फिल्मों में क्रिसमस और क्रिश्चियन कलाकार / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्मों में क्रिसमस और क्रिश्चियन कलाकार
प्रकाशन तिथि :26 दिसंबर 2017


जॉन अब्राहम ने 'विकी डोनर' और 'मद्रास कैफे' जैसी फिल्मों का निर्माण किया है। देव आनंद की पत्नी कल्पना कार्तिक अपना अधिक समय चर्च में गुजारती हैं। जॉनी लीवर अपने पुराने मित्रों के साथ क्रिसमस मनाते हैं। कृष्णा कपूर अपने घर बड़ा-सा क्रिसमस ट्री लगाती हैं। जॉन काउस, नाडिया क्रिसमस को उत्साह के साथ मनाते हैं। हेलन भी ईसाई हैं। 'शोले' के सांभा मैकमोहन भी ईसाई हैं और हमेशा टिन में बंद फ्रिज में रखा भोजन ही करते हैं। उन्होंने अपने जीवन में अनेक भूमिकाएं निभाई परंतु 'शोले' की भूमिका उनकी पहचान बन गई। हमारी फिल्मों में भी ईसाई पात्र प्रस्तुत किए गए हैं। भाग्यराज की फिल्म 'आखरी रास्ता' में केंद्रीय पात्र ईसाई हैं। 'जूली' के ईसाई पात्र अविस्मरणीय बन चुके हैं। इसी तरह डेविड अभिनीत जॉन चाचा 'बूट पॉलिश' के यादगार पात्र हैं। संगीत के प्रसिद्ध वादक एनॉक डेनियल्स और वॉन शिप्ले हुए हैं। शंकर-जयकिशन की टीम में सेबिस्तान ही अरेंजर हुआ करते थे। दत्ताराम उनके सहायक थे, जिन्हें राज कपूर एवं माला सिन्हा अभिनीत 'परवरिश' में संगीत देने का अवसर मिला।

ऋषिकेश मुखर्जी की 'अनाड़ी' में ललिता पवार अभिनीत पात्र मिसेज डीसा की ममता ही उसकी कोख है। इसी पात्र की लोकप्रियता को भुनाने के उद्‌देश्य से 'मेम दीदी' नामक फिल्म बनाई गई। अनेक फिल्मों में अपराध जगत से जुड़े पात्रों को ईसाई धर्म का अनुयायी प्रस्तुत किया गया है। अंग्रेजों के खिलाफ गुस्सा अजीबोगरीब ढंग से व्यक्त किया गया। राज कपूर की 'जोकर' के पहले भाग में सिमी ग्रेवाल शिक्षिका की भूमिका में है और उनका विवाह डेविड (मनोज कुमार अभिनीत पात्र) से होता है। पूरी फिल्म ही ईसाई धर्म की करुणा की भावना से ओतप्रोत है। यह भी कहा जा सकता है कि यह एक भारतीय मसखरे की बनाई ईसाई फिल्म है। 'जोकर' की अवधारणा भी पश्चिम की देन है। भारत में जोकर महज मसखरा है परंतु यूरोप में यह अवधारणा दर्शन और नाट्यशास्त्र से जुड़ी है। शेक्सपीअर के नाटकों में गंभीर जीवन रहस्य क्लाउन 'जोकर' द्वारा अदा किए गए हैं।

सूफी सत्य भी कमोबेश यही है। इस फिल्म के दृश्य में किशोरवय के नायक ने अपनी युवा एवं सुंदर शिक्षिका को कपड़े बदलते देखा है। पहली बार उसने नारी शरीर को अपने स्वाभाविक सौंदर्य में देखा है। रातभर सपनों के नाग उसे डराते रहे। वह चर्च में अपने मिथ्या अपराध बोध के लिए क्षमा मांगने गया है। वह अपनी प्रार्थना के बाद बाहर जा रहा है तो वही शिक्षिका उससे पूछती है कि वह वहां क्या कर रहा है तो वह अपराध की बात करता है। शिक्षिका उससे कहती है कि बालक कभी अपराध नहीं करते और मिथ्या अपराध बोध से मुक्त होने की शिक्षा देती है।

इसी फिल्म में मेहनत करके अपनी फीस जुटाने को अपराध करार देकर उसे स्कूल से निकाला जाता है। वह फिर चर्च जाता है। शिक्षिका कहती है कि वह किससे नाराज है। वह ऊपर वाले की ओर संकेत करता है। गरीबी को अपराध क्यों माना जाता है? गरीबी ऊपर वाले की रचना नहीं है। यह मनुष्य के लालच और शोषण से जन्मी है। यह एक प्रोडक्ट है, व्यवस्था ने विशाल स्तर पर इसका उत्पादन किया है।

वाल्ट डिज़्नी मनोरंजन विश्व में एक स्थान पर दोनों ओर घरों की कतारों वाली एक सड़क का निर्माण किया गया है। यहां बारहों माह, चौबीसों घंटे क्रिसमस उत्सव का वातावरण बनाया गया है। कोई भी व्यक्ति वर्ष के किसी भी समय क्रिसमस का आस्वाद प्राप्त करने वहां जा सकता है। चर्च की घंटियां गूंजती हैं, केरोल गीत गाए जाते हैं। इसी से जुड़ी बात यह है कि प्रतिवर्ष क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक दल भारत के राष्ट्रपति को केरोल गीत सुनाने जाता रहा है। इस वर्ष उन्हें यह कहकर आज्ञा नहीं दी गई कि धर्मनिरपेक्ष देश के राष्ट्रपति परिसर में यह नहीं किया जा सकता परंतु इस तथ्य को अनदेखा करने की हिदायत है कि इस वर्ष की दीवाली पर पूरा परिसर रोशनी से नहाया हुआ लग रहा था। हिन्दू इंडिया की संरचना किश्तों में जारी है। कमाल की बात यह है कि स्वयं को हिन्दू राष्ट्र कहने वाले नेपाल ने आक्रामक हिन्दुत्व को अस्वीकार किया है।

अनेक वर्ष पूर्व 'इलस्ट्रेटेड इंडिया' नामक पत्रिका ने प्रसिद्ध लोगों से जानना चाहा था उनके लिए हिन्दू होने का क्या अरथ है? राज कपूर का कथन था कि उनके लिए हिन्दू होने का अर्थ है जीवन से आनंद ग्रहण करना और अवाम के जीवन में आनंद लाना। यही जोकर की अवधारणा का मूल भी है।