फिल्म निर्माताओं की पसंदीदा जगह कश्मीर / जयप्रकाश चौकसे

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फिल्म निर्माताओं की पसंदीदा जगह कश्मीर
प्रकाशन तिथि : 21 जून 2018


एक दौर में अधिकांश हिन्दुस्तानी फिल्मों की कुछ शूटिंग कश्मीर में होती थी। यहां तक कि 'मि. नटवरलाल' जैसी एक्शन मसाला फिल्म भी कश्मीर में शूट की गई थी। 'रोज़ा' भी धरती पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में शूट की गई थी। राज कपूर ने अपनी फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' कश्मीर में शूट की थी। सुभाष घई की 'कर्मा' भी इसी तरह कश्मीर में बनाई गई थी। कश्मीर में बहने वाली नदी को गंगा इस ढंग से दिखाया गया कि दर्शकों को यकीन हो गया। उस फिल्म का केवल एक दृश्य गंगोत्री में शूट किया गया था। बनारस के घाट का भी सेट स्टूडियो में लगाया गया था। फिल्मकार फिल्म में भूगोल अपनी सहूलियत के मुताबिक दिखाते हैं। हॉलीवुड ने ही फिल्मों के लिए सुविधाजनक भूगोल रचा। एक फिल्म में एक नाव नियाग्रा जलप्रपात की ओर बढ़ रही है। किसी अन्य नदी में शूट किए इस दृश्य के बीच में नियाग्रा जलप्रपात के शॉट्स को इस चतुराई से संपादित किया गया कि दर्शक को यकीन हो गया कि यह नौका जलप्रपात में गिरकर नष्ट हो जाएगी। इसी तरह कार के खाई में गिरने के दृश्य के लिए कार का इंजन पहले ही निकाल दिया जाता है।

सिनेमाघर में बैठा दर्शक फिल्म निर्माण प्रक्रिया से अनभिज्ञ परदे पर दिखाए गए अफसाने को हकीकत मानता है। यह लगभग वैसा ही है कि आप मिठाई का स्वाद ग्रहण करते हुए कभी मिठाई बनने की प्रक्रिया को नहीं जानते। सबसे महंगी वाइन को बनाने में अंगूरों को पैरों से कुचला जाता है। शराब और चावल जितने पुराने होते हैं, उतने ही महंगे दाम में बेचे जाते हैं और उनका स्वाद भी बेहतर होता जाता है। केवल मनुष्य के उम्रदराज होने पर उसका अवमूल्यन हो जाता है। जिन उम्रदराज लोगों को पेंशन नहीं मिलती, उन्हें खोटा सिक्का माना जाता है। उपयोगिता के मानदंड पर संस्कार तक तिरस्कृत होने लगते हैं।

बहरहाल, 1985 के बाद कश्मीर में आतंकवाद ने प्रवेश किया और 'धरती पर जन्नत' में आग लग गई। उसके दोजख बनने की प्रक्रिया तीव्र हो गई। लाल सुर्ख गुलाबों की पंखुड़ियां झुलसने लगीं। इतिहास गवाह है कि विदेशी फौजें नागरिकों और संस्थाओं को लूटती हैं। युद्ध के पूर्व योद्धाओं में जोश भरने के लिए कहा जाता है कि पराजित देश को लूटने की इजाजत मिलेगी। मध्य एशिया से भारत आए मुगलों को यहां नदियां, पहाड़ और वादियां पसंद आईं, इसलिए वे यहीं बस गए। उस समय निरंतर बाहरी आक्रमण के कारण भारत शिथिल हो रहा था। उनके बाद यहां उर्दू आई, नया वास्तु विज्ञान आया और अनेक क्षेत्रों में नई पहल हुई। गंगा-जमुनी संस्कृति की स्थायी देन है ताजमहल, जिसने वक्त को मात दी है। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का कहना था कि 'ताज वक्त के गाल पर एक थमा हुआ आंसू है'। बहरहाल, मौजूदा दौर में गंगा-जमुनी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास हो रहे हैं। बहरहाल, कश्मीर में पुन: फिल्म की शूटिंग की जा रही हैं। पर्यटन कश्मीर का सबसे बड़ा उद्योग रहा है। पर्यटकों के अभाव में अनेक लोग आधा पेट भी बमुश्किल खा पाते थे। चिनार के दरख्तों का कद भी कम होने लगा था। कश्मीर में वहां की कवयित्री हब्बा खातून का बायोपिक बनाया जा सकता है। कुछ वर्ष पूर्व से कश्मीर में ट्यूलिप के फूल उगाए जा रहे हैं। अब उनके बीच शूटिंग के लिए यूरोप नहीं जाना पड़ेगा। स्विट्जरलैंड में पर्यटकों की सुविधा के लिए सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। कश्मीर में भी कुछ किया गया है परंतु बहुत कुछ अभी करना रह गया है।

सुलगती सरहदों पर हमारे जांबाज सैनिक शहीद हो रहे हैं। मीडिया में इस बाबत सुर्खियां हैं। पाकिस्तान का मीडिया भी वहां वही राग अलाप रहा है। चुनाव जीतने के लिए सरहदों को सुलगाए रखा जाता है। मीडिया का तंदूर दोनों ओर दहका रहता है। हमारी उदात्त संस्कृति का मंत्र है कि पूरा विश्व ही एक कुटुम्ब है, एक परिवार है। किंतु संकीर्ण सियासत ने सारे पड़ोसियों से बैर करा दिया।