प्रवेश–निषेध / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Gadya Kosh से
एक बार राजनीति वेश्या के अड्डे पर पहुँची। दरवाज़े पर खड़े बूढ़े दलाल ने उसको सिर से पैर तक घूरा–"तुम कौन हो?"
मैं राजनीति हूँ। बाई जी से मिलना है। "
दोनों की बातचीत सुनकर बाई जी दरवाजे़ की ओट में खड़ी हो गई और बोली–"यहाँ तुम्हारी ज़रूरत नहीं है। हमें अपना धंधा चौपट नहीं कराना। तुमसे अगर किसी को छूत की बीमारी लग गई तो मरने से भी उसका इलाज नहीं होगा।" कहकर उसने खटाक् से दरवाज़ा बंद कर लिया।
-0-08-03-1977 (राष्ट्र सेवक,गौहाटी - फरवरी 1979)