प्रसन्नता: समग्र स्वास्थ्य की आधारभूत आवश्यकता / कविता भट्ट

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स्वस्थ रहते हुए संवेदी और क्रियात्मकता के उच्चतम स्तर वैयक्तिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक कल्याण हेतु आवश्यक हैं। प्रत्येक व्यक्ति का जीवन मूल्य है 'हमारा स्वास्थ्य हमारे हाथ में'। प्रसन्नता द्वारा 'समग्र स्वास्थ्य' का व्यापक लक्ष्य आंतरिक और बाहरी वातावरण के बीच एक समरसता और संतुलन बनाए रखना है। सकारात्मक और व्यापक ढंग से यह स्वास्थ्य को आंतरिक समभाव की प्राकृतिक अवस्था के रूप में परिभाषित करता है। शरीर, मन और आत्मा सभी जब संतुलन, समभाव और आनंद की स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को स्वस्थ माना जाता है। अनुकूलन और आत्म-प्रबंधन द्वारा विपरीत परिस्थितियों के अनुकूल होने की व्यक्ति की क्षमता स्वस्थ बनाती है। विचार प्रक्रिया, सोच और व्यवहार का ढंग व्यक्तियों को उनकी शक्तियों, सीमाओं और भावनाओं को जानने और निरंतर 'स्व-मूल्यांकन' करने के लिए सशक्त बनाता है। ‘प्रसन्नता’, सकारात्मक दृष्टिकोण, समय प्रबंधन, क्षमता और कौशल इत्यादि इसकी प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं।

प्रसन्नता स्वस्थ रहने कि प्राथमिक आवश्यकता है; जिसके लिए चार हार्मोन उत्तरदायी हैं- एंडोर्फिन, डोपामाइन, सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन। जब हम स्वस्थ ढंग से व्यायाम करते हैं, तो यह एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ावा देता है। हमारी रचनात्मकता और सकारात्मकता के कारण जब हमें, हमारे काम, वेशभूषा इत्यादि को सराहना मिलती है; यह डोपामाइन के स्तर को बढ़ाता है। पसंदीदा काम करने के लिए समय बिताने में हमें जो संतोष मिलता है; वह सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ावा देता है। प्रिय व्यक्ति को स्पर्श करना, गले लगाना और अनुभव करना ऑक्सीटोसिन के स्तर को बढ़ावा देता है।

अपेक्षा रखते हुए सहायता करना और पूर्ण न होने पर स्वयं को दु:खी अनुभव करना सामान्य मानवीय स्वभाव है; इसलिए कर्त्तव्य करना और अपेक्षा को भूल जाना तथा अपनी उपलब्धियों को सम्मान देना भी प्रसन्न रहने हेतु आवश्यक है। योगाभ्यास, संगीत, कला, गायन, बाग़वानी, अपना कोई पसंदीदा रचनात्मक कार्य, यथाशक्ति नए कपड़े और शॉपिंग आदि करने में प्रसन्नता अनुभव करनी चाहिए। हमें दूसरों को कष्ट दिए बिना, अपनी ‘प्रसन्नता’ पाने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके अतिरिक्त दिनचर्या के रूप में अपने निकट और प्रिय के साथ कुछ समय बिताना चाहिए। दौड़भाग के इस वातावरण में स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए अपनी सोच, व्यवहार और जीवन शैली को बदलना चाहिए।

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