प्रेरक आत्मकथा / कविता भट्ट

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सूखे आँसू: (आत्मकथा) : श्याम त्रिपाठी, प्रकाशकः अयन प्रकाशन, 1 / 20, महरौली, नई दिल्ली-110031, वर्षः 2019, मूल्यः 300 रुपये; पृष्ठः 146

विश्व-पटल पर हिन्दी की प्राण-प्रतिष्ठा करने वाले 'हिन्दी-चेतना' के यशस्वी सम्पादक श्री श्याम त्रिपाठी जी की आत्मकथा 'सूखे आँसू' पढ़ने का सुअवसर प्राप्त हुआ। यह लेखक के जीवन का कथ्य मात्र अथवा सपाट बयानबाजी नहीं है; अपितु एक चलचित्र है। यह एक कालखंड का शिलालेख है। सामान्य परिवार से वैश्विक परिदृश्य में स्वयं को सिद्ध करने वाले एक संघर्षशील तथा कभी न थकने वाले ,प्रणम्य व्यक्तित्व के खट्टे-मीठे अनुभवों की भाव-शृंखला है-सूखे आँसू

यद्यपि 'सूखे आँसू' को एक समीक्षा में पूर्णरूप से बाँधना थोड़ा कठिन कार्य है; तथापि मेरा यह विनम्र प्रयास है। पहले हम विषयवस्तु की बात करेंगे तत्पश्चात् शिल्प आदि पर चर्चा करेंगे। आत्मकथा की विषयवस्तु श्री त्रिपाठी ने अपने बाल्यकाल के कठिन काल से प्रारम्भ की है। वे प्रारम्भ में ही बिना किसी लाग-लपेट के स्पष्टवादी ढंग से लिखा है कि वे अत्यंत साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते थे और उनके बाल्यकाल में ही उनके पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उनको बहुत विकट परिस्थितियों से गुज़रना पड़ा। उनका लालन-पालन उनकी माँ विषम परिस्थितियों में कर रही थीं। यहाँ तक कि उन्हें अनेक बार भरपेट भोजन भी प्राप्त नहीं हो पाता था।

बचपन की एक-एक घटना को उन्होंने बहुत ही सरल एवं रोचक ढंग से लेखनी के द्वारा कागज़ पर उतारा है।

बचपन की घटनाओं से प्रारम्भ करते हुए वे अपनी वर्तमान उम्र तक का चित्रण इस ढंग से करते हैं कि पाठक प्रत्येक कथ्य से स्वयं को जुड़ा हुआ अनुभव करता है। घटनाक्रम एक चलचित्र की भाँति जीवन्त चित्रण प्रस्तुत करता है। यह एक सिद्धहस्त लेखक एवं संवेदनशील व्यक्ति ही कर सकता है। श्री त्रिपाठी इसमें सफल हुए हैं। उन्होंने तीस शीर्षकों के अंतर्गत जीवन की कथा, बरेली जाने की तैयारी, बरेली कॉलिज, दिल्ली में नया जीवन, अमरीकन से मुलाकात, भाषा सीखने की विधि, इंग्लैण्ड में दस वर्ष, सप्लाई टीचिंग, पेंटिंग, शैक्षणिक अनुभव, पैट्रिक, नए जीवन का आगाज़, जीवन की एक नई दिशा, कैनेडा में प्रवेश, बीमार मानसिकता, सामाजिक सरोकार, हिन्दी चेतना की योजना, पुस्तकों से प्रेम, प्रवासी जीवन की हिन्दी सम्बन्धी स्मृतियाँ, आत्म-निरीक्षण तथा शैक्षिक परिदृश्य आदि शीर्षकों के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और घटनाओं को व्यवस्थित रूपरेखा के अन्तर्गत प्रस्तुत किया है। इन सभी सोपानों के अंतर्गत उन्होंने न केवल अपना जीवन प्रस्तुत किया; अपितु एक कालखंड को चित्रित किया है।

बहुत से सोपानों में ऐसी विषयवस्तु है कि पाठक बहुत कुछ सीखते हुए साहित्य-धारा के रसास्वादन का सुअवसर भी प्राप्त करता है। शिल्प से सम्बन्धित कुछ विशेषताओं को इस प्रकार समझा जा सकता है-

सपाट बयानबाजी के स्थान पर रोचकता और सरलता का वे ध्यान रखते हैं। किसी घटना अथवा अनुभव काकारण लम्बा खींचने और उबाऊ बनाने के स्थान पर वे पाठक की एकाग्रता और सम्मोहन का ध्यान रखते हैं। या यह भी कहा जा सकता है कि वे पाठकों की नब्ज़ टटोलने में एक सफल लेखक हैं। एक शिक्षक होने के नाते उन्होंने सीखने की मनोवैज्ञानिक प्रविधि तथा मनोभावों को समझते हुए शिक्षा-ग्रहण और किसी भी विषय को सीखने पर बल दिया; वहाँ वे ढंग बदलकर सीखने की प्रविधि को लेखक ने विशेष रूप से समझा रखा ह॥

भाषा सरल एवं मनभावन है। विषयवस्तु कसी हुई एवं उत्प्रेरक है। शीर्षक 'सूखे आँसू' लेखक के जीवन के संघर्षों को बड़ी ही सरलता से प्रस्तुत करता है। कुल मिलाकर यह आत्मकथा सभी पाठकों को अवश्य पढ़नी चाहिए । -0-