फिल्म उद्योग के दो कपूर घराने / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्म उद्योग के दो कपूर घराने
प्रकाशन तिथि :15 जुलाई 2016


लैला मजनू, शीरीं फरहाद, रोमियो जूलियट, मिर्जा साहिबां। ये सब अमर दुखांत प्रेम कहानियां हैं, जो पहाड़ों की तरह पुरानी हैं और आम जीवन में नदियों की तरह बहती हैं। इन पर अनेक देशों और भाषाओं में कई बार फिल्में बनी हैं। प्रेम की धुरी पर संसार और जीवन घूमता है। नफरत की ताकतों के लाख प्रयास के बाद भी प्रेम दिलों में धड़कता है, मनुष्य के रक्त में प्रवाहित है। 'रंग दे बसंती' से राकेश ओमप्रकाश मेहरा का कॅरिअर शुरू हुआ और 'दिल्ली 6' में उन्होंने पटखनी खाई, परंतु 'वे तिल्फ क्या चलेंगे, जो घुटनों के बल रेंगते हैं, शहसवार ही पटखनी खाकर उठते हैं और सवारी करते हैं।' फिल्मकार मेहरा खतरों के खिलाड़ी हैं और उन्होंने अपनी पूरी शक्ति और सृजन निष्ठा से 'मिर्जा साहिबा' बनाई है। अनिल कपूर के पुत्र हर्षवर्धन और सयामी ने केंद्रीय भूमिकाएं अभिनीत की हैं।

इतिहास में राजा हर्षवर्धन अपने कुशल नेतृत्व और दानवीरता के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। उन्होंने अपनी बहन राजश्री को पति की मृत्यु के बाद सती होने से रोका। वे परम्पराओं के विरुद्ध अपने दौर में प्रगतिशील तथा आधुनिक दृष्टिकोण वाले राजा थे। उनकी बहन राजश्री के प्रतिनिधि बनकर हर्षवर्धन ने राज किया। मेहरा की फिल्म में हर्षवर्धन नायक हैं, परंतु अनिल कपूर ने अपने पुत्र का नाम हर्षवर्धन रखा, इसलिए इतिहास के इस भूले-बिसरे पन्ने का जिक्र किया गया है। राजा हर्षवर्धन और अभिनेता हर्षवर्धन में सिर्फ यह समानता है कि दोनों ही निपुण घुड़सवार हैं। फिल्म में अपनी भूमिका के लिए हर्षवर्धन ने दो वर्ष तक कड़ा परिश्रम किया।

सुरेंद्र कपूर पृथ्वीराज की प्रेरणा से फिल्मों में आए और 'मुगले आजम' के निर्माण के समय के. आसिफ के सहायक निर्देशक रहे। मुंबई के उपनगर चेम्बुर में पृथ्वीराज द्वारा दिए गए घर में रहे और उनके पुत्र राज कपूर के पुत्रों के बचपन के मित्र रहे हैं। ज्येष्ठ पुत्र बोनी कपूर को बहुत संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि उनके पिता की फिल्म 'फूल खिले हैं गुलशन गुलशन' में बहुत घाटा हुआ था। बहरहाल, ये कपूर परिवार जुहू और वर्सोवा में निवास करते हैं। अनिल कपूर की पुत्री सोनम और हर्षवर्धन अभिनय क्षेत्र में हैं तथा बोनी के सुपुत्र अर्जुन भी अभिनय क्षेत्र में हैं। इस तरह फिल्मों में दो कपूर घराने हैं, परंतु पृथ्वीराज का घराना 85 वर्षों से सक्रिय है। अनिल के सुपुत्र हर्षवर्धन अभिनय क्षेत्र में हैं, तो ऋषिकपूर के सुपुत्र रणबीर कपूर भी सक्रिय हैं। दोनों कपूर घराने मित्र भी हैं और प्रतिद्वंद्वी भी हैं, परंतु उनके बीच कोई कड़वाहट नहीं है। एक ही क्षेत्र में सक्रिय दो घरानों में टकराहट तो होती है, जैसे किचन में बरतन टकराते हैं। इन दोनों परिवार के तमाम युवा लोगों में रणबीर कपूर सबसे अधिक प्रतिभाशाली हैं। उसने अपने दादा राज कपूर से प्रतिभा पाई और उसका मिजाज अपने छोटे दादा शम्मी कपूर जैसा है। वह निरंतर इश्क में डूबा रहता है, प्रेमिकाएं बदलती रहती हैं। जैसे विवाह के बाद शम्मी कपूर में ठहराव आया था, वैसा ही ठहराव रणबीर में भी आएगा।

अनिल कपूर को शिखर सितारा बनाने में उनके भाई बोनी कपूर ने बहुत पापड़ बेले हैं, उसके मेहनताने में लगातार इजाफे के लिए उन्होंने इंदरकुमार की फिल्म निर्माण में सहायता की। फलस्वरूप 'दिल' और 'बेटा' बनी। इस इत्तेफाक पर गौर करें कि बोनी कपूर ने उस दौर में दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिन्दुस्तानी में बनाने के प्रयास किए। आज तो सभी यह काम करते हैं। 'मि. इंडिया' के बजट को देखते हुए, उसके लिए यह जरूरी था कि उस दौर की शिखर सितारा नायिका बने। बोनी और उनके पटकथा लेखक जावेद अख्तर को चेन्नई में श्रीदेवी से मुलाकात के लिए सात दिन तक इंतजार करना पड़ा। इंतजार के उन दिनों में देर रात बोनी कपूर श्रीदेवी के बंगले के चक्कर लगाते थे। यह संभव है कि कभी अनचाहे ही उन्होंने उस विशाल बंगले के सात चक्कर लगा दिये और अपनी पिनक में डूबे किसी देवता ने उन्हें आशीर्वाद दे दिया, जिसके फलस्वरूप कुछ वर्ष बाद ही उनका विवाह श्रीदेवी से हो गया। इसके पीछे एक और तथ्य यह है कि श्रीदेवी की मां को इलाज के लिए बोनी कपूर अमेरिका ले गए थे और संकट की उस घी में इस मदद के कारण ही यह संभव है कि वर्षों बाद श्रीदेवी ने उनका विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

बहरहाल, बोनी कपूर की अनाम फिल्म में श्रीदेवी नायिका हैं और यह नारी केंद्रित फिल्म है। खाकसार ने कथा पढ़कर सुझाव दिया है कि फिल्म का टाइटल 'वामा' रखें, क्योंकि पुराने ग्रंथों में स्त्री को वामा कहा गया। सारे पूजा-पाठ, हवन इत्यादि में पत्नी पति की बाईं ओर बैठती है। टाइटल के साथ टैगलाइन होनी चाहिए 'शी नेवर फॉरगेट्स एंड फॉरगिव्ज़।' अर्थात 'वह कभी भूलती नहीं और क्षमा भी नहीं करती।' यह उस मां की कहानी है, जो अपने परिवार को धोखा देने वालों को भारी सजा स्वयं देती है। इन दिनों कपूर परिवार के सारे युवा सदस्यों के साथ अभूतपूर्व बहुसितारा फिल्म भी बनाई जा सकती है, जैसे बोनी की 'हम पांच' का नया संस्करण।