पाया नया जीवन / अनीता चमोली 'अनु'
नंदनवन में सभी जीव-जन्तु मिल-जुल कर रहते थे। पक्षियों में एकता का भाव ज़्यादा था। सब एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते थे। मीटू गौरेया बहुत आलसी थी। इधर-उधर अपना समय बिताती। ज़्यादा आलस आने पर सो जाती। वहीं और चिड़िया अपने काम में व्यस्त रहती। अपने घोंसलों को सँवारती। बच्चों के लिए दाना चुग-चुग कर लाती। मीटू गौरेया दूसरों के घरों में जाती। कहीं खाना खाती तो कहीं रात बिताती।
नंदनवन में भानी गौरेया भी रहती थी। भानी सबसे बुजुर्ग थी। यही कारण था कि सभी भानी को नानी माँ कह कर पुकारते। नानी माँ छोटे बच्चों की देखभाल करती। संकट के समय सभी को उपयोगी सलाह भी देती। एक दिन की बात है। नानी माँ मीटू से बोली-”तुम सारा दिन इधर-उधर भटकती हो। अपने लिए घर क्यों नहीं बना लेती। कब तक दूसरों के घोंसलों में रात बिताओगी।”
यह सुनकर मीटू भड़क उठी। भानी चिड़िया से बोली-”ऐ बुढ़िया। तू चार दिनों की मेहमान है। अपना जीवन जी। नानी माँ कहलाने का तूझे बड़ा शौक है। मगर तू मेरी नानी माँ नहीं है। समझी।” यह कहकर मीटू गौरेया उड़ गई।
दिन बीतते गए। बरसात का मौसम समय से पहले आ गया। नंदनवन में घनघोर बारिश हुई। सभी पक्षी अपने घरों में दुबक गए। मीटू चिड़िया भीगती रही। किसी ने भी उसे अपने घर में आश्रय नहीं दिया। सुबह से लेकर रात तक बारिश एक पल के लिए भी थमी नहीं। ठंड बढ़ गई थी। मीटू ठंड से काँप रही थी। रात भर डाल पर भीगते-भीगते उसके हाथ-पाँव सुन्न हो गए। थकी-हारी मीटू धरती पर गिर पड़ी।
सुबह हुई तो किसी की नजर बेहोश पड़ी मीटू गौरेया पर पड़ी। सब उड़कर भानी चिड़िया के पास गईं। भानी चिड़िया मीटू को उठाकर अपने घोंसले में ले आई। राली तोता बोला-”नानी माँ। मीटू ठीक तो है न?”
भानी बोली-”भीगने से ठंड लग गई है। मीटू बुखार में तप रही है। हम सभी के घोंसले बारिश में लगभग भीग चुके हैं। इसे गरम घोंसला और गरमी के लिए आग की जरूरत पड़ेगी। मैं कुछ जड़ी-बुटियों से इसके लिए खुराक बनाती हूँ। चीमी चील से कहो कि वे अपनी बिरादरी से दूर जंगल जाकर सूखे तिनके ले आए। येबी बया से कहो कि सूखे तिनको से वे एक अच्छा घोंसला बनाए। तुम सभी सूखी लकड़ियाँ लेकर आओ। जब घोंसला बन जाएगा, तो घोंसले के आस-पास आग जलानी होगी। ताकि वातावरण गरम हो जाए।”
यह सुनकर नंदनवन के सभी पक्षी काम पर जुट गए। थोड़ी ही देर में सूखे तिनकों का ढेर लग गया। बया चिड़िया ने खुबसूरत घोंसला बना दिया। दीटू बंदर ने आग जला दी। भानी गौरेया ने मीटू गौरेया की देखभाल की। उसके लिए गरम काढ़ा बनाया। शाम होने से पहले ही मीटू गौरेया ने आँखें खोल दी। सब खुश हो गए।
नैनी मैना ने मीटू गौरेया को सारा किस्सा सुनाया। मीटू गौरेया रोने लगी। रोते-रोते बोली-”नानी माँ ने मुझे समझाया भी था। मगर मैं आलसी समय की कीमत नहीं पहचान सकी। आप सभी ने मिलकर मुझे नया जीवन दिया है। मैं खुद अपने लिए एक बड़ा घर बनाऊँगी। नानी माँ आज से मेरे साथ रहेगी। मैं उनकी सेवा करके अपना जीवन सफल बनाना चाहती हूँ। किसी को कोई आपत्ति तो नहीं है?”
यैली कोयल बोली-”वैसे तो नानी माँ हम सबकी माँ है। मगर मीटू गौरेया ने सच्ची संतान का धर्म निभाने का संकल्प लिया है। किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। हम सब खुश हैं।” मीटू गौरेया की आँखों से आँसू छलक रहे थे। नानी माँ मीटू की आँखों से आँसू पोंछ रही थी।