फिल्म 'ग्रीनबुक' और आदर्श नागरिक / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 01 मार्च 2019
थल सेना, वायु सेना और जल सेना के शौर्य पर गर्व होता है। किसी भी देश के आम आदमी का व्यवहार और नैितकता उस देश की सैन्य शक्ति को प्रभावित कर सकती है। सेना का एक जांबाज छुटि्टयों में अपने घर आता है। उसका पुत्र उसी सायकिल पर सवार अपने कॉलेज जा रहा है जो दशको पूर्व उसने इस्तेमाल की थी। उसी शिक्षा संस्थान में अमीरजादा महंगी कार से कॉलेज आता है। यह आर्थिक खाई इतनी अधिक विकराल होती जा रही है कि पूरी मानवता के लिए चिंता का कारण बनी हुई है।
आज हर आम आदमी अच्छा नागरिक बनने का प्रयास करता है तो देश मजबूत होता है। उसकी सेना को बल मिलता है। शिवम नायर की 'नाम शबाना' में हमारा गुप्तचर एक आतंकवादी को मार देता है। उस गुप्तचर ने अपनी जान कई बार जोखम में डाली है तो नेताजी भारतीय गुप्तचर संगठन के आला अफसर से पूछते हैं कि क्या हम इन्हें अच्छा वेतन देते हैं? आला अफसर कहता है कि इन जांबाज गुप्तचरों को अपने वेतन की कोई शिकायत नहीं है। वे यह काम किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं करते। गुप्तचर विभाग के किसी वीर को कभी सरेआम पुरस्कार नहीं दिया जा सकता क्योंकि उनका परिचय छुपाया रखा जाना उनके काम और जीवन की रक्षा के लिए जरूरी है। इस तरह का गुप्तचर कभी अपने परिवार को भी अपने काम का असली परिचय नहीं देता। पुलवामा आतंकवादी हमले की पूर्व जानकारी गुप्तचर ने दी थी।
आज संकट का समय है। आसमान में युद्ध के स्याह बादल छाए हैं। हर आम आदमी स्वयं से पूछे कि क्या वह आयकर देता है? क्या वह सड़क के बायें चलता है? क्या वह ट्रेफिक सिंगनल के अनुरूप चलता है, क्या वह अपने घर को साफ रखता है? क्या वह अपनी पत्नी का हाथ बंटाता है, क्या वह अपने पड़ोसी की सहायता करता है? सारांश यह कि क्या वह अच्छा नागरिक है? इस वर्ष ऑस्कर पुरस्कार समारोह में कुछ सराही गई और ऑस्कर विजेता फिल्में मैक्सिको में बनी हैं। ट्रम्प महोदय इस सरहद पर दीवार बनाना चाहते हैं और आम अमेरिकन को इस दीवार के निर्माण के लिए अधिक कर देना होगा? अत: भीतरी संकीर्णता के इस वर्तमान समय में 'ग्रीनबुक' नामक फिल्म को श्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर मिला है। कथा सार इस तरह है कि एक गोरा अमेरिकन टैक्सी ड्रायवर है और यात्री अश्वेत अमेरिकन नागरिक है। रंगभेद से ग्रस्त गोरे टैक्सी ड्रायवर को बड़ा दर्द हो रहा है कि एक अश्वेत नागरिक उसकी कार में यात्रा कर रहा है। यात्री किराए के साथ अच्छी खासी टिप भी देता है। अमेरिका में रंगभेद और हमारे यहां जातिवाद कभी जाएगा नहीं।
उस गोरे टैक्सी ड्रायवर के अवचेतन में वह गुजरा हुआ काल खंड आज भी कायम है जब अफ्रीका से लाए गए अश्वेत गुलामों से सारा काम कराया जाता था। उस समय हंटर गोरे के हाथ में था परंतु आज आर्थिक हंटर उस अश्वेत यात्री के हाथ में है। अमेरीका ओलम्पियाड में सबसे अधिक गोल्ड मैडल जीतने वाला देश है परंतु उसके अधिकांश खिलाड़ी अश्वेत अमेरिकन हैं। टेनिस में दोनों महान महिलाएं भी अश्वेत हैं। अनेक अश्वेत अमेरीकन, कलाकारों और तकनीशियनों ने ऑस्कर जीते हैं। हॉलीवुड का मेरूदंड भी अश्वेत प्रतिभाशाली लोग रहे हैं। बैरक ऑबोमा के काल खंड में अमेरिका की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत रही परंतु दंभी ट्रम्प महोदय आम आदमी का जीवन कठिनतर बनाते जा रहे हैं।
हमारी सरहद के नजदीक बसे गांव और कस्बों के नागरिकों ने भय के कारण कभी अपना गांव नहीं छोड़ा। आकाश में वायुसेना के विमान उड़ रहे हैं, शत्रु वायुसेना को खदेड़ रहे हैं, परंंतु सरहद पर बसा आम आदमी अपने खेत में काम कर रहा है। सरहदी क्षेत्रों के नागरिक बड़े साहसी और कर्त्तव्यपरायण हैं। गोलियांे या गालियां के आदान प्रदान के समय भी वे अपना काम करते रहते हैं।
अलसुबह सड़क को मनोयोग से साफ करने वाला व्यक्ति भी देशप्रेमी है। लेखिका एयन रैण्ड का कथन है कि मनुष्य को अपना काम श्रेष्ठता से करते रहना ही नैतिकता है। वे अन्य सभी मूल्यों को खारिज करती हैं। पुराने समय में मध्यम वर्ग के परिवार में दूध छींके पर रखा जाता था। फ्रिज का आविष्कार नहीं हुआ था। कभी कभी बिल्ली के भाग्य से छींका टूट जाता था।
इस समय ऊद बिलाव के भाग्य से छींका टूट गया है। घटनाएं इस तरह हुई कि कापुरुष अब अनर्जित महानता धारण कर सकता है। सैनिकों के पराक्रम का श्रेय हमेशा कप्तान को मिलता है।
हमारी प्रार्थना यही है कि हम अच्छा नागरिक बनें और हम अपने वीर यौद्धाओं को प्रणाम करने की पात्रता अर्जित कर सकें।