प्रेम गीत / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
एक बार एक कवि ने बहुत उत्कृष्ट प्रेम गीत लिखा। उसने अपने गीत की अनेक प्रतियाँ निकलवाई और अपने सभी परिचितों को भेज दीं। इनमें पहाड़ों के उस पार रहने वाली एक खूबसूरत लड़की भी थी। जिससे वह केवल एक बार मिला था।
दो दिन बाद उस लड़की की तरफ से संदेशवाहक एक पत्र लेकर आया। पत्र में उसने लिखा था, "विश्वास करो, तुम्हारा मेरे लिए लिखा गया गीत मेरे दिल की गहराइयों में उतर गया है, तुम अब यहाँ आ जाओ और मेरे माता पिता से बात कर लो ताकि हम शादी कर सकें।"
कवि ने पत्र का उत्तर देते हुए लिखा, "दोस्त, तुम्हें भेजा गया प्रेमगीत किसी भी कवि के हृदय से जन्मा 'प्यार का गीत' है जिसे संसार का प्रत्येक पुरुष प्रत्येक स्त्री के लिए गा सकता है।"
लड़की ने फिर लिखा, "झूठे! पाखंडी! मैं मृत्युपर्यन्त सभी कवियों से नफरत करती रहूंगी...सिर्फ तुम्हारी वजह से।"