प्रियंका चोपड़ा और आयकर विभाग / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :26 जनवरी 2018
प्रियंका चोपड़ा ने अमेरिका के टेलीविजन और फिल्मों में अभिनय किया है। एक तरह से वे भारतीय मनोरंजन की राजदूत की तरह अमेरिका मनोरंजन में सक्रिय रही हैं। सही समय पर सही जगह पर पहुंचने में वे सफल रही हैं। उसके पास सोचने वाला दिमाग भी है जैसा कि हम उनके द्वारा निर्मित मराठी भाषा में बनी फिल्मों व जमीन जायदाद में पूंजी निवेश द्वारा समझ पाते हैं। ब्यूटी एवं ब्रेन्स कुदरती तोहफा माना जा सकता है। अमेरिकन सीरियल 'क्वांटिको' का पहला सीजन सराहा गया, दूसरा असफल रहा परंतु प्रियंका चोपड़ा को तीसरे के लिए भी अनुबंधित किया गया है। प्रियंका चोपड़ा ने न्यूयॉर्क में एक मिलियन डॉलर का एक फ्लैट भी खरीदा है।
उसे एक कष्ट अनपेक्षित जगह से भोगना पड़ रहा है। भारतीय आयकर विभाग ने उनका यह दावा अस्वीकार किया है कि एक महंगी कार व हाथ घड़ी उन्हें उस कम्पनी ने भेंट स्वरूप दिए हैं जिनकी विज्ञापन फिल्मों में उन्होंने काम किया है। आयकर विभाग ने एक व्यापारिक संस्थान को व्यक्ति मानने से इंकार करते हुए यह फैसला दिया है कि उसमें कोई भावना नहीं हो सकती, जिसके तहत वह किसी को कोई भेंट दे सके। विभाग का मानना है कि व्यापारिक संस्थान भावनाविहीन अस्तित्व हैं अत: वे भेंट कैसे दे सकते हैं। सचाई तो यह है कि हर व्यापारिक क्षेत्र में भावना होती है। एक अच्छा मालिक जानता है कि अपने कर्मचारी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करने पर वह मन लगाकर काम करता है। अपने कर्मचारियों में वफादारी व वजेदारी के भाव उत्पन्न करने से ही संस्थाएं सुचारू रूप से चलती हैं। इतना ही नहीं, शेयर बाजार भी भावना की लहर पर सवार होते हैं।
आयकर विभाग के इस दृष्टिकोण से तो रेस्तरां, होटल इत्यादि में सेवक को दी गई टिप पर भी आयकर लग सकता है। कोई रेस्तरां और संस्थान का मालिक सेवक को मिली टिप को अपनी कमाई तो नहीं कहता। पांच सितारा होटल का दरबान ग्राहक के आने पर सादर दरवाजा खोला है और उसका अभिवादन करता है तो व्यक्ति उसे टिप देता है जिस पर न तो मालिक हक बताता है और न ही आयकर लगता है। यह टिप सेवा के लिए बतौर शुकराना अदा की जाती है। क्या शुक्रिया, धन्यवाद पर भी आयकर लगाया जा सकता है? संसद व राज्यसभा के मुखिया सत्र समाप्त होने पर सदस्यों को धन्यवाद देते हैं तो क्या इस पर भी आयकर लगाया जा सकता है?
नेताओं को भी उनके प्रशंसक भेंट देते हैं परन्तु आज तक उन पर आयकर विभाग ने कर नहीं लगाया है। चुनावी चंदा काले धन की गंगा के किनारे ही पनपते हैं। सच तो यह है कि देश के सबसे कम संख्या में लोग आयकर देते हैं। अगर आयकर ही समाप्त कर दिया जाए और सारे भारत के आयकर भवन किराये पर उठा दिए जाएं तो सरकारी कोष में खूब धन आ सकता है और आयकर विभाग के अफसरों को योजना आयोग या अन्य विभागों में भेज दें तो उनकी प्रतिभा और परिश्रम देश को बहुत लाभ पहुंचा सकता है। सरकार इस तथ्य से परिचित है परंतु आयकर नामक कोड़े का वो त्याग नहीं कर सकते। आयकर के कोड़े से ही विरोधियों पर नियंत्रण रखा जाता है। आयकर का अंकुश विरोध के हाथी को अपने अधीन रखता है।
खेती से प्राप्त आय को कर मुक्त रखा गया है। अनेक अमीर लोग अपनी काली कमाई को अपने खेत की आय बताकर बच निकलते हैं। हम भारतीय लोग पतली गलियां व भूमिगत सुरंगें खोजने में अत्यंत प्रवीण हैं। यह कितनी अजीब बात है कि स्वतंत्रता संग्राम के समय नारा लगाया गया था कि व्यापारी हुकुमते बरतानिया को आयकर नहीं दें परंतु स्वतंत्रता मिलने के बाद भी हमारे अमीरों ने आयकर देना या कम देने को अपना अधिकार ही मान लिया है। हमने हर गंगा को प्रदूषित करने में महारत हासिल कर ली है।
सर्वकालिक महान टेनिस खिलाड़ी योन बोर्ग को अपनी एक अवस्था में जीवन-यापन के लिए अपने जीते हुए कप, मैडल और ट्रॉफियां बेचना पड़ीं। टेनिस कोर्ट पर सैकड़ों लीटर पसीना बहाने वाले खिलाड़ी ने अपने पुरस्कार बेचे और अगर बेचने पर मिले धन पर भी आयकर लग जाता तो वह भूख से ही मर जाता। महान आर्य जाति का एक दल जर्मनी पहुंचा और उन्होंने महान देश की रचना की परंतु उसी आर्य जाति का जो वर्ग भारत आया, उसने एक भ्रष्ट नैतिकता विहीन देश रचा गोयाकि जमीन और भौगोलिक तत्व इतिहास और भाग्य को रचते हैं?