प्रथम संस्करण का वक्तव्य / आदर्श जीवन / रामचंद्र शुक्ल

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जिस पुस्तक के आधार पर यह पुस्तक लिखी गई है, उनका नाम है Plain Living and High Thinking और वह अंग्रेजी की उन पुस्तकों में से है जिनका उद्देश्य युवा पुरुषों के अन्त:करण में उत्तम संस्कार उत्पन्न करना है। इस पुस्तक में विवेक, बुध्दि और स्वास्थ्य इन तीनों की वृध्दि के सम्बन्ध में अलग अलग विचार करके मनुष्य जीवन का एक सर्वांगपूर्ण और उच्च आदर्श सामने रखा गया है। किस प्रकार के आचरण से मनुष्य अपना जन्म सफल कर सकता है, किस रीति पर चलने से वह संसार में सुख और यश का भागी हो सकता है, यदि ऐसी बातों का जानना आवश्यक है तो ऐसी पुस्तक का पढ़ना भी आवश्यक है। हिन्दी में ऐसी पुस्तकें देखने की चाह अब लोगों को हो चली है।

अंग्रेजी पुस्तक में ग्रन्थकार ने 'अध्ययन' के प्रसंग में, किन किन विषयों की कौन कौन सी पुस्तकें किस क्रम से पढ़ी जायँ, इसका बड़े विस्तार के साथ कई प्रकरणों में ऐसा वर्णन किया है जिससे उन विषयों के इतिहास का भी परिज्ञान हो जाता है। वे सब प्रकरण इस पुस्तक में छोड़ दिए गए हैं। एक बात और भी की गई है। जहाँ जहाँ अंग्रेजी पुस्तक में दृष्टान्त रूप से योरप के प्रसिध्द पुरुषों के वृत्तान्त आए हैं, वहाँ-वहाँ यथासम्भव भारतीय पुरुषों के दृष्टान्त दिए गए हैं। पुस्तक को इस देश की रीति नीति के अनुकूल करने के लिए और भी बहुत सी बातें घटाई बढ़ाई गई हैं।

काशी रामचन्द्र शुक्ल 2 जून, 1914