फिल्म उद्योग : पतंग आच्छादित आकाश आैर अकाल / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्म उद्योग : पतंग आच्छादित आकाश आैर अकाल
प्रकाशन तिथि : 13 अगस्त 2014


आर्थिक फुगावे के इस दौर में फिल्म उद्योग में फिल्म निर्माण की जबरदस्त पतंगबाजी हो रही है आैर भांति-भांति के मांजों से डोर को सूता जा रहा है, परेती पकड़कर अनेक लोग खड़े हैं, कुछ का यकीन ढील देने में है, कुछ को जल्दी पतंग काटना है। बहरहाल इस दौर के पुरोधा आदित्य चोपड़ा अब स्थिर होकर दूरगामी परिणामों का आकलन करके कदम उठा रहे या कहें वह एकमात्र योद्धा है जिसने नतीजे का आकलन कर लिया है। उसकी खोज आैर शिष्य करण जौहर गुरु के विराम लेने को नहीं समझ पा रहे हैं आैर उन्हें गुड़ तथा खुद को शक्कर साबित करने पर आमादा है। उसे विराम ही चरम युद्ध की दशा है, यह समझने में समय लगेगा।

बहरहाल अपने गुरु की तरह वह भी अगले वर्ष तीनों खानों की भव्य फिल्में बनाने का प्रयास कर रहे हैं। करण जौहर ने सलमान खान को 'शुद्धि' के लिए अनुबंधित किया है आैर आमिर खान को एक कथा सुनाकर सोचने आैर करने के लिए केवल मनचाहा समय दिया है वरन् मेहनताने की भी कोई सीमा नहीं है। यो भी आमिर खान कोई जल्दीबाजी कभी नहीं करते। आमिर खान का मिजाज उनकी 'तारे जमीं पर' के एक दृश्य से समझ में आता है। दृश्य में आमिर खान खुदाई कमतरी से पीड़ित बालक के स्थिर चित्रों के एक एलबम को अंगूठे से दबाकर उसके तेजी से बदलते पृष्ठों को देखते हैं तो स्थिर चित्र चलायमान होने का भाव पैदा करते हैं। आमिर खान अपनी मति में ही अपनी गति को स्थिर करते हैं। इसी तरह आप घूमते हुए लट्टू को देखें तो वह स्थिर होने का भाव भी देता है। दरअसल ये सारे सरल काम आध्यात्मिकता के गहरे रहस्य की कुंजिया हैं। करण जौहर शाहरुख खान के ऋणी हैं आैर उनका गौरी खान से ऐसा रिश्ता है कि इस देवर की बात वे टाल नहीं सकती, अत: शाहरुख खान अभिनीत फिल्म भी प्रारंभ हो सकती है। करण जौहर ने कुछ अत्यंत गोपनीय सौदे भी किए हुए हैं जिन्हें उजागर होने में समय लगेगा।

2014 में साजिद नाडियाडवाला चार सुपरहिट दे चुके हैं- हीरोपंती, टू स्टेट्स, (करण जौहर की भागीदारी में) 'हाईवे' आैर सलमान अभिनीत 'किक'। इस समय उनकी इम्तियाज अली द्वारा निर्देशित रनवीर कपूर अभिनीत 'जलसा' की शूटिंग जारी है आैर अन्य कुछ फिल्में भी किसी किसी चरण में हैं। अत: आदित्य चोपड़ा, साजिद नाडियादवाला आैर करण जौहर एक अलग श्रेणी में हैं जबकि फरहान अख्तर आैर रितेश सिडवानी की जोया फिल्म निर्देशित बन रही है तथा अन्य फिल्मों की योजना पर काम चल रहा है। कई छोटे खिलाड़ी भी सक्रिय हैं। आज सितारा जड़ित फिल्म सुरक्षित व्यवसाय हो चुका है, कम से कम निर्माता के लिए सुरक्षित है। कुछ अति उत्साही वितरक उन पतंगों की तरह हैं जो बरबस ही शमा की आेर आकर्षित होते हैं, यह जानते हुए कि भस्म होना उनकी नियति है। एक जमाने में अग्रणी रहे एक निर्देशक की सफलतम सितारों के साथ बन रही फिल्म में सितारे को सैटेलाइट आैर संगीत अधिकार देने के बाद उसे सवा सौ करोड़ रुपए अखिल विश्व फिल्म प्रदर्शन के अधिकार बेचने से प्राप्त होंगे आैर अगर निर्माण पर वह चालीस करोड़ रुपए भी लगा देता है तो उसे 85 करोड़ रुपए का मुनाफा है। सितारा एकल उद्योग का मुकाबला अन्य उद्योग नहीं कर सकता। अन्य क्षेत्रों में इतना अधिक प्रतिशत मुनाफा नहीं है।

महेश भट्ट की श्रेणी में दूसरा कोई नहीं है। वह बिना सितारों के ही हर वर्ष दो तीन बेहद कमाई वाली फिल्में बना देते हैं आैर यह सिलसिला अनेक वर्षों से चल रहा है, अत: महेश भट्ट की संस्था 'विशेष फिल्म्स' बहुत धनाढ्य संस्था है आैर उन्होंने कभी सितारों की गुलामी नहीं की। इसका श्रेय भी महेश भट्ट- मुकेश भट्ट को जाता है कि उनकी सुदृढ़ स्थिति कतई प्रचारित नहीं है। महेश भट्ट की प्रतिभा ही इस संस्था को सुदृढ़ बनाने में विशेष सिद्धि हुई है। बहरहाल उपरोक्त सारी बातों से फिल्म उद्योग के केवल एक पक्ष पर रोशनी पड़ती है जबकि वृहत्तर उद्योग अभावों के अंधेरे में हैं। अल्प बजट की सिताराविहीन अनगिनत फिल्में प्रदर्शित ही नहीं हो पाती। फिल्म उद्योग देश से अलग कैसे हो सकता है 'शाइनिंग इंडिया' आैर 'अभावग्रस्त भारत' एक साथ अस्तित्व में है।