फिरकी गेंदबाजी बाएं से दाएं प्रहार / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 21 जुलाई 2020
कोरोना महामारी के बाद भी कुछ लोग, उम्मीद पाल रहे हैं कि दीपावली पर आईपीएल ताबड़तोड़ क्रिकेट आयोजित हो सकता है। यह मुंगेरीलाल के सपनों जैसा है, परंतु विज्ञापन संसार के हुक्मरान स्पष्ट कर चुके हैं कि तमाशा रचा नहीं जा सकता इससे बड़ी कमाई सटोरियों की होती है। कई देशों में खेलकूद सट्टा जायज है और सटोरिया आयकर भी देता है। भारत में यह गैरकानूनी है। सट्टा सिंडिकेट से नेता व पुलिस विभाग को भारी रिश्वत मिलती है। समानांतर व्यवस्था जारी रहती है कि लूटा हुआ धन मिल बांटकर खाएंगे।
आईपीएल तमाशा व व्यापार से कुछ कलाकार भी जुड़े हैं। मसलन शाहरुख खान ने बंगाल टीम में पैसा लगाया है। प्रिटी जिंटा पंजाब टीम की संयोजक हैं । शिल्पा शेट्टी व उनके पति को बर्खास्त हैं । मुकेश अंबानी ने मुंबई टीम में धन लगाया है। ज्ञातव्य है कि 1983 विश्वकप विजेता भारतीय टीम के कप्तान कपिल देव थे। फिल्मकार कबीर खान ने ‘83’ नामक फिल्म बना ली है, परंतु महामारी के कारण प्रदर्शन टाला जा रहा है। प्रदर्शन पूर्व ‘83’ कुछ लोगों को दिखाई गई, जिन्होंने इसे बहुत पसंद किया। डॉक्यू ड्रामे रचे गए हैं। डॉन ब्रैडमैन को घेरने, गेंदबाज हैराल्ड लॉरवुड, बल्लेबाज के शरीर को निशाना बनाता था व लेग साइड में 5 फील्डर तैनात किए गए। इस पर अत्यंत रोचक डॉक्यू-ड्रामा बना। स्टंप की जगह बल्लेबाजी पर धाकड़ आक्रमण से ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड का राजनैतिक संबंध खतरे में आया था। गौरतलब है कि वही बदनाम लॉरवुड खेल से निवृत्ति के बाद ऑस्ट्रेलिया जा बसा व समाज ने उसके साथ सद्व्यवहार किया। ज्ञातव्य है कि इंग्लैंड के कप्तान डगलस जॉर्डिन ने ही व्यूह रचना की थी। डगलस जार्डिन को ऑस्ट्रेलिया ने कभी क्षमा नहीं किया, हैराल्ड लॉरवुड का साथी गेंदबाज बिलवुड तो मात्र मोहरे थे। दिमागी खुराफात तो जार्डिन की थी ।
मैच फिक्सिंग एक स्याह दाग रहा है। खिलाड़ी पैसे लेकर अपनी योग्यता से कम प्रदर्शन जानबूझकर करते थे। इस घिनौने काम के लिए कुछ लोग दंडित किए गए, परंतु चुनिंदा लोग बचा लिए गए। महामारी में टूटी व्यवस्था से पहुंच रही क्षति से भी हुक्मरान ने पल्ला झाड़ लिया है। अंधभक्तों का विचार है कि करोड़ों संक्रमित हो सकते थे, परंतु चंद लाख लोग ही हुए हैं। हर संकट में बच जाना इत्तेफाक नहीं हो सकता, जिसका चंदन घिस माथे लगाने से लहूलुहान आत्मा का निर्वाण नहीं होता। गेंद की चमक बनाए रखने को गेंदबाज अपने वस्त्र पर गेंद रगड़ते हैं। मुंह की लार भी काम में लेते हैं, परंतु महामारी में आयोजित खेल में लार का उपयोग प्रतिबंधित हो सकता है।
क्रिकेट से प्रेरित फिल्में बनी है, देवानंद अभिनीत ‘लव मैरिज’ में नायक बल्लेबाज है। इसी विषय पर कुमार गौरव अभिनीत फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ‘हिट विकेट’ हुई थी। अक्षय कुमार-ऋषि कपूर अभिनीत ‘पटियाला हाउस’ सफल रही। आमिर खान की ‘लगान’ तो महाकाव्य है। अंग्रेजी में अनेक किताबें लिखी गई हैं, इंदौर के प्रोफेसर सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी का प्रयास सराहनीय रहा। रेडियो के लिए क्रिकेट का आंखों देखा हाल सुनाने की विद्या ए.एफ.एस टी तल्यारखान ने की थी। वे अकेले पांचों दिन की कॉमेंट्री करते थे। बाद के दौर में चार लोग बारी-बारी से यह काम करते हैं। प्राय: वे विगत व भविष्य की आशंका का वर्णन करते हुए वर्तमान का वर्णन नहीं कर पाते। हर क्षेत्र में जुगाड़ू घुसते रहे हैं। ताबड़तोड़ क्रिकेट में आड़े बल्ले का इस्तेमाल किया जाता है। अब रन कैसे बनें, यह महत्वहीन हो गया है, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ व इन्हीं की परंपरा के कोहली ने बार-बार यह रेखांकित किया कि सीधे बल्ले से बल्लेबाजी के ग्रामर नियमों का पालन करते हुए भी तेज गति से रन बनाए जा सकते हैं। हर क्षेत्र में अराजकता की महामारी के समय भी प्रतिभाशाली लोग खेल शास्त्रानुसार ही खेलते हैं। घटियापन की स्याह रात के अंधकार को जुगनू चुनौती देता है।