पाक विधा और सिनेमा मनोरंजन / जयप्रकाश चौकसे

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पाक विधा और सिनेमा मनोरंजन
प्रकाशन तिथि :20 फरवरी 2015


दुनिया के सारे देशों में कुछ चैनल भोजन पकाने की कला पर कार्यक्रम करते हैं और पर्यटन से जुड़ा एक अंतरराष्ट्रीय चैनल तो हर देश के भूगोल, इतिहास के साथ वहां के पाक-शास्त्र पर लंबा कार्यक्रम देता है। भोजन से प्रेम करने वाले लोगों का यह प्रिय चैनल है, नाम है 'टी.एल.सी'। यह हमारे अनेक सितारों का प्रिय चैनल है। प्राय: लेखक और फिल्मकार अपने सृजन से जितना प्रेम करते हैं, उतना ही भोजन से भी करते हैं। कपूर परिवार का भोजन प्रेम बड़ा चर्चित रहा है। जब मैं राजकपूर भोपाल में पाये नहीं खिला पाया तब इस घटना के तीन वर्ष पश्चात हैदराबाद में मुझे आधी रात उठाकर वे एक गली में पाये खिलाने ले गए। पाये नामक भोजन डिश को अंग्रेजी में ट्रोटर्स कहते हैं। संजीव कुमार तो अपने भोजन प्रेम के कारण ही कम उम्र में ईश्वर को प्यारे हो गए। भोजन प्रेमी दो प्रकार के होते हैं। एक चटोरे, जिनकी इच्छा मात्र चखने की होती है। दूसरे पेटू, जो बहुत अधिक खाते हैं।

अंग्रेजी में गारमे और इपिक्योर या गारमेंड शब्द पेटू और चटोरे का अंतर बताते हैं। पाक शास्त्र पर अनेक किताबें प्रकाशित होती हैं और भारत में तो राजा, महाराजा और नवाबों के भोजन पर किताबें प्रकाशित हुई हैं। इस शास्त्र की पाठशालाएं भी हैं और पांच सितारा होटल में प्रमुख रसोइए का वेतन प्रतिमाह पांच लाख रुपए तक होता है। कोई होटल अपनी इमारत और सजावरट के लिए प्रसिद्ध होती है तो कुछ अपने भोजन के लिए। आश्चर्य की बात है कि मारवाड़ी भोजन के विशेषज्ञ कोलकाता से अधिक बनारस लखनऊ में होते हैं। पी.जी वुडहाउस का पात्र अनातोले इतना स्वादिष्ट खाना बनाता है कि उसे चुराया भी जाता है! भारत पर कुछ देशों ने तो यहां पैदा होने वाले मसालों के लिए विजय प्राप्त की। जूबिन मेहता और राजकपूर की दोस्ती का कारण संगीत से अधिक दोनों का भोजन प्रेम था! इन्हीं कारणों से कहावत बनी है कि पुरुष के दिल का रास्ता उसके पेट के माध्यम से जाता है। एक डाॅक्टर का ख्याल है स्वादिष्ट बनाने वाली पत्नियां पति के हृदय रोग और मृत्यु का कारण बनती हैं। अत: आलिया भट्‌ट से शादी करना निरापद है, क्योंकि उसे भोजन बनाना आता ही नहीं।

शम्मी कपूर निर्देशत 'मनोरंजन' में संजीव कुमार को लखनऊ के नवाब का स्वांग करना है और वे खुद को इस भूमिका के योग्य इस आधार पर मानते हैं कि उन्होंने ईरानी होटल में मुगलई खाना बहुत खाया है। दिलीप कुमार ने 'राम और श्याम' में भोजन करने का दृश्य ऐसा अनूठा अभिनीत किया है कि पेटू और चटोरेपन का भेद मिट जाता है। जावेद अख़्तर लखनऊ से मुंबई आते हुए वहां की एक प्रसिद्ध दुकान से कबाब लेकर आते हैं। यह बताना कठिन है कि उन्होंने शबाना आज़मी को अपनी शायरी से लुभाया या लखनऊ के कबाब से। तीन डिश बनाने में मुझे भी महारत हासिल है। मेरे प्रेम जीवन में भोजन का बहुत महत्व रहा है। बुरहानपुर में स्वादिष्ट भोजन बनाने वाले का नाम लज़ीज़ (स्वादिष्ट) पड़ गया। कालांतर में वह अपना असली नाम भूल गया था। फिल्मी कहानियों में रिश्तों की संख्या से अधिक है पाककला की विविधता।

आजकल फराह खान टेलीविजन पर एक भोजन कार्यक्रम का संचालन कर रही हैं और वे प्राय: सितारों को भोजन बनाने के लिए आमंत्रित करती हैं। अभिषेक बच्चन ने अपने अच्छे भोजन बनाने का श्रेय मां जया को नहीं, पत्नी एेश्वर्या राॅय को दिया है। कोई आश्चर्य नहीं कि वे इतनी सुंदर हैं। फराह ने बताया कि अपना वजन सीमित रखने के लिए शाहरुख खान वर्षों से तंदूरी चिकन ही खा रहे हैं, जबकि उनके यहां विविध भोजन उपलब्ध होता है। सलमान खान सामान्य व्यक्तियों की तरह सभी प्रकार का भोजन करते हैं। उन्हें कोई परहेज नहीं है। रणबीर कपूर का भोजन प्रेम उनके कटरीना प्रेम में बाधा डाल सकता है, क्योंकि कटरीना, एेश्वर्या रॉय या राखी गुलजार की तरह भोजन नहीं पका सकतीं। हरदेश का भोजन उसके मनोरंजन को तय करता है। भारतीय फिल्में भारतीय थाली की तरह होती है, जिसमें विविधता होती है। अमेरिकी स्टेक खाते हैं, जिसकी तरह उनकी फिल्में एक रस पर ही ध्यान देती है, जबकि हमारी भुतहा फिल्मों में आधा दर्जन गाने होते हैं।