फिल्म 'संजू' में मनीषा कोइराला / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्म 'संजू' में मनीषा कोइराला
प्रकाशन तिथि : 01 जून 2018


राजकुमार हीरानी की 'संजू' नामक फिल्म में मनीषा कोइराला नरगिस की भूमिका अभिनीत कर रही हैं और एक आगामी फिल्म में वे संजय दत्त की पत्नी की भूमिका निभाने जा रही हैं। किसी दौर में राखी गुलजार ने अमिताभ बच्चन की प्रेमिका की भूमिका की तो 'शक्ति' में वे दिलीप कुमार की पत्नी तथा अमिताभ बच्चन की मां की भूमिका कर चुकी हैं। इसी तरह संजीव कुमार ने जया बच्चन के प्रेमी तथा पति की भूमिकाएं अभिनीत कीं और गुलजार की फिल्म 'परिचय' में वे उनकी बेटी की भूमिका कर चुकी हैं। रमेश सिप्पी की 'शोले' में जया बच्चन संजीव कुमार की विधवा बहू की भूमिका में प्रस्तुत हुई थीं। अमिताभ बच्चन और उनके बीच प्रेम अंकुरित होता है परंतु कभी अभिव्यक्त नहीं होता। फिल्मकार ने क्लाइमैक्स में वीरू को मरवा दिया, क्योंकि वे संभवत: विधवा विवाह के विवाद से बचना चाहते थे।

'शोले' के एक दृश्य में जमींदार की विशाल कोठी में एक के बाद एक कक्ष में बत्ती बंद की जा रही है परंतु एक रोशन खिड़की में जया ऐसे खड़ी हैं मानो फ्रेम में चित्र लगा हो। दूर अमिताभ बच्चन माउथ ऑर्गन बजा रहे हैं। कैमरामैन और फिल्मकार ने मिलकर यह दृश्य एक महान पेंटिंग की तरह रचा है। दृश्य पीजी वुडहाउस की एक पंक्ति की याद ताजा करता है- 'द विलैज वेंट टू स्लीप विंडो बाय विंडो।' इस फिल्म के कैमरामैन भरूचा की मृत्यु उस समय हुई जब रमेश सिप्पी की 'शान' की शूटिंग शुरू ही हुई थी। गौरतलब है कि कैमरामैन की मृत्यु के बाद रमेश सिप्पी कोई 'शोले' जैसी सफल फिल्म नहीं बना पाए। राज कपूर की फिल्म के कैमरामैन राधू करमाकर की मृत्यु भी राज कपूर की मृत्यु के कुछ समय बाद ही हो गई। मानो ऊपर भी राज कपूर फिल्म बनाने जा रहे हैं और उन्हें राधू करमाकर की आवश्यकता महसूस हुई। ज्ञातव्य है कि राधू करमाकर की आत्म कथा का नाम है 'पेंटर विद लाइट।' मनीषा कोइराला नेपाल की राजनीति में दखल रखने वाले श्रेष्ठि परिवार की सुपुत्री हैं। अपनी पहली फिल्म सुभाष घई की 'सौदागर' में उनसे किसी ने छेड़छाड़ की, जैसा कि नई लड़कियों के साथ प्राय: होता है तो अगले ही दिन नेपाल से कोई संदेश दिल्ली गया और महाराष्ट्र के एक मंत्री द्वारा बात दिलीप कुमार तक पहुंची तो उन्होंने शरारत करने वाले को इस कदर डाटा की उसके होश गुम हो गए। इस तरह की छेड़छाड़ केवल फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं है। सभी कामकाजी महिलाओं को इस संकट से मुकाबला करना पड़ता है। इस दृष्टिकोण की जड़ें हमारी मायथोलॉजी तक जाती हैं। ज्ञातव्य है कि मनीषा कोइराला को कैंसर रोग हुआ था और इलाज कराकर वे पूरी तरह सेहतमंद हो चुकी हैं। कैंसर जैसे रोग से मुक्त होने वाले व्यक्ति का सोच-विचार और नज़रिया बदल जाता है, क्योंकि वह मृत्यु से आंख मिचौली करके आया है। जीवन का रहस्य वह जान चुका होता है। मौत का खौफ कम होते ही ज़िंदगी ज्यादा हसीन लगने लगती है। एक फिल्म का कथासार कुछ इस तरह है कि मनुष्य मृत्यु से एक सप्ताह का समय मांगता है। उसे कुछ अपने अधूरे काम पूरे करने है। मृत्यु का मूड अच्छा है और इजाजत मिल जाती है। वह व्यक्ति उन सब लोगों से क्षमा मांगता है, जिन्हें उसने जाने-अनजाने कभी दु:ख पहुंचाया है। इस काम से प्रसन्न मृत्यु बिना उसे लिए लौट जाती है। अगर आप दरियादिल रहे हैं तो मृत्यु भी आपके प्रति उदार हो सकती है। रणवीर कपूर अभिनीत फिल्म में नायक भी उन सभी महिला मित्रों से क्षमा मागने जाता है, जिनसे उसने वादाखिलाफ की थी। संभवत: क्षमा हमारे मिजाज में नहीं है परंतु जैन धर्म मानने वाले लोगों में एक क्षमा दिवस मनाया जाता है। यह अजीब लगता है कि 'सीता और गीता' तथा 'शोले' जैसी फिल्म बनाने वाले रमेश सिप्पी की 'शिमला मिर्च' नामक फिल्म पूरी बन चुकी है परंतु कोई वितरक उसे लेने नहीं आया। उन्होंने दूसरा विवाह अपने सीरियल 'बुनियाद' की नायिका से किया है। उनकी पहली पत्नी गीता पटेल थी, जो फिल्म सेंटर के मालिक की बेटी थी। रमेश सिप्पी और गीता की सुपुत्री से शशि कपूर के बेटे कुणाल ने विवाह किया था परंतु सुना है कि उनमें अलगाव हो चुका है। आजकल विवाह टूटने की बातें बहुत सामने आ रही है। क्या लोगों में धैर्य या आपसी समझदारी की कमी हो गई है? यह संभव है कि आज मृत रिश्तों को लोग ढोते नहीं हैं। गीता पटेल का एक सहपाठी मन ही मन उसे चाहता था परंतु उसने अभिव्यक्त नहीं किया। रमेश सिप्पी से तलाक के बाद उसने साहस जुटाया और उनका विवाह हो गया।

शशि कपूर की एक दावत में रमेश सिप्पी अपनी दूसरी पत्नी के साथ और गीता पटेल अपने दूसरे पति के साथ आई थीं परंतु चारों ही लोक एक-दूसरे से मिले और टूटे हुए रिश्तों की कोई कड़वाहट अभिव्यक्त नहीं हुई। शादी नामक संस्था को अभिनय प्रशिक्षण केंद्र भी कहा जा सकता है। मनीषा कोइराला अभिनीत विधू विनोद चोपड़ा की फिल्म '1942 ए लव स्टोरी' के लिए जावेद अख्तर ने गीत लिखा था, 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, जैसे खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख्वाब… जैसे मंदिर में हो एक जलता दिया..' राहुलदेव बर्मन ने फिल्म में माधुर्य रचा था परंतु फिल्म प्रदर्शन के पूर्व ही उनका देहांत हो गया अन्यथा उनकी दूसरी पारी अभूतपूर्व होती। बहरहाल मनीषा कोइराला की वापसी का स्वागत है।