प्रेम की जासूसी और जासूसी का प्रेम / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :05 अप्रैल 2017
अनुराग बसु और रणवीर कपूर की भागीदारी में बनी फिल्म 'जग्गा जासूस' के प्रदर्शन के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं और अब अगले माह में प्रदर्शन की बात तय मानी जा रही है। रणवीर कपूर ने इसमें अभिनय का मेहनताना नहीं लिया है और अनुराग बसु ने लेखन एवं निर्देशन के लिए पैसे नहीं लिए हैं और यही िनर्माण में उनका निवेश भी है। अनुराग बसु प्राय: पहले से लिखी पटकथा पर फिल्म नहीं बनाते परंतु फिल्म का आकल्पन उनके मन में स्पष्ट रहता है और उसमें वे निरंतर सुधार करते जाते हैं। कुछ फिल्मकार सोच-समझकर लिखी पटकथा में जरा-सा भी परिवर्तन नहीं करते। महेश भट्ट के सिनेमाई स्कूल में सीमित बजट कभी भी बढ़ाया नहीं जाता और उन्हीं के सिनेमाई स्कूूल मेें प्रशिक्षित बसु अपने आकल्पन से कोई समझौता नहीं करते और समय तथा बजट की सीमा को नहीं स्वीकार करते।
दरअसल, फिल्म निर्माण में इतनी चीजें शामिल हैं कि इस पर कोई नियम नहीं चलता। आउटडोर शूटिंग के स्थान पर असमय वर्षा होने से सारी योजना धरी रह जाती है। कलाकार के परिवार में मृत्यु होने पर भी काम रुक जाता है। 'मेरा गांव, मेरा देश' फिल्म के लिए यूनिट राजस्थान गई थी। एक सुबह धर्मेंद्र ने कहा कि बादल छाए हैं, इसलिए शूटिंग संभव नहीं है। निर्देशक ने कहा कि कही कोई बादल नहीं है। धर्मेंद्र ने कहा दूरबीन से देखो, दूर घने बादल नज़र आ रहे हैं। निर्देशक ने समझ लिया कि उनके नायक का काम करने का मन नहीं है। उसने सहायक निर्देशक से कहा कि यूनिट को खबर कर दो कि आज काम नहीं होगा। सहायक ने जिरह करने की कोशिश की तो निर्देशक ने उसे एक थप्पड़ मारा और कहा घनघोर बादल छाए हैं। थप्पड़ इतना करारा था कि सहायक की आंखों के सामने अंधेरा छा गया और उसने कहा कि बादल ही नहीं छाए हैं वरन् बिजली भी कड़क रही है। राज खोसला निर्देशक थे और स्वयं बहुत मूडी व्यक्ति थे। वे आउटडोर में अपना हार्मोनियम ले जाते थे और ऐसे आकस्मिक अवकाश पर जी खोलकर रियाज़ करते थे। उस दिन उन्होंने रियाज की 'लपक झपके तू आरे बदरवा, मेरे घड़े में पानी नहीं है, पानी तू बरसा...।' धर्मेंद्र ने उन्हें रोका कि खोसला साहब मन लगाकर ऐसा मत गाइए, कहीं समचुच वर्षा नहीं हो जाए। ज्ञातव्य है कि राज खोसला इस फिल्म के निर्माता भी थे। अत: अपने ही धन को पानी की तरह बहाना फिल्म निर्माण का एक हिस्सा है।
अनुराग बसु और रणवीर कपूर की 'बर्फी' की सफलता के बाद 'जग्गा जासूस' का आकल्पन हुआ। उस समय रणवीर कपूर व दीपिका पादुकोण प्रेम प्रकरण समाप्त हुआ था और उदास-मायूस आशिक कैटरीना कैफ के खूबसूरत कंधे पर दीपिका पादुकोण को भुलाने की चेष्टा कर रहे थे। इसी दौर में कपूर-कैटरीना की कैफियत पनपी और अब उनमें दूरियां बढ़ रही हैं तथा कैटरीना अपने बेस कैम्प सलमान के निकट आ गई है। इश्क की ट्यूबलाइट एकदम रोशन नहीं होती, वह होते-होते रोशन होती है। रोमानिया में जन्मी वंटूर उस घोंसले में पहले ही मौजूद हैं। साहसी चिड़िया तो तोप के दहाने (मुंह) पर भी घोंसला बना लेती है। नादान परिंदे घर लौट आते हैं। जुदा हुए प्रेमी एक-दूसरे पर नज़र रखते हैं।
एक अरसे बाद युवा रणवीर कपूर के जीवन में कोई लड़की नहीं है। उन्होंने अपने दादा राज कपूर से प्रतिभा ली है और अपने ताउ शम्मी कपूर से इश्क लड़ाना सीखा है। उनके पिता ऋषि कपूर हमेशा अनुशासित कलाकार रहे हैं। रणवीर कपूर स्वयं को निर्माण व निर्देशन के लिए तैयार कर रहे हैं। न्यूयॉर्क से अभिनय प्रशिक्षण लेने के बाद वे संजय लीला भंसाली के सहायक निर्देशक बने और उनकी 'सांवरिया' से ही उन्होंने अभिनय यात्रा प्रारंभ की परंतु 'सांवरिया' इतनी बड़ी असफलता थी कि रणवीर कपूर से कम प्रतिभाशाली कलाकार का तो कॅरिअर ही समाप्त हो जाता परंतु उसे अयान मुखर्जी की 'ये जवानी है दीवानी' में सफलता मिली। अयान मुखर्जी और रणवीर कपूर अन्यतम मित्र हैं। वे दोनों एक-दूसरे को बेहतर समझते हैं और अधिकतर समय साथ-साथ गुजारते हैं। 'वेक अप सिड,' 'ये जवानी है दीवानी,' के बाद अब उनकी जोड़ी की तीसरी फिल्म प्रारंभ होने जा रही है। उनकी मित्रता कुछ इस तरह है कि बिना बोले ही वे एक-दूसरे को समझ लेते हैं।
भारतीय सिेमा में मुखर्जी घराना मनोरंजन की खातिर मनोरंजन गढ़ता है परंतु कपूर घराना सामाजिक सौद्देश्यता का मनोरंजन गढ़ता है परंतु इन विपरीत घरानों में जन्मे युवा अभिन्न मित्र हैं। ये उम्मीद की जा सकती है कि ये मित्र अब कोई तीसरा घराना रच सकते हैं। अयान ने एक सुपरमैन फिल्म लिखने का प्रयास किया था। यह बताना कठिन है कि उन्होंने उसे किस कारण निरस्त किया। राजकुमार हीरानी की 'पीके' के अंतिम दृश्य में अन्य ग्रह से आए व्यक्ति के रूप में रणवीर कपूर नज़र आए थे परंतु वर्तमान में वे संजय दत्त का बायोपिक रणवीर कपूर के साथ बना रहे हैं। जाने कैसे हर दंतकथा में कोई न कोई कपूर मौजूद होता है। क्या बादलों के पार आकाश गंगा में नौका विहार करते राज कपूर और नरगिस कोई खेल रच रहे हैं। इस समय गुरुदत्त की 'कागज के फूल' का गीत याद आ रहा है, 'भीगी रात में पेड़ के नीचे, ये मिलने बिछड़ने के कैसे खेल रचाए।' इस गीत का भी लंबा इतिहास है। इसे पहले सीएच आत्मा ने गाया है।