फिल्मों के इंद्रधनुष में अतरंगी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 28 जुलाई 2020
आनंद, एल, राय अपनी अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘अतरंगी रे’ की शूटिंग सितंबर में करने की योजना बना रहे हैं। शूटिंग का पहला दौर वाराणसी में किया जा चुका है। वर्तमान में प्रार्थना स्थल फिल्मकारों के प्रिय लोकेशन बन चुके हैं। दशकों पूर्व सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में पूरी फिल्म मंदिरनुमा घर और घरनुमा मंदिर के सैट पर शूट की गई थी। मंदिर के सैट पर प्रेम या मारधाड़ के दृश्य शूट नहीं किए जाते। श्रीधर की राजकुमार, राजेंद्रकुमार व मीनाकुमारी अभिनीत फिल्म ‘दिल एक मंदिर’ की अधिकांश शूटिंग अस्पताल के सैट पर की गई थी।
सलीम-जावेद की लिखी ‘दीवार’ फिल्म का नास्तिक नायक मंदिर में भगवान से वार्तालाप कर कहता है, ‘आज खुश तो बहुत होगे तुम कि एक नास्तिक तुम्हारे द्वार पर आया है।’ फिल्मों में प्राय: पात्र ईश्वर से वार्तालाप करते हैं। पर सवाल, जवाब की तरह होता है और जवाब, सवाल की तरह। जो हमेशा दिल में बसा होता है, उससे मनुष्य बात नहीं कर पाता। पत्थर के देवता के सामने मनुष्य की अभिव्यक्ति पथरा जाती है। मनुष्य स्थिर हो जाता है व मूर्तियां चलायमान हो जाती हैं। युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी सोफिया लांरा अभिनीत फिल्म ‘टू वीमन’ के क्लाइमैक्स में हिंसा से बचती हुई मां और पुत्री सुरक्षित जगह मानकर चर्च का आश्रय लेती हैं। युद्ध के नशे में चूर सैनिक चर्च में दुष्कर्म करते हैं। फिल्मकार युद्धोन्माद की जहालत को रेखांकित करता है।
बहरहाल ‘अतरंगी’ एक प्रेम कथा है। रिश्ते की नजदीकी को अतरंगी माना गया है। मणीरत्नम की शाहरुख खान और मनीषा कोईराला अभिनीत ‘दिल से’ में ए.आर.रहमान और गुलजार रचित गीत इस तरह था, ‘दिल का साया हमसाया सतरंगी रे...इस बार बता, मुंहजोर हवा, ठहरेगी कहां।’
रहस्यमय प्रेम के सरलीकरण के लिए उसे रंग से परिभाषित करने का प्रयास होता है। कभी-कभी दुर्घटना भी होती है। मसलन एक फिल्म में गीत में ‘रंग दे तू मोहे गेरुआ’ कहा गया है, जबकि यह पवित्र रंग साधू-सन्यासियों के साथ जुड़ा है। सूफी काव्य में ईश्वर को रंगरेज कहा गया है। ‘तनु वेड्स मनु’ में गीतकार राजशेखर ने इसका प्रभावोत्पादक उपयोग किया है। ‘रंगरेज तू मेरी सुबह रंग दे, मेरी शाम रंग दे’, इस गीत में गहराई यह है कि अफीम खाकर रंगरेज पूछता है कि रंग का कारोबार क्या है, कौन से पानी में तूने कौन सा रंग मिलाया है। वर्तमान असहिष्णुता में आभास होता है कि रंगरेज ने सचमुच अफीम चख ली है। पुरातन किताबों के गलत अनुवाद की अफीम तो सदियों से चाटी जा रही है।
जिस धन पर आयकर नहीं दिया जाता, उसे काला-धन कहते हैं। इस काले धन को समाप्त करने की कवायद में बहुत फिजूलखर्ची हुई। बैंक में लगी कतारों में कुछ लोगों की मृत्यु हो गई। मृत देह पर पैर रखता हुआ विकास आगे बढ़ता हुआ ठिठक सा गया है।
शरीर की त्वचा के रंगों ने कहर ढाया है। अमेरिका आज भी रंग भेद से जूझ रहा है। त्वचा गोरी करने वाले क्रीम का कारोबार बहुत पनपा। अवाम ठगे जाने के लिए प्राय: आतुर रहा है। बालों को स्याह बनाने की प्रक्रिया में कुछ कैमिकल लोचा है। मेहंदी का रंग प्राकृतिक व शुभ माना गया है, परंतु ‘रंग लाती है हिना, पत्थर पर पिस जाने के बाद।’ जिन हाथों पर यह रंग गहरा हो जाता है, उनके नसीब में गहरा प्रेम होता है। कभी-कभी शादी-ब्याह में मेहंदी लगाने वाली युवती की स्वयं की शादी नहीं हो पाती।
‘जुबैदा’ का गीत है मेहंदी है रचने वाली, हाथों में गहरी लाली..जीवन को, नई खुशियां मिलने वाली हैं। बसंती रंग प्रेम का रंग है। शहीद भगतसिंह और साथी बसंती रंग में रंगे जाने की कामना अभिव्यक्त करते हैं। वे स्वयं को दूल्हा और स्वतंत्रता को दुल्हन मान लेते हैं। इस तीव्र देशप्रेम में फांसी का दंड पाने वाले को कहते थे कि यार घोड़ी चढ़ गया। आज भगतसिंह का पुनर्जन्म हो, तो उन्हें दु:ख होगा कि क्या इसी आजादी के लिए उन्होंने प्राण दिए थे?