पाताल लोक : रौरव नर्क और कुंभी पाक नर्क / जयप्रकाश चौकसे

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पाताल लोक : रौरव नर्क और कुंभी पाक नर्क
प्रकाशन तिथि : 30 मई 2020


अनुष्का शर्मा ने डायरेक्टर नवदीप सिंह के साथ मिलकर ‘एनएच 10’ (नेशनल हाईवे नंबर 10) नामक रोचक फिल्म बनाई थी। सुदीप शर्मा ने फिल्म की पटकथा लिखी थी। इसी टीम ने ‘पाताल लोक’ नामक वेब सीरीज का निर्माण किया है। थीम यह है कि मनुष्य का जन्म माता-पिता नहीं वरन् परवरिश ही उसके चरित्र का निर्माण करती है। कुछ प्रभाव जींस का भी होता है। दरअसल, मनुष्य की विचार शैली किस तरह विकास करती है या पतन की राह पर जाती है, यह अत्यंत रहस्यमय है। इसका अंक गणित नहीं है, वरन् कुछ हद तक बीज गणित है। ‘पाताल लोक’ में उत्तर प्रदेश में बैठे बुजुर्ग अपराधी को एक चैनल के संपादक की हत्या की सुपारी दी जाती है। साहसी पत्रकार की हत्या करना अब आवश्यक नहीं रहा। वर्तमान में तो अखबार ही बंद करने की साजिश रची जा रही है। न होगा बांस न बजेगी बांसुरी।

बहरहाल एक अपराध को अंजाम दिया जाता है। सारी खोजबीन एक अंधी गली में जाकर समाप्त हो जाती है। एक इंस्पेक्टर अपनी तहकीकात जारी रखता है। उसे नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद भी वह षड्यंत्र की जड़ तक पहुंचने का प्रयास करता है। कातिल को बचपन से ही कुत्तों से प्रेम रहा है। घटनाचक्र ऐसे घूमता है कि शिकार के भी कुत्तों से प्रेम करने के कारण कातिल उसे छोड़ देता है। कातिल का विश्वास है कि कुत्तों से प्रेम करने वाला व्यक्ति हमेशा नेक नीयत ही होता है। ज्ञातव्य है कि पांडवों की अंतिम यात्रा में युधिष्ठिर के साथ उनका कुत्ता ही जाता है।

इंद्रदेव उन्हें स्वर्ग आने के पहले कुत्ते का त्याग करने की बात कहते हैं। युधिष्ठिर सशरीर स्वर्ग जाने से इनकार करते हैं। वे अपने कुत्ते के बिना स्वर्ग जाने को तैयार नहीं हैं। कुत्ता उनकी निष्ठा और ईमानदारी का प्रतीक है। आजकल सलीम खान अपनी महाभारत से संबंधित किताबों को पुन: पढ़ रहे हैं। उन्हें हैरानी है कि महाकाव्य में रथ, शस्त्र और शंख इत्यादि के नाम दिए गए हैं, परंतु इस कुत्ते को कोई नाम नहीं दिया गया है। दरअसल युधिष्ठिर के लिए कुत्ता उनकी ईमानदारी का प्रतीक है, जिसे वे छोड़ना नहीं चाहते। ईमानदारी और निष्ठा को किसी भी नाम से पुकारो, उसका सत नहीं बदलता। यह माना जाता है कि जिस गली के किसी घर में मृत्यु होने वाली होती है, उस गली के कुत्ते मृत्यु पूर्व ही रोने लगते हैं। उनकी नाक मृत्यु गंध को सूंघ लेती है। कोरोना कालखंड में व्यवस्था की बदहाली और उदासीनता पर अब उसके अपने लोग भी प्रश्न पूछने लगे हैं।

बहरहाल, स्वर्ग और नर्क का विशद वर्णन दिया गया है। रौरव नर्क, कुंभी पाक नर्क इत्यादि विवरण ऐसे दिए गए हैं मानो किसी भोजन पकाने के स्थान का वर्णन दे रहे हों कि डीप फ्राय, हाफ फ्राय, भेजा फ्राय, कीमा पाव, टंगड़ी कबाब इत्यादि। स्वर्ग के विवरण में उतनी डिटेल्स नहीं दी गई है, जितनी कि नर्क के विवरण में दी गई है। ज्ञातव्य है कि के. आसिफ अपनी फिल्म ‘लव और गॉड’ में मृत्यु के बाद लैला और मजनूं के मिलन का दृश्य सात सतहों वाले स्वर्ग में प्रस्तुत करना चाहते थे। शैलेंद्र लिखते हैं- आदमी है आदमी की जीत पर यकीं कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीं पर..।

दक्षिण भारत में बनी फिल्म ‘कलियुगकरण’ का हिंदी संस्करण संजीव कुमार के साथ बनाया गया था। गरीबी से अमीरी तक की यात्रा तय करने में नायक से कुछ अपराध हुए हैं। सफलता के शिखर पर पहुंचा व्यक्ति प्राय: बीमार रहता है। डॉक्टर उसे दवाएं देते हैं जैसे क्रिप्टो माइसिन, अल्ट्रा माइसिन, अमका माइसिन, ढिमका माइसिन। वह फुर्सत के समय अपने आप से बात करता है। इस प्रक्रिया में भगवान कृष्ण प्रकट होते हैं और कहते हैं कि वत्स इन सारी व्याधियों की जड़ में तेरे द्वारा किए गए अन्याय छिपे बैठे हैं।

अत: यह माइसिन (स्वयं तेरे अपराध) हैं। यह रोग लाइलाज है। गौरतलब है कि दक्षिण की फिल्म ‘कलियुगकरण’ का नाम है ‘स्वर्ग और नर्क।’ एक ही जीवन में मनुष्य सतयुग, द्वापरयुग, त्रेतायुग और आने वाले कलियुग को भोग लेता है। क्या कलियुग आ चुका है? अनुष्का शर्मा की वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ की कथा में बहुत पेंच हैं। घुमावदार रास्ते हैं। पूरा विवरण देना संभव नहीं है। क्रिकेट प्रतियोगिताएं स्थगित हैं। अत: अनुष्का और विराट कोहली के पास साथ-साथ रहने का अवसर है। फिल्म निर्माण में अनुष्का विश्व कप जीत सकती हैं।