प्रशंसक और सितारे की नज़दीकियां / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 23 नवम्बर 2019
अब संचार टेक्नोलॉजी ने नए उद्योगों को जन्म दिया है। मसलन व्यक्ति को उसके जन्मदिन पर उसका प्रिय सितारा ऐप के माध्यम से बधाई देगा। सितारों को भी कमाई का एक और साधन उपलब्ध हो गया है। यह बात अब पुरानी हो गई है कि सितारा मुंह मांगा धन लेकर किसी अमीर व्यक्ति के शादी समारोह में शामिल हो। एक धनाढ्य व्यक्ति की बेटी की मेहंदी की रात और विदाई के समय बजाया गीत एक लोकप्रिय गीतकार ने ठेका लेकर बनाया था। सन् 1969 में राज कपूर की पुत्री रितु के विवाह में विदाई गीत मुकेश की आवाज में रिकॉर्ड किया था। शैलेंद्र के लिखे गीत को शंकर-जयकिशन ने रिकॉर्ड किया था, परंतु यह सब आपसी प्यार में रिश्ते के लिए किया गया था। इसमें किसी ने भी कोई धन नहीं लिया था। दिल्ली के राजा नंदा दूल्हा थे और बारात में कुछ केंद्रीय मंत्री शामिल थे। बारात का स्वागत करने वालों में भी राजनीतिक हस्तियां मौजूद थीं।
सितारा आम आदमी को बधाई दे उसकी खुशी में शामिल हो, यह बात उस व्यक्ति के लिए यादगार बन जाती है। शादी की हर रस्म के समय फोटोग्राफ्स लिए जाते हैं और एलबम यादगार बन जाता है। उम्रदराज होने पर अपनी शादी का एलबम देखना अच्छा लगता है। मेहंदी लगाने वाली कन्या पर एक फिल्म बनी थी। करिश्मा कपूर अभिनीत मेहंदी लगाने वाली लड़की का अपना विवाह नहीं हो पाता। मेहंदी लगाने वाली स्त्री 'लेडीज स्पेशल' नामक सीरियल में एक चरित्र है। वह सीरियल मिसेज ओक (शो की किरदार) के अभिनय के कारण यादगार बन गया। सुना है कि उसकी अगली कड़ी भी बनाई जाने वाली है। सितारों के प्रति यह दृष्टिकोण सिनेमा के जादू के कारण बना है। टेक्निशियन कभी सितारों की तरह आवाम में लोकप्रिय नहीं हुए, परंतु उनका कार्य हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। मसलन 'मुग़ल-ए-आज़म' के कैमरामैन माथुर का नाम कम लोग ही जानते हैं। देव आनंद की फिल्मों के कैमरामैन रात्रा, राज कपूर के राधु करमरकर और चेतन आनंद के जाल मिस्त्री व गुरु दत्त के बी वी रेडी कभी अवाम में लोकप्रिय नहीं हुए। परंतु इनके सहयोग के बिना यह फिल्मकार यादगार काम नहीं कर पाते।
अपने जन्मदिन पर अपने सितारे द्वारा बधाई पाने वाला व्यक्ति प्रसन्न है, जबकि वह जानता है कि सितारे से उसका कोई परिचय नहीं है। सितारे के हस्ताक्षर प्राप्त करना और उसके साथ चित्र लिए जाने की ललक भी बहुत मजबूत है। इस तरह सेलिब्रिटी हंटर सभी जगह पहुंच जाते हैं। विदेश में शूटिंग के समय एक फिल्मकार ने अपनी फिल्म के नायक के साथ डिनर दावत में शरीक होने के लिए 100 डाॅलर के टिकट भेजे थे। जब सितारे को फिल्मकार के इस साइड बिजनेस की जानकारी प्राप्त हुई, तब उसने उसके साथ कोई अन्य फिल्म नहीं की। आश्चर्य की बात यह है कि विदेशों में बसे भारतीय, सितारों के लिए दीवाने हैं और उनके दीवानेपन के सामने देसी प्रशंसकों का उत्साह बहुत हल्का पड़ता है। बस यह समझ लें कि डॉलर और रुपए के मूल्य का अंतर इस मामले में भी लागू होता है। आउटडोर शूटिंग के समय छोटे शहरों के लोग आते हैं, परंतु वे अत्यंत अनुशासित हैं। विदेशों में लोकेशन फीस नहीं देना पड़ती, परंतु मुंबई जैसे महानगर में पैसे देने पड़ते हैं। इंग्लैंड की सरकार विदेशी निर्माता को इंग्लैंड में की गई शूटिंग पर आए खर्च का कुछ प्रतिशत धन वापस करती है। शूटिंग के कारण उस देश के होटल और अन्य व्यवसायों को लाभ मिलता है। बहरहाल टेक्नोलॉजी ऐसे उपकरण ही बना सकती है कि आप सितारे से जब चाहें ऐप या मोबाइल द्वारा संपर्क बना सकते हैं। इस तरह सितारा, प्रशंसक के परिवार के एक सदस्य की तरह हो जाता है। सारी दूरियां और अजनबीयत हटाई जा सकती है, परंतु क्या ऐसा होने पर सितारा घर की मुर्गी की तरह दाल के समान नहीं हो जाएगा? सितारे का आम आदमी के अत्यंत निकट आने से सिनेमा का रहस्य अपना आकर्षण खो सकता है।