प्रेम कथा स्टूडियो से अदालत तक / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
प्रेम कथा स्टूडियो से अदालत तक


91 वर्ष के हो चुके दिलीप कुमार की याददाश्त आती-जाती रहती है। उन्हें कुछ दूसरी बीमारियां भी हैं। उनसे 22 साल छोटी हैं उनकी पत्‍नी सायरा बानो। छठे-सातवें दशक में वे सौंदर्य साम्राज्ञी मानी जाती थी। उनकी तहे-दिल से तीमारदारी कर रही हैं। यादों के आने-जाने की ङिालमिल में संभवत: दोनों ही अपनी गुजरी हुई प्रेम कहानियों की याद करते होंगे। दिलीप कुमार का सघन प्रेम-प्यार मधुबाला से था, जो स्टूडियो में शुरू हुआ और औपचारिक रूप से 1957 में अदालत में खत्म हुआ, जब बलदेवराज चोपड़ा ने मधुबाला को कोर्ट में खींचा और दिलीप कुमार ने चोपड़ा की ओर से गवाही देते हुए यह ऐलान किया कि वे मधुबाला से इश्क करते हैं तथा उनके सामने चोपड़ा ने नया दौर के लिए अग्रिम धन राशि उन्हें दी थी। परंतु मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने डेढ़ माह के आउट डोर पर अपनी कन्या को भेजने से इन्कार कर दिया। इस बयान और भरी अदालत में इकरारे-इश्क को अगले दिन के अखबारों में प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित किया गया, जबकि उस दौर में आज की तरह फिल्मों को महत्व नहीं दिया जाता था। यह एक लोकप्रिय बात है कि अताउल्लाह खान अपनी कमाऊ पुत्री की शादी नहीं होने देना चाहते थे, क्योंकि उनके बड़े परिवार का पेट मधुबाला ही पाल रही थी। इस बात में संदेह इसलिए है कि दिलीप सा प्रसिद्ध दामाद उनकी आर्थिक दशा को पलक झपकते ही ठीक कर देता। तथ्य यह है कि अभिनेता प्रेमनाथ जो राजकपूर के साले हैं, ने दिलीप के कान भरे कि मधुबाला उनके साथ भी इश्क फरमा रही हैं। इस डबल टाइमिंग से दिलीप का दिल टूट गया। दिलीप जैसा कद्दावर पठान कान का कच्चा निकला और उन्होंने प्रेमनाथ पर यकीन कर लिया।

बहरहाल दिलीप और मधुबाला ने के.आसिफ की मुगले आजम में ऐतिहासिक प्रेम दृश्यों का निर्वाह भावना की तीव्रता से किया, जबकि उन दिनों वे एक दूसरे से बात भी नहीं करते थे। एक दृश्य में दिलीप पंख से मधुबाला के गाल को स्पर्श करते हैं और वे लता सी थरथराती हैं। इसी से दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते थे। ये हिंदी सिनेमा का सबसे अभिनव प्रेम दृश्य है। हर परफेक्ट शॉट के बाद दोनों अपने-अपने मेकअप रूम में चले जाते थे।

ज्ञातव्य है कि हृदय के लाइलाज रोग के दिनों में मधुबाला ने अपने बंगले में प्रोजेक्टर लगाया और वे रोज मुगले आजम देखती थीं। यह भी संभव है कि सायरा बानो अपनी यादों में अपने प्रथम प्रेमी राजेन्द्र कुमार को देखती हों, जो सारी उम्र दिलीप की अभिनय शैली की नकल करते थे और राजकपूर की संगम उनका श्रेष्ठ प्रयास था।

गोयाकि सायरा जी नकल से इश्क लड़ाकर असल से शादी कर बैठीं। आज भी मधुबाला की याद दिलीप साहब की आंखों में एक दिव्य चमक पैदा करती है और सायरा बानो अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें निहारती हैं। ये दोनों बुजुर्ग पचास सालों से एक दूसरे का सहारा बने हैं और यह अनुमान मात्र है कि यादों के गलियारों में वे दबे पांव चहलकदमी करते हों।

अदालत तक 91 आज भी मधुबाला की याद दिलीप साहब की आंखों में एक दिव्य चमक पैदा करती है और सायरा बानो अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें निहारती हैं। ये दोनों बुजुर्ग पचास साल से एक-दूसरे का सहारा बने हैं और यह अनुमान मात्र है कि यादों के गलियारों में वे दबे पांव चहलकदमी करते हों।