पुनर्जन्म फिल्में : दायरे आस्था के / जयप्रकाश चौकसे

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नायक नहीं खलनायक हूं मैं
प्रकाशन तिथि : 18 दिसम्बर 2020


आश्चर्य की बात है कि तर्कसम्मत एवं वैज्ञानिक विचार शैली वाले जर्मन लोग भी पुनर्जन्म की अवधारणा में विश्वास करते हैं। डॉ. विज ने इस विषय पर बहुत काम किया है। भारत में भी इस विषय पर शोध किया गया है। पांच वर्ष के बालक को अपने पिछले जन्म की बातें याद हैं। उसने प्रमाण भी दिए हैं। भारतीय साहित्य और सिनेमा में भी इस विषय को उठाया गया है। सुभाष घई ने फिल्म ‘द रीइन्कारनेशन ऑफ पीटर प्राउड’ से प्रेरित ऋषि कपूर, टीना मुनीम और सिम्मी ग्रेवाल अभिनीत फिल्म ‘कर्ज’ बनाई। इस फिल्म में पिछले जन्म की भूमिका जिस कलाकार ने अभिनीत की, उससे भिन्न शक्ल-सूरत के कलाकार ने दूसरे जन्म की भूमिका अभिनीत की। इसी कारण कातिल सिम्मी ग्रेवाल उसे पहचान नहीं पाती।

एक दौर में बिमल राय की दो फिल्में नहीं चलीं और अत्यधिक प्रशंसित ‘परख’ भी असफल रही। तब बिमल राय कलकत्ता लौटने का विचार कर रहे थे। जीनियस रितविक घटक उन्हें मिलने आए थे। उनके आर्थिक संकट की बात जानने के बाद उन्हीं के दफ्तर में बैठकर उन्होंने पुनर्जन्म अवधारणा पर आधारित ‘मधुमति’ की पटकथा लिखी। इसी फिल्म में शैलेंद्र के लिखे एक मुजरे के मात्र एक अंश का प्रयोग किया है- वे न आएंगे पलटकर, उन्हें लाख हम बुलाएं. . . ।

चेतन आनंद ने फिल्म ‘कुदरत’ बनाई थी। पंचम का संगीत था। इस फिल्म में जीनियस पंचम ने एक गीत परवीन सुल्ताना से गवाया था। उनसे गीत गवाना ही एक गजब का विचार था। इस फिल्म में कतिल शिफाई का गीत है- खुद से छिपाने वालों का पल-पल पीछा ये करे, जहां भी हों मिटते निशां, वहीं जाकर पांव ये धरे, फिर दिल का हर एक घाव अश्कों से ये धोती है, सुख-दुख की माला कुदरत ही पिरोती है. . . .। याद आता है कि ‘रीइन्कारनेशन ऑफ पीटर प्राउड’ में भी कत्ल करने वाली पत्नी, दूसरे जन्म में भी अपने पति को मारते हुए कहती है कि जितनी बार भी जन्म लोगे, वह उसे मार देगी। नफरत कितनी गहरी हो सकती है?

कर्नाटक के प्रसिद्ध साहित्यकार भैरप्पा के उपन्यास ‘दायरे आस्थाओं के’ से प्रेरित पटकथा खाकसार और निर्देशक रमेश तलवार ने मिलकर लिखी थी, जिसे विजयपत सिंघानिया ने पसंद किया था। इस उपन्यास में 36 वर्षीय विधवा को पुनर्जन्म में आए 18 वर्षीय युवा के साथ अंतरंगता से जीने का दबाव बूढ़ा ससुर बनाता है। अपने पति की मृत्यु के तीन माह पश्चात उसने पुत्र को जन्म दिया था। वह भी अब 18 वर्ष का हो चुका है। विज्ञान का यह छात्र पुनर्जन्म पर विश्वास नहीं करता। इस तरह वह महिला पति और पुत्र के आपसी वैचारिक संघर्ष में फंसी है।

पुनर्जन्म की अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म ‘बीइंग बोर्न अनगेन’ में स्त्री की वय 28 बरस की है और पिछले जन्म में उसका पति रहा व्यक्ति पुनर्जन्म में चार वर्ष का है, जब उसे सारी बातें याद आती हैं। अब 28 वर्ष की स्त्री का विवाह चार वर्ष के अबोध से तो नहीं किया जा सकता? फिल्म ‘एक्साजिस्ट’ में मृत्यु के निकट पहुंची महिला को कांच के मजबूत कक्ष में रखा जाता है। उसकी मृत्यु के बाद कांच में कोई दरार नहीं आती तो आत्मा कहां गई? यह पुन: रेखांकित करता है कि विचार शैली को ही आत्मा का नाम दिया गया है।