प्रेम का रसायन अौर दैहिकता की गंध / जयप्रकाश चौकसे

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प्रेम का रसायन अौर दैहिकता की गंध
प्रकाशन तिथि :30 नवम्बर 2015


रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की पहली फिल्में 'सांवरिया' और 'ओम शांति ओम' एक ही दिन प्रदर्शित हुई थीं। प्रदर्शन पूर्व संजय लीला भंसाली और शाहरुख खान के बीच फिल्मों के एक साथ प्रदर्शन को लेकर द्वंद्व शुरू हो गया था और उसी द्वंद्व के भाग दो के रूप में इस वर्ष 18 दिसंबर को खान की 'दिलवाले' अौर भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' प्रदर्शित होंगी परंतु उस द्वंद्व के दौर में 'सांवरिया' के नायक रणबीर कपूर और 'ओम शांति ओम' की नायिका दीपिका पादुकोण के बीच अंतरंग दोस्ती हो गई और समय के साथ रिश्ता गहरा होता गया, उनके विवाह की सुर्खियां भी छाई थीं। दोनों की प्राथमिकता उस समय अपना कॅरिअर बनाना था। दीपिका पादुकोण में स्टारडम की सीधी सड़क पर चलते हुए अपने कंधों पर फिल्म को सफल बनाने की कूवत आ गई जैसा हम 'चेन्नई एक्सप्रेस' में देख चुके हैं गोयाकि शाहरुख जिस नाव (दीपिका) को नदी तक अपने कंधे पर लादकर लाए थे, अब उसी नाव पर बैठकर बॉक्स ऑफिस की वैतरणी पार करने पर मजबूर हो गए।

दूसरी ओर रणबीर कपूर स्टारडम के सीधे रास्ते को छोड़कर प्रयोग की अांकी-बांकी पगडंडी, खतरों से भरी पगडंडी पर चल पड़े, क्योंकि उन्हें बतौर अभिनेता अपने को मांजना था। इसी संकरी पगडंडी पर उन्हें 'बर्फी', 'वेकअप सिड' और 'रॉकस्टार' मिली परंतु जंगल की पगडंडी पर कुछ गड्ढे भी होते हैं और वे गिरे फिर उठे और चलते रहे। दीपिका और रणबीर के प्रेम प्रसंग में रुकावटें आ चुकी थीं और उन्होंने उस रिश्ते से विवाह की मंजिल खारिज की और मित्र बने रहने का अलिखित अनुबंध किया, जिसके परिणाम स्वरूप सुपरहीट 'ये जवानी है दीवानी' आई परंतु इसके पूर्व रणबीर कटरीना कैफ के साथ 'अजब प्रेम की गजब कहानी' और 'राजनीति' में सफलता अर्जित कर चुके थे और उनकी कटरीना कैफ के साथ गज़ब कहानी प्रारंभ हो चुकी थी और उस कहानी का दिलचस्प तथा साहसी मोड़ यह है कि विगत एक बरस से वे दोनों एक फ्लैट में रह रहे हैं, जिसे लिव-इन रिश्ता कहते हैं। यह 'लिव इन' विवाह पूर्व विवाहित की तरह रहने को कहते हैं।

दीपिका पादुकोण में वह क्या नहीं है, जो रणबीर कपूर को कटरीना कैफ में दिखा? इसका पारंपरिक सुविधाजनक उत्तर तो यह है कि 'लैला को मजनू की निगाह से देखो।' इश्क आशिकों की नज़रों में बसा होता है गोयाकि दिल उछलकर आंखों में आ बसता है।

दरअसल, मनुष्य शरीर में मस्तिष्क दिल से ऊपर के मकाम पर बैठा है और दिल केवल खून संचारित करने का पम्प है। दिमाग का बायां हिस्सा भावना पक्ष है और दाहिना हिस्सा तर्क पक्ष है। अत: यह संभव है कि मानव मस्तिष्क के भीतर भावना और तर्क पक्ष के बीच सरहद है और इसी सरहद अर्थात संतुलन की रेखा पर रणबीर कपूर ने कैटरीना कैफ को देखा, जो अत्यंत यथार्थवादी व्यक्तित्व है। रणबीर कपूर का मूड पल-पल बदलता है और वह नाराज़गी के सिरे से शांति के सिरे तक की यात्रा एक क्षण में कर लेता है और कटरीना कैफ इस तीव्र गति की यात्रा के बीच वह सराय है, जहां खानाबदोश रणवीर कपूर सुकून पाता है, तसल्ली की सांस लेता है।

दीपिका पादुकोण की मति में भी गति ही है अर्थात वह खुद ही धावक है, इसलिए कभी सराय नहीं बन सकती। इसका यह अर्थ नहीं कि कटरीना कैफ गतिहीन हैं। आप जब घूमता लट्टू देखते हैं तो वह एक जगह स्थिर-सा नज़र आता है। आमिर के 'तारे जमीं पर' में वे स्थिर चित्रों के एलबम के पन्न तेजी से पलटते हैं तो वे स्थिर चित्र हमें चलायमान नज़र आते हैं। पृथ्वी भी निरंतर घूमती है परंतु वह हमें स्थिर-सी लगती है। कैटरीना कैफ की गति भी कुछ ऐसी ही है। कैफ जहाज के लंगर की तरह है, तो दीपिका पादुकोण 'नाव में तूफान' की तरह है। रणबीर कपूर और दीपिका के बीच परदे पर प्रेम का रसायन क्या विगत के यथार्थ के प्रेम के पात्र के नीचे बची तलछट का असर है और उनकी नज़दीकी उस तलछट (बर्तन में नीचे रह गया दूध) में बची मलाई को फिर घी में बदल देता है। क्या इसीलिए कहते हैं कि प्रेम मरता नहीं? आजकल रणवीर सिंह दीपिका के प्रेम में आकंठ डूबे हैं? परदे पर उनके बीच 'गोलियों की रासलीला' में जो दिख वह प्रेम का रसायन नहीं वरन् शारीरिकता है, जिसमें सुगंध नहीं वरन् दैहिक आदिम गंध है।