प्रियंका, दीपिका व कंगना की मित्रता / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :08 मई 2015
दो पुरुष सितारों से अधिक कठिन है दो महिला सितारों में मित्रता परंतु जिंदगी फॉर्मूला नहीं है और पटकथा के बाहर घटनाएं घटित होती है। इस वर्ष मराठी भाषा में बनी 'कोर्ट' को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला तो लोकप्रिय श्रेणी में प्रियंका चोपड़ा अभिनीत 'मैरी कॉम' तथा कंगना रनोट को 'क्वीन' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला और प्रियंका चोपड़ा एवं कंगना ने मिलकर अपने मित्रों को एक दावत दी। दोनों का 'बहनापा' देखकर आश्चर्य हुआ। इस दावत में दीपिका पादुकोण भी शामिल हुईं और तीनों ने मिलकर खूब नाच किया और आनंद मनाया। संजय लीला भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' में दीपिका व प्रियंका साथ काम कर रही हैं। संजय प्रियंका से खफा हैं कि उन्होंने यह बात उजागर कर दी कि फिल्म में दोनों का नृत्य भी है और प्रियंका ने महाराष्ट्र की लोक संस्कृति का 'लावणी' नृत्य किया है। संजय लीला भंसाली तो 'देवदास' में पारो (ऐश्वर्य राय) और चंद्रमुखी (माधुरी दीक्षित) को भी एक साथ नृत्य करा चुके हैं। मूल उपन्यास में पारो कभी चंद्रमुखी से मिलती ही नहीं है परंतु विमल राय ने अपने संस्करण में एक दृश्य रखा, जिसमें पालकी पर बैठकर पारो जा रही है और चंद्रमुखी पैदल देवदास की खोज में जा रही है। एक क्षण के लिए उनकी आंखें मिलती है। इस दृश्य के लिए साहिर ने अत्यंत मार्मिक पार्श्व गीत लिखा था। बहरहाल, अगर विमल राय ने मूल से स्वतंत्रता लेकर 'मुस्कराना' पसंद किया तो संजय भंसाली ने दोनों को नचाकर फिल्मी 'ठहाका' ही लगा दिया। अत: उनके लिए यह संभव है कि मस्तानी व बाजीराव की पत्नी साथ में नृत्य करें।
किसी जमाने की शिखर सितारा आशा पारेख, साधना, वहीदा रहमान तथा नंदा भी गहरी मित्र रही हैं। ये महिला मित्र मंडली साथ-साथ छुटि्टयां मनाने विदेश भी जा चुकी हैं। नंदा अब नहीं रहीं और साधना गंभीर रूप से बीमार हैं। उन्हें कैंसर हो गया है। आशा पारेख व वहीदा रहमान की मित्रता आज भी कायम है। बहरहाल, इस दौर में प्रियंका चोपड़ा, कंगना व दीपिका की मित्रता सचमुच आश्चर्यजनक है, क्योंकि अभिनेय क्षेत्र में वे प्रतिद्वंद्वी हैं। लोकप्रिय धारणा के विपरीत तथ्य यह है कि प्रतिद्वंद्विता के बावजूद दिलीप कुमार और राज कपूर गहरे मित्र रहे हैं और कई वर्ष पूर्व जावेद अख्तर को दिए साक्षात्कार में दिलीप कुमार ने राज कपूर से अपने बचपन से चली आ रही गहरी मित्रता के कई प्रकरण बताए। जिन दिनों पाकिस्तान में दिलीप व राज कपूर की प्रतिद्वंद्विता को शत्रुता के रूप में खूब चर्चित किया जा रहा था, उन दिनों दिलीप को पाकिस्तान से एक रात फोन आया कि वहां खबर थी कि राज कपूर ने दिलीप को मार दिया है। इत्तेफाक से उस रात राज कपूर दिलीप के घर मौजूद थे। दिलीप ने फोन पर अपने पाकिस्तानी मित्र को बताया कि यह झूठ है और लो राज कपूर से बात करो। राज कपूर ने कहा कि यह खबर सच ही है, मैंने कई बार सोचा कि लाले (दिलीप) को खंजर मार दूं, कमबख्त बहुत अच्छा अभिनय करता है।
बहरहाल, नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी भी गहरे मित्र रहे हैं। वे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा तथा पूना संस्थान में सब मिलाकर सात वर्ष साथ-साथ एक ही विधा पढ़े हैं। आशा पारेख और चरित्र अभिनेत्री शम्मी चार दशकों से गहरी मित्र रही हैं और आज शम्मी का सारा खर्च आशा पारेख उठाती हैं। फिल्म कलाकारों के अच्छे कार्यों का जिक्र कम ही होता है। आशा पारेख ने जुहू में एक आंखों का अस्पताल भी बनाया है। आज सितारों के लिए धन कमाने के इतने नए रास्ते खुल गए हैं कि उनके बीच मित्रता संभव ही नहीं है। सच तो यह है कि जीवन की आपाधापी में और आर्थिक तंगी ने पूरे समाज में ही मित्रता नामक पवित्र रिश्ते का महत्व घटा दिया है। आज सब अपने आप में इस कदर सिमटे हुए हैं कि मित्रता के लिए अनिवार्य फैलना और खुलापन संभव ही नहीं है। तमाम रिश्तों से ही भावना के ताप का लोप हो गया है।