प्रेम अकारण होता है / सिद्धार्थ सिंह 'मुक्त'
तुम पूछती हो कि हमारे मध्य प्रेम का जन्म कैसे हुआ ? मैं क्या उत्तर दूँ इसका ? बस इतना ही कह सकता हूँ कि प्रेम का जन्म नही होता कभी, हाँ प्रेम में अवश्य हमारा वास्तविक जन्म होता है| "प्रेम से चित्र, संगीत, काव्य और नृत्य जन्मता है| प्रेम से एक मधुर लय जन्म लेती है| जीवन में जो कुछ भी सुन्दर है वो सब प्रेम से ही उत्पन्न होता है|" तुम प्रेम का कारण जानने का प्रयास करती हो लेकिन जिसका कारण हो क्या वो सच में प्रेम है ? प्रेम तो सदा अकारण ही होता है| यही उसका रहस्य है, यही उसकी पवित्रता है| अकारण होने के कारण ही प्रेम दिव्य है|
तुम जो प्रेम के फूलों से माला गूंथती हो उसकी सुगंध मुझ तक पहुँच रही है| तुम जो अनुराग की बेलों को बो रही हो उनका अंकुरण मैं अपने ह्रदय में अनुभव करता हूँ| तुम्हारे नयनों से जो आँसू गिरते हैं वो मेरी आँखों की शक्ति और चमक बन जाते हैं|