प्रोफाइल पिक / सत्या शर्मा 'कीर्ति'
नीना ने अभी फेसबूके खोला ही था कि मैसेज बॉक्स में मैसेज आया ।"हैलो कैसी हैं"
"मैं अच्छी हूँ और आप?"
"मैं भी ठीक हूँ, कुछ सुना आपने फिर से एक आठ साल की बच्ची के साथ ..."
"ओह... गॉड बहुत ही दुःखद!"
"आदमी तो बस जानवर ही बनता जा रहा है।"
"कब की घटना है?"
"कल रात की ही है, फिर हैवानों ने मार कर फेंक भी दिया।"
"शिट ...बहुत ही हृदय विदारक है ये सब।"
"अच्छा! सुनिए कल फेसबुक पर सभी महिलाओं ने निर्णय लिया है-अपना प्रोफाइल पिक ब्लैक रखने को, आप भी चेंज कर लीजिएगा।"
"जी, ज़रूर हम सभी इस घटना के खिलाफ खड़े होंगे।"
और फिर नई पुरानी कईं बातें होती रही।
"अच्छा एक पूछूँ? अन्यथा न लीजिएगा।"
"हाँ पूछिये न"
"कितनी देर लगानी है"
"चौबीस घण्टे तो रखने ही चाहिए."
"चलो फिर ठीक है। दरअसल आज ही अपने हनीमून से लौटी हूँ वहाँ की ढेरों फ़ोटोज हैं, सोच रही हूँ, रोज एक नई प्रोफाइल पिक लगाऊँ।"
"अच्छा जी, इसीलिए इतने दिनों से गायब थी। हा ...हा..."
"अरे, फिर कुछ भेजिए न मैसेज बॉक्स में, मैं भी तो देखूँ, भाई साहब कैसे हैं।"
"नहीं भई डालूँगी तो फेसबुक पर ही आखिर लाइक-कमेंट की गिनती का सबाल है। हा हा"
और हनीमून के खूबसूरत बातों के बीच जाने कहाँ दफन हो गई थी रेप पीड़िता की गूँगी फरियाद ... शायद ब्लैक प्रोफाइल पिक के अँधेरे गलियारों में ...
-0-