प्रस्तावित जंगल अधिनियम और जन जातियां / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 26 मार्च 2019
जंगल की पृष्ठभूमि पर फिल्में हमेशा बनती रही हैं। हाल ही में विद्युत जामवाल अभिनीत 'जंगली' फिल्म का प्रचार प्रारंभ हो गया है। सर्वप्रथम जंगल फिल्म 'टार्जन' कई बार बनाई जा चुकी है और जंगल में पलकर युवा होने वाले टार्जन को जानवरों और पक्षियों की बोली समझती है परंतु अंग्रेजी भाषा में उसका हाथ तंग है। उसका संवाद मी टार्जन, यू जेन' लगभग उतना ही लोकप्रिय है, जितना कि 'कितने आदमी थे रे सांभा' या 'दीवार' का संवाद 'मेरे पास मां है।' अपराधी बने भाई के पास संपत्ति है परंतु इंस्पेक्टर भाई के पास मां है। इतना ही नहीं एक फिल्म निर्माण कंपनी का नाम 'जंगली पिक्चर्स' है।
जब 'किंग कॉन्ग' पहली बार बनाई जा रही थी तब पूंजी निवेशक ने आपत्ति दर्ज की कि इस फिल्म में कोई प्रेम कथा नहीं है। वहां मौजूद पांचवी सहायक निर्देशिका के मुंह से बरबस निकला कि जंगल अभियान पर गए दल में एकमात्र महिला सदस्य से ही विशालकाय किंग कॉन्ग को प्रेम हो जाता है। इस घटना के बाद जितनी बार भी किंग कॉन्ग बनी उतनी बार इस प्रेम कथा को कायम रखा गया। बीस्ट एंड ब्यूटी लोकप्रिय विषय है। 'टार्जन' और 'किंग कॉन्ग' एनिमेशन स्वरूप में भी गढ़ी गई हैं। भाषा पर इसका यह प्रभाव है कि हर बड़े आकार की वस्तु को किंग कॉन्ग कहा जाने लगा। वनमानुष अब कहा ही नहीं जाता।
राजस्थान में रहने वाले साबू नामक युवा को हॉलीवुड की एक जंगल फिल्म में अभिनय का अवसर मिला था। इस तरह साबू पहला कलाकार था, जिसने डॉलर कमाए। इसी परंपरा में इरफान खान, ओम पुरी और नसीरुद्दीन शाह के बाद अब नवाजुद्दीन की बारी है। ओम पुरी ने सबसे अधिक संख्या में हॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया है। अब तो प्रियंका चोपड़ा ने खूब डॉलर अर्जित किए हैं और अमेरिका में उनका एक भव्य फ्लैट भी बहुमंजिला की सबसे ऊपरी मंजिल पर स्थित है। जहां से पूरा मैनहैटन नजर आता है। दीपिका पादुकोण भी इस क्षेत्र में हाथ आजमा चुकी है। सलमान खान ने भी एक अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म में अभिनय किया है, परंतु वह असफल रही। मिथुन चक्रवती ने जनजाति के युवा की भूमिका से यात्रा प्रारंभ की थी। फिल्म का नाम था 'मृगया'। बाद के वर्षों में वे डिस्को डांसर हो गए। एक दौर में मिथुन चक्रवर्ती के पास इतना अधिक काम हो गयार था कि उन्होंने निर्माताओं से कहा कि वे बेंगलुरू स्थित उनके होटल 'मोनार्क' में ही शूटिंग करें। फिल्म यूनिट के रहने से होटल भी लाभ कमाने लगा। कैमरामैन एक शॉट की लाइटिंग करता था और मिथुन अलग टी-शर्ट पहनकर कई फिल्मों के शॉट देते। समय और पैसे की बचत का यह खेल अपनी अति के कारण बंद हो गया।
रायपुर के रहने वाले संजीव बख्शी की भूलन कांदा पर फ़िल्म भी बनी है, परंतु नामी कलाकार नहीं होने के कारण इसका प्रदर्शन नहीं हो पाना दुखद है। फिल्म बनाने से अधिक कठिन फिल्म का प्रदर्शन करना हो चुका है। तमाम हुक्मरानों का पैर भूलन-कांदा पर पड़ गया है और वे स्थिर, स्पंदनविहीन, जड़ समान हो गए हैं । चुनाव के स्पर्श से वे भूलन कांदा के प्रभाव से मुक्त होकर सक्रिय हो जाएंगे, इसकी भी आशा नहीं है। ज्ञातव्य है कि बस्तर में किंवदंती है कि किसी व्यक्ति का पैर भूलन कांदा पर पड़ जाए तो वह उस समय तक स्थिर जड़वत रहेगा जब तक अन्य व्यक्ति उसे स्पर्श नहीं करता। यह बच्चों द्वारा खेले गए खेल 'स्टॉप' या 'फ्रीज' की तरह है। अंग्रेज सरकार ने 1927 में जंगल अधिनियम बनाया था। वर्तमान सरकार ने तमाम प्रांतों को नए जंगल नियम की जानकारी दी। सभी प्रांतों ने नियम में ढेरों कमियां बताई हैं और मामला वहीं पहुंच गया जहां से प्रारंभ किया था। यह कदम ताल इस व्यवस्था का यथार्थ रहा है।
नया जंगल अधिनियम फॉरेस्ट ऑफिसर को तानाशाह बना देगा और गाज गिरेगी जनजातियों पर, वृक्ष की रक्षा के नाम पर आदिवासियों का शोषण बेलगाम हो जाएगा। हमने अपने नदियों को प्रदूषित कर दिया। पहाड़ों को बौना कर दिया है और अब नए जंगल अधिनियम द्वारा आदिवासियों को नष्ट कर दिया जाएग। वनों के मालिक ही दास बना दिए जाएंगे। जनजातियों से आधुनिक समाज बहुत कुछ सीख सकता है और जनजातियां अपने द्वारा एकत्रित जड़ी बूटियों को उचित दाम में बेचना सीख सकती हैं। शादी विवाह के मामले में जनजातियां कहीं अधिक आधुनिक एवं स्वतंत्र हैं। उनकी कन्याओं को अधिक अधिकार प्राप्त है और उनका समाज दहेज मुक्त समाज है। मेहरून्निसा परवेज और गुलशेर शानी ने उन पर बहुत कथाएं रचीं। संजीव बख्शी सेवानिवृत होकर अब सारा समय लेखन में लगाएंगे। गद्य और पद्य पर उनका सम्मान अधिकार है। एक शोध इस तरह का है कि भारत के मूलनिवासी दक्षिण अफ्रीका से आए थे और हमारी आर्य गाथा पर हमें दोबारा सोचना चाहिए। दक्षिण अफ्रीका से लाए अश्वेत लोगों के परिश्रम पर अमेरिका की संपदा बनी है।