पाती / सुरेश सौरभ
हे! सी•एम•पी•एम• महराज आप को सादर नमन।
मैं एक छोटे से गॉव का एक छोटा-सा किसान हूँ। मैं अपने बाल-बच्चों को खेती-किसानी से पाल-पोस रहा था, पर इधर एक समस्या से अब मैं घिर गया हूँ। जब मैं रात को सोता हूँ, तो मुझे अजीब-गरीब सपने आने लगतें हैं। मैं देखता हूँ चारो ओर से तमाम गाय-बैल-सॉड मुझे हुडे़स रहे होते हैं। तब मैं परेशान हो जाता हूँ। छटपटाता हूँ। जोर-जोर से हॉफता हूँ। फिर सारी-सारी रात अजीब बेचैनी में नींद नहीं आती है। अजीब उलझन से जोर-जोर से छाती उछलने लगती है। सुबह उठकर जब अपने खेत देखने जाता हूँ, तो देखता हूँ वही सपनो वाले गाय-बैल-सॉड सब मेरा खेत चर रहे होतें हैं। मैं इन्हें भगा-भगा कर बहुत तंग हो चुका हूँ। आधा हो चुका हूँ। मेरा जीना मुहाल हो चुका है, पर ये किसी भी कीमत पर भागने को तैयार नहीं। किससे अपनी फरियाद करूं? कोई सुनने को तैयार नहीं। सभी इन आवारा जानवरों को ईश्वर का आवास बता रहें हैं। मैं क्या करूं हे! महानुभावों हमारे परिवार का खाना-पीना दूभर हो गया है।
हे! देश, राज्य और धर्म के रक्षको मेरी तकलीफ दूर करो, वर्ना मैं टोपी वाला धर्म अपनाकर इन्हें मार-मार कर खाने लगूंगा। फिर आप कहते रहना, इसका साथ, उसका साथ जनता का विकास।
आप का
दाता मॉझी