे बरसी में उजालों में/ कौन आवाज दे रहा है मुझे/ दूर चाय के उन प्यालों से/ किश्तों किश्तों में बनी आखिर याद आई तो किन खयालों से/ अब इस शहर की रोशनी किसी काम की/ आंखें जो छोड़ उनकी गली में...'
पांच सितारा होटल में खाली गिलास मंगाने पर प्रति गिलास 10 रुपए देने होते हैं, क्योंकि उन्हें रोगाणु से बचाने के लिए गर्म पानी से धोया गया है। वाष्प से भी भी कीटाणु मुक्त किया जाता है। अत: जिस विधायक को अय्याशी का अभ्यास नहीं वे पांच सितारा होटल में अत्यंत असहज हो जाते हैं। पांच सितारा होटल के हर कक्ष में एक फ्रिज होता है, जिसमें महंगी चॉकलेट, बीयर, इत्यादि रखे होते हैं। इनमें से कोई भी चीज मुफ्त की नहीं होती। उनके उपयोग करने वाले की बिल में यह रकम जोड़ दी जाती है। इसलिए बिल अदा करते समय कुछ देरी लगती है, क्योंकि स्टाफ इस्तेमाल की गई चीजों की जानकारी कैशियर को दे रहा होता है।
पांच सितारा होटल की संरचना कुछ हद तक भारतीय समाज की तरह है। कमरे से आए हुक्म के मुताबिक सारा खाना ले जाने वाला वेटर, अपने परिवार के लिए इस तरह का भोजन कभी नहीं दे नहीं पाया। इसका कितना मलाल उसे कचोटता होगा। ज्ञातव्य है कि काम की पारी समाप्त होने पर घर जाने वाले वेटर की तलाशी ली जाती है। वेटर व सफाई कर्मचारियों को काम पर आते ही अपना साफ सुथरा कलफ लगे यूनिफॉर्म पहनना होता हैं। छुट्टी होने पर वे अपने मैले कपड़े पहन लेते हैं। पांच सितारा कमरों के इस्तेमाल किए गए तौलिये, बिस्तर पर बिछी चादरें इत्यादि लॉन्ड्री भेजे जाते हैं। ये सारे खर्च ग्राहक के बिल में जुड़े होते हैं। समाज का श्रेष्ठ वर्ग मध्यम वर्ग और सर्वहारा वर्ग तीनों ही पांच सितारा होटल में अलग-अलग भूमिकाओं में मौजूद होते हैं।
पांच सितारा होटल के उदय होते ही वेश्यालयों पर बुरा असर पड़ा। कॉल गर्ल झमेले का प्रारंभ हुआ। जिसके तहत कन्या होटल कक्ष में आ जाती है। इन कन्याओं को भद्र महिलाओं की तरह पोशाक पहनकर ही पांच सितारा होटल में प्रवेश मिल सकता था। गोयाकि वेटरों की तरह ही इन्हें भी चमकीलें वस्त्र कुछ समय के लिए उपलब्ध किए जाते हैं। पांच सितारा होटलों में वस्त्र व्यक्ति को पहनते हैं, व्यक्ति वस्त्र धारण नहीं करता।
आर्थर हैले के उपन्यास 'होटल' और शंकर के लिखे उपन्यास 'चौरंगी' में पांच सितारा अप-संस्कृति का विस्तार से वर्णन किया गया है और इन उपन्यासों से प्रेरित फिल्में भी बनी हैं। पांच सितारा होटलों में ग्राहक भोजन कम करते हैं और प्लेटो में छोड़ा गया भोजन इंसिनरेटर द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। एक तरफ यह अपव्यय है तो दूसरी तरफ भूख से बेहाल लोग हैं। इस आर्थिक खाई में गर्क हो रहे मुल्क के हुक्मरान कितने जालिम हैं।