पोर्नसाईट / दीपक मशाल
“ओए, ज़ल्दी घर आजा कोई है नहीं अभी।। एक मस्त धमाकेदार चीज़ दिखाता हूँ।”
दूसरी तरफ़ से आवाज़ उभरी- “पर है क्या स्साले ये तो बता। इतना उछल क्यों रहा है?”
“अबे इधर आ तो सही, तेरी बांछें खिल जायेंगी देखते ही” उसने जवाब दिया
“मेरे भाई तुझे पता है ना। कि मैं हाई बी.पी. का मरीज़ हूँ। बता दे वरना कोई हिंट ही दे दे। कहीं ऐसा ना हो कि एक्साईटेशन में मुझे मुश्किल हो जाए।” दूसरी तरफ़ बेचैनी बढ़ रही थी।
“ओक्के। पर बस हिंट दूंगा। तुझे मेरे सामने वाले मकान में रहने वाली जो चमेली पसंद है वो अब अपने हाथ में होगी।”
बात ख़त्म होने से पहले ही दूसरे तरफ़ से फिर एक बेक़रार आवाज़ भर्राई- “लेकिन कैसे भाई ये तो बता दे।”
“तू आ तो जा साले ज़ल्दी। नेट पर मस्त एमएमएस दिखाता हूँ।”
“ओह।। सही बिडू समझ गया सब। बस 10 मिनट में पहुंचा अभी। अब तो रुका नहीं जा रहा।”
थोड़ी देर बाद दरवाज़े की घंटी बजती है।
“हाय मेरी जान, आ गया तू, सही टाइम पर आया। मैं और एमएमएस ढूंढ रहा था। चल तू देख मैंने वेबसाईट खोल रखी है। तेरी भाभी तो है नहीं मैं पैग बना के लाता हूँ फटाफट, आज तो पार्टी होनी चाहिए।”
“हाँ वो ज़रा प्याज भी काट लेना पीनट्स के साथ।”
“ओके डिअर। पर सिगरेट है ना तेरे पास या ज़ल्दी से भाग के ले आ ।”
“नहीं तू फ़िक्र ना कर पूरी डिब्बी है।”
सलीम अन्दर प्याज काटने में लगा था कि अचानक- “ओए सलीम ज़ल्दी इधर आ कमीने, तूने बताया नहीं कभी।”
“क्या।।” सलीम ने किचेन से बाहर आते हुए पूछा।
“तूने ये भाभी का क्लिप बना के कब डाला वेब पर?? जो भी हो मस्त हैं भाभी।। मैं तो पहली बार उन्हें इस तरह।”
चटाक।। थप्पड़ की एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ सलीम के दोस्त की आवाज़ बीच में कट गई।
कम्प्यूटर बंद हो गया था। सलीम अपनी बीवी का फ़ोन ट्राई कर रहा था।