फिल्म अभिनेताओं की पेंटिंग की प्रदर्शनी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :08 अप्रैल 2015
'व्हाटेवर इट टेक्स' नामक संस्था वर्ल्ड आर्ट दुबई में 25 सुपर स्टार द्वारा बनाई पेंटिंग्स की प्रदर्शनी आयोजित कर रही है। इन 25 प्रसिद्ध लोगों में कोई भी पेशेवर पेंटर नहीं हैं और ये कलाकृतियां इन्होंने इसलिए बनाई हैं कि इनसे प्राप्त आय गरीबों की मदद के लिए खर्च होगी। इनमें केटी पेरी, जार्ज क्लूनी, डेनियल क्रेग और भारत के युवा अभिनेता रनवीर कपूर शामिल हैं। रनवीर कपूर की प्रतिभा का यह पक्ष अभी सामने आया है। किसी जमाने में अशोक कुमार पेंट करते थे। इस दौर के सलमान खान पेंट करते हैं। ज्ञातव्य है कि रनवीर कपूर की अंतरंग मित्र कटरीना कैफ भी पेंटिग करती हैं। आश्चर्य यह है कि कटरीना कैफ ने गांधी जी की अपनी बनाई पेंटिग विपुल शाह को भेंट की जब उनकी कटरीना कैफ अभिनीत 'नमस्ते लंदन' सफल हुई थी। इन कलाकारों में मॉर्गन फ्रीमैन और ब्रॉनसन जैसे अभिनेता भी हैं। कुछ माह पूर्व इन कलाकारों से निवेदन किया गया था कि विश्व शांति, पर्यावरण जैसे विषयों पर कलाकृति बनाएं परंतु इसके साथ ही उन्हें यह स्वतंत्रता भी थी कि वे मनचाहा विषय ले सकते हैं। रनवीर कपूर की कृति में हंसते हुए बच्चे हैं और पर्यावरण के संकेत भी है। आइ लव यू-बच्चों के लिए फूलों की तरह लिखावट में भी प्रस्तुत किया गया हैं। इन कृतियों का मूल्य 110 दिरम से प्रांरभ होता है। ज्ञातव्य है कि मूल कृतियां नहीं वरन् उनकी फोटो कापियां हजारों की संख्या में बेची जाएंगी।
दरअसल, सिने-कला में अनेक विधाएं शामिल हैं और लोक गीतों का भी जमकर प्रयोग किया जाता है। सत्यजीत राय अपनी पटकथा के साथ हाशिये में दृश्यों के रेखाचित्र भी बनाते थे। एनीमेशन विधा में तो चित्रकला का विशेष महत्व है। कुछ फिल्मकार अपने फिल्म आकल्पन पर कलाकृतियां बनवाते थे ताकि शूटिंग के पहले चित्रावली उनके सामने हो। राज कपूर के आर्ट डायरेक्टर एम.आर. आचरेकर बहुत अच्छी पेंटिग्स करते थे। कुछ दशक पूर्व फिल्म देखकर पेंटर कुछ कृतियां बनाता था, जिसके मॉडल पर सारी प्रचार सामग्री बनती थी। मेहबूब खान ने मदर इंडिया की बुकलेट में पेंटिग्स को शामिल किया था। शांताराम की आंखों की रोशनी कम होने पर चिकित्सक ने दवा के साथ महीनों उनकी आंखों पर काली पट्टी बांधी थी और उसी दौर में उन्होंने अपने मन में नवरंग का आकल्पन किया था। फिल्म आंखें ठीक होने के बाद रची थी।
कुछ लोगों का विचार है कि गांधारी ने अंधे धृतराष्ट्र से विवाह के समय अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी और अपने पुत्रों का बचपन में ही गलत राह पर जाना माता-पिता देख ही नहीं पाएं अन्यथा सही समय पर कदम उठाने से युद्ध रोका जा सकता था। आंख पर सत्ता प्राप्त होने के बाद अहंकार की पट्टी बंध जाती है। कबीर का यह दोहा कि 'घूंघट के पट खोल, तोहे पीव मिलेंगे' का सही अर्थ यह है कि ईश्वर किसी घूंघट के पीछे नहीं छुपा है, वह तो सत्य है और सत्य को किसी आवरण की आवश्यकता नहीं है। हमारी आंखों पर भांति-भांति के घूंघट हैं और हम सत्य देख नहीं पाते। धन-दौलत का घूंघट, अहंकार का घूंघट, ऊंची जाति में पैदा होने का घूंघट, यहां तक कि बुद्धि भी एक आवरण ही है। कहीं बुद्धि प्रकाश देती है, कहीं आस्था प्रकाश देती है।
सच तो यह है कि सारी विधाएं एक दूसरे से जुड़ी हैं। गणित का काव्य से रिश्ता है, ज्यामिति का आर्किटेक्चर से रिश्ता है। सारी कलाओं और ज्ञान का केंद्र मनुष्य होने से सब अदृश्य सूत्र में बंध जाते हैं। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि रनवीर कपूर ने कलाकृति रची है, जिस पर उनकी अभिनीत 'बर्फी' का असर दिखाई देता है। कोई भी कलाकार जन्म से कलाकार नहीं होता, सारी विधाएं परिश्रम से सीखी जाती हैं। मनुष्य के मष्तिष्क की कोई सीमा नहीं है। कहते हैं कि बहुत कम लोग अपनी बुद्धि की क्षमता का 12 प्रतिशत इस्तेमाल कर पाते हैं। इस प्रकरण में गरीब की सहायता का उद्देश्य होने के कारण कलाकार प्रेरित हुए हैं, क्योंकि इस दर्द के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है! संवेदना मनुष्य को जन्म, देश इत्यादि सभी सतहों से ऊपर उठाती है।